फीमेल लिटरेसी को लेकर अभी समाज की सोच विकसित नहीं हुई है। अभी भी सोच में जकडऩ और संकोच बाकी है। इसमें बदलाव की जरूरत है। जहां भी गल्र्स को मौका मिला है, उन्होंने खुद को साबित किया है पर समाज क ो यह समझना होगा कि महिलाओं की पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के अलावा भी कोई भूमिका हो सकती है। जो शिक्षा के बिना पूरी नहीं हो सकती है।
-प्रो। एनपी सिंह, एजुकेशनिस्ट