बरेली (ब्यूरो)। आज के समय में कोई व्यक्ति ही ऐसा होगा, जो मोबाइल फोन का प्रयोग न कर रहा हो। ऐसे में आपको अपने सिम के विषय में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। क्योंकि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप प्री एक्टिवेट सिम का इस्तेमाल कर रहे हों। यदि ऐसा हुआ तो आप बड़े संकट में फंस सकते हैं। हो सकता है आपके पास सिम आने से पहले उसका यूजर उस सिम का उपयोग किसी क्रिमिनल एक्टिविटी में कर चुका हो। ऐसे में आप पर क्रिमिनल होने का ठप्पा लग सकता है।

अपना सिम भी बना सकता है क्रिमिनल
कई बार ऐसा होता है कि अपना मोबाईल खो जाने पर लोग उसे सीरियस नहीं लेते हैं। बिना नंबर को बंद कराए ही दूसरा नंबर यूज करने लगते हैं। इस बारे में कभी उनका ध्यान भी नहीं जाता है कि कहीं यह लापरवाही मंहगी नह पड़ जाए। इस दौरान आपने यदि उस सिम को डीएक्टिवेट नहीं करवाया और वह किसी क्रिमिनल के हाथ लग गया तब भी आप बड़ी प्रॉब्लम में फंस सकते हैं। ऐसे में फोन खोने पर तुरंत सिम बंद कराएं। क्योंकि यदि आप नंबर बंद नहीं कराते हैं तो कोई भी उसे एक्टिवेट करके क्रिमिनल एक्टिविटी कर सकता है, जो आपके लिए बड़ी आसानी से क्रिमिनल साबित कर सकती है। इससे आप बिना किसी अपराध के अपराधी बन जाते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए अलर्ट रहना जरूरी है। अत: मोबाइल खोने या गिरने की स्थिति में तुरंत एफआईआर कराएं।

ऐसे करते हैं मिसयूज
साइबर क्रिमिनल किसी भी क्राइम को अंजाम देने के लिए किसी ऐसे नंबर की तलाश करते हैं, जो किसी अन्य की आईडी पर होता है। इससे क्राइम करने पर वे पकड़ में नहीं आ पाते हैं। इनमें से कई क्रिमिनल्स तो ऐसे लोगों से मिले होते हैं, जो उन्हें किसी और के नाम से सिम खुलवा कर देते हैं। कई बार कुछ सिम बेचने वाले भी धांधलेबाजी करते हैं। आप सिम कार्ड खरीदने के दौरान जो आधार कार्ड की कॉपी उन्हें देते हंै, वे उसकी फोटो कॉपी से ही दूसरी सिम भी चालू कर देते हैं फिर उसे ज्यादा पैसों में किसी अन्य को बेच देते हैं। उसके बाद यदि वह व्यक्ति क्रिमिनल टाइप का हुआ तो आसानी से उस सिम के माध्यम से क्राइम करके साफ बच निकलता है। ऐसे में जांच होती है तो फंसता वह है, जिसके नाम पर सिमकार्ड एक्टिवेट होता है।

कॉल डिटेल से जानकारी
साइबर सेल या सर्विलांस एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह के अपराधी बहुत शातिर प्रवृत्ति के होतेे हैं। वे क्राइम करने के बाद आसानी से निकल जाने का पूरा प्रयास करते हैं। इसके साथ ही दूसरे लोगों को फंसाने की कोशिश भी करते हैं। ऐसे में इनकी जानकारी करने के लिए जो नंबर क्राइम के समय यूज किया जाता है, उसकी कॉल डिटेल की जांच की जाती है। उसमें पता चलता है कि यह नंबर किसी नाम से चल रहा है। इसे चलाने वाला कौन है। ऐसे में कभी-कभी जो अपराधी नहीं होता है, उसे भी पकडऩा पड़ जाता है।

परिचितों का भी नंबर न करें यूज
चाहे कितना भी पर्सनल मित्र या परिचित हो, किसी को भी अपना सिम यूज करने को नहीं दें। न ही किसी का नंबर खुद यूज करें। हो सकता है कि वह आपके नंबर से कोई गलत एक्टिविटी कर रहा हो। इसकी वजह से आप क्रिमिनल बन सकते हैं। इसके साथ ही यदि आप किसी परिचित का सिम यूज करते हैं। तब भी आप संदेश के घेरे में आ सकते हैं। क्योंकि आपका परिचित कहीं संदिग्ध तो नहीं, जिसने खुद को बचाने के लिए सिम आपको दिया है। ऐसे में सावधानी बरतना बहुत ही जरूरी है।

फैक्ट एंड फिगर
2019 में एक्टिव हुई सर्विलांस टीम
50 केस शुरूआत में आते थे प्रतिमाह
10 केस प्रतिमाह 2020 से (आधार कार्ड से सिम लिंक होने के बाद)
2021 नवंबर से फिर बढने लगे केस
15 से 20 केस अब आ रहे प्रतिमाह

यह भी जानें
-बिना आधार कार्ड के नहीं लें सिम
-अलग से न दें अपना फोटो, एप पर ही खिचवाएं
-डाक्यूूमेंट की फोटो भी करनी होती है अपडेट
-पूरी प्रॉसेस के बाद शॉपकीपर के मोबाइल नंबर पर ही आता है ओटीपी
-10 से 15 मिनट लगते हंै सिम शुरु होने में
-किसी भी शॉपकीपर से न लें प्रीएक्टिवेट सिम कार्ड

वर्जन
इसमें कई बार लोग अपनी लापरवाही के कारण ही फंसते हैं। क्योंकि वे दुकानदार की बातों में आकर अपना पासपोर्ट साइज फोटो दे देते हैं, जिसका दुकानदार द्वारा मिसयूज कर लिया जाता है। ऐसे में ध्यान रखें कि फोटो और आईडी कार्ड एप पर ही दें। साथ ही अगर फोन खोता है तो तत्काल एफआईआर करवाएं।
अनिल कुमार, साइबर सेल इंचार्ज