फ्लैग:::इंटरनेट मीडिया ने युवाओं में कमजोर की सृजन की क्षमता
- अंर्तराष्ट्रीय कथक नृत्यागंना नलिनी और कमलिनी बोलीं- कॉपी करने पर युवाओं का ध्यान
- एसआरएमएस के दीक्षांत समारोह में भाग लेने आईं थीं दोनों बहनें, गुरू जितेंद्र महाराज भी रहे साथ
बरेली: कला एक ऐसी चीज है जिसका कोई धर्म नहीं है। इसमें कितने लय, कितने स्वर होते हैं। कला व्यक्ति के अंदर संवेदना लाती है और अपनी भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने का माध्यम है। लेकिन आज का युथ सोशल मीडिया पर अधिक बिजी है, उसका ध्यान कॉपी करने में अधिक है। जबकि यूथ का ध्यान खुद सृजन करने पर होना चाहिए। यह बातें श्री राम मूर्ति इंजीनियरिंग कॉलेज के 20वें दीक्षांत समारोह में आई इंटरनेशनल ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना नलिनी और कमलिनी ने बातचीत के दौरान कहीं।
हार्मोस भी रहता है बैलेंस
दीक्षांत समारोह के बाद उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि आज की जेनरेशन में कला का समावेश जरूरी है। सृजनात्मक पहलुओं को ओर जुड़ें। क्योंकि संघर्ष और अनुभव से ज्ञानार्जन होता है। भारतीय संस्कृति में संगीत रचा और बसा हुआ है। कला, साधना, अराधना अपने को एकाग्र करने की शक्ति देती है। उन्होंने कहा कि कोई भी कलाकार एक घंटे के कार्यक्रम के लिए तीन घंटे प्रैक्टिस करता है। उस दौरान वह अपने नृत्य में कुछ न कुछ नया सृजन करने का प्रयास करता है। कथक करने के दौरान ध्यान घुंघरू पर होता है, उसकी खनक के साथ पैर थाप करते हैं। इतना ही नहीं कथक आदि कला से हार्मोस भी बैलेंस रहता है।
विदेशी बच्चे भी सीख रहे कला
कथक केंद्र की सलाहकार समिति की अध्यक्ष कमिलनी अस्थाना ने कहा कि जब युवाओं के फैलोशिप के प्रोजेक्ट देखते हैं तो मन दुखी होता है। प्रोजेक्ट में उनका बनाया हुआ कम जबकि किसी अन्य की सोच ज्यादा दिखाई देती है। इसकी बड़ी वजह है कि आज के युवा का भारतीय संस्कृति से सीधा जुड़ाव न होना है। विदेश के बच्चे भारत आकर शास्त्रीय संगीत, कथक, कुचीपुडि़ सीखने की इच्छा जाहिर करते हैं।
युवाओं को जोड़ने का प्रयास
इस दौरान उनके साथ उनके गुरु जितेंद्र महाराज कथक शिरोमणी बनारस घराना भी मौजूद रहे। बताया कि नृत्य योग की तरह है। इसकी मुद्राओं से एकाग्रता और पैरों की थप से एक्यूप्रेशर के प्वाइंट एक्टिव होते हैं। शास्त्रीय नृत्य कई मायनों में उपयोगी है। कहा कि भारतीय संस्कृति से युवाओं को जोड़ने का प्रयास जारी है। लेकिन आज की मूवी आदि में क्लासिकल डांस गायब सा हो गया है।
बरेली से खास लगाव
कथक नृत्यांगना दोनों बहनों नलिनी और कमिलनी ने बताया कि वह बरेली की ही रहने वाली है। उनका पैतृक घर कूचा सीताराम में था। बाद में वह प्रभा सिनेमा के सामने रामपुर गार्डन में रहने लगे थे। बाद में कॅरियर बनाने के लिए वह लोग बाहर चले गए थे। बताया कि उनके गुरू जितेंद्र महाराज का भी बरेली से जुड़ाव रहा है। वह त्रिवटीनाथ मंदिर में ही साधना करते थे। आचार्य जितेंद्र महाराज ने यहां से जुड़े कई प्रसंग भी साझा किए।