महज 11 agency registered
बरेली से रजिस्टर्ड सिक्योरिटी एजेंसियां बरेली और आस-पास के जिलों में ही काम कर सकती है। इन एजेंसियों को प्रारूप 6 के तहत लाइसेंस जारी होता है। बरेली से रजिस्टर्ड होने वाली सिक्योरिटी एजेंसियों की संख्या महज 11 है। वैसे सिटी में इससे कहीं अधिक एजेंसियां काम कर रही हैं। नियमानुसार, अगर एजेंसी का लाइसेंस है भी पर वह मानकों पर खरी नहीं तो लाइसेंस निरस्त कर लीगल एक्शन होना चाहिए।
गेट पर गार्ड, घरों से चोरी
सिक्योरिटी के उद्देश्य से कॉलोनियों में इन गाड्र्स की ड्यूटी लगवाई जाती है। इसके बाद भी सिक्योरिटी पर सवालिया निशान लगा रहता है। सिक्योरिटी गार्ड तैनात होने के बाद भी कॉलोनियों में चोरी की घटनाएं होती रहती है। गार्ड को जानकारी होती है कि उन्हें गेट में इंट्री करने वालों की जानकारी रजिस्टर में मेंटेन करना होता है। मगर ऐसा होता नहीं है। यही चोरी की मेन वजह बनती है। सिटी हार्ट कॉलोनी में चार गार्ड तैनात हैं, लेकिन यहां पिछले कुछ दिनों में साइकिल, इंवर्टर, बैटरी और मोबाइल की चोरी हो चुकी है। सिटी हार्ट कॉलोनी के रेजीडेंट रोहित आहुजा बताते हैं कि सिक्योरिटी के लिए हर घर से गार्ड को चार सौ रुपए महीने दिए जाते हैं.
पसर्नल गार्ड रखना मजबूरी
सिक्योरिटी गार्ड तैनात होने के बावजूद रेजीडेंट्स खुद को अनसेफ मानते हैं। मजबूरी में कई लोग तो पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड भी रखते हैं। रेजीडेंस गार्डन में रह रहे किशुन सिंह बताते हैं कि रेजीडेंस गार्डन एलायंस कंपनी का है। कंपनी की ओर से सिक्योरिटी गार्ड तैनात है, जिसके एवज में तीन साल में 18000 रुपए जमा करने पड़ते हैं। इसके बाद भी मैंने अपना पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड रखा है, जिसे हर महीने 1500 दे रहा हूं।
ट्रेनिंग तो होती ही नहीं
सिटी की कॉलोनियों में तैनात सिक्योरिटी गार्ड अनट्रेंड हैं। इस बात को खुद सिक्योरिटी गार्ड सहजता से एक्सेप्ट करते हैं. कुछ को ट्रेनिंग दी भी गई है तो महज खानापूर्ति के लिए। कई कॉलोनी के गेट पर तैनात गार्डों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसे कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।
यूनिफॉर्म में नहीं रहते हैं गार्ड
सिक्योरिटी एजेंसियों के गार्ड को यूनिफॉर्म में ही रहना चाहिए। ड्यूटी के वक्त गार्ड को यूनिफॉर्म के साथ ही सिर पर कैप लगाने और बैच नंबर के साथ तैनात रहना होता है। अगर गार्ड ऐसा नहीं करते हैं तो सिक्योरिटी एजेंसिया उन्हें ड्यूटी से हटा सकती है, लेकिन इन नियमों के बावजूद कई कॉलोनियों में तैनात गार्ड यूनिफॉर्म में भी नहीं रहते हैं। इस पर किसी तरह की कोई कार्रवाई भी नहीं होती है। ऐसी स्थिति में आम व्यक्ति और सिक्योरिटी गार्ड में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
तो पुलिस को करें इंफॉर्म
शहर में ऐसी कई सिक्योरिटी एजेंसियां है जो रजिस्टर्ड नहीं है। कुछ एजेंसी रजिस्टर्ड है भी तो उनमें से ज्यादातर एजेंसियों ने सिक्योरिटी गार्ड को ट्रेनिंग ही नहीं दी है। बिना ट्रेनिंग लिए कॉलोनियों, फ्लैट्स, शॉप, बैंक सहित अन्य जगहों पर ये गार्ड ड््यूटी दे रहे हैं। मानक को पूरा किए ही सिक्योरिटी एजेंसियों द्वारा गार्ड तैनात कर दिए गए हैं। बरेलियंस को कहीं भी फर्जीवाड़े की जानकारी मिलती है तो वह इस बात की जानकारी स्थानीय पुलिस को दे कर एडमिनिस्ट्रेशन की हेल्प कर सकते हैं।
क्या हैं मानक
-पुलिस वैरीफिकेशन सबसे अहम
-डयूटी पर तैनाती से पहले फिटनेस टेस्ट
-इमरजेंसी से निपटने के लिए टे्रनिंग
-ट्रेनिंग और फिटनेस सर्टिफिकेट पुलिस के पास जमा कराना जरूरी
गार्ड के लिए
-आईडी प्रूफ होना जरूरी।
-कम से कम मैट्रिक पास हो।
-एनसीसी में सी सर्टिफिकेट।
-एनसीसी धारक नहीं है तो पूरी ट्रेनिंग
-हाइट कम से कम 5 फीट 8 इंच हो।
-21 से 50 वर्ष के बीच एज
रजिस्टर्ड सिक्योरिटी एजेंसी
एक्स सर्विसमैन सिक्योरिटी सर्विस।
एक्सपर्ट डिस्टिक सिक्योरिटी सर्विसेज।
बरेली इंडस्ट्रियल एक्स सिक्योरिटी।
सिक्योरिटी डिस्टिब्यूशन एजेंसी।
भारतीय सिक्योरिटी सर्विसेज।
शहजादे सिक्योरिटी।
सुखमनी सिक्योरिटी।
मेमर्स एक्स सर्विसेज।
न्यू इंडस्ट्रियल सर्विस।
फौजी मैन सर्विस।
एक्स सिक्योरिटी गार्ड
नोट - ये सभी सिक्योरिटी एजेंसियां बरेली से रजिस्टर्ड हं.
सिक्योरिटी एजेंसी अगर फर्जीवाड़ा करते पकड़ी जाती है तो उस पर जालसाजी का केस दर्ज किया जाता है। बरेलियंस को सचेत रहने की जरुरत है। कहीं कुछ भी गलत हो रहा है तो इसकी सूचना पुलिस को दें।
- सत्येंद्र वीर सिंह, एसएसपी, बरेली
यहां से सिक्योरिटी एजेंसियों को लाइसेंस दिये जाते हैं। एजेंसी की यह जिम्मेदारी होती है कि वह ट्रेंड गार्ड को रखें, उपकरणों की ट्रेनिंग दें। गार्ड का हेल्थ और फिजिकल चेकअप कराने की जिम्मेदारी एजेंसी की होती है। जहां तक लाइसेंस देने की बात है तो लाइसेंस देते समय यही ध्यान रखा जाता है कि एजेंसी लेने वाले की कोई क्रिमिनल हिस्ट्री न हो, ट्रेनिंग देने की पर्याप्त व्यवस्था हो। नये लड़कों को ट्रेनिंग कराने के बाद फील्ड में उतारना चाहिए।
- बद्री प्रसाद सिंह,आईजी, लॉ एंड ऑर्डर, यूपी
दावे हैं दावों का क्या
सिक्योरिटी गार्ड की भर्ती पुलिस वेरीफिकेशन के बाद ही होती है। हम लोग भर्ती के समय आईडी प्रूफ की जांच तो करते है। मेडिकल टेस्ट भी करवाते हैं। इसके अलावा अगर एनसीसी में सी सर्टिफिकेट नहीं है तो 15 दिनों की ट्रेनिंग देते हैं।
- कमल शर्मा, सीनियर मैनेजर ऑपरेशन, एक्सपर्ट डिस्ट्रिक सिक्योरिटी सर्विसेज ऑफ इंडिया
ब्रांच लेवल पर एक वीक की टे्रनिंग दी जाती है। वहीं ट्रेनिंग एकेडमी में एक महीने की ट्रेनिंग चलती है। ब्रांच लेवल पर होने वाले ट्रेनिंग में आईडेंटी कार्ड ईशू किया जाता है। वहीं एकेडमी से ट्रेनिंग लेने पर सर्टिफिकेट दिया जाता है।
- रामेश्वर, भर्ती अधिकारी, एसआईएस सिक्योरिटी
गार्ड रहने का मतलब रजिस्टर मेंटेन होना चाहिए। कौन कॉलोनी में आ रहा है कौन जा रहा है। मगर ऐसा कुछ नहीं होता है। कॉलोनी का गेट भी बड़ा होना चाहिए। हम लोग सिक्योरिटी के नाम पर तीन सौ रुपए मंथली देते है।
- बनर्जी, आंचल कॉलोनी
हम लोगों की कॉलोनी तो श्याम गंज में है। सिक्योरिटी गार्ड होने के बाद भी डर बना रहता है। अक्सर काम के वजह से घर के बाहर रहना। बीबी, बच्चों के लिए चिंता बनी रहती थी।
- मनोज भारतीय, आंचल कॉलोनी
हांलाकि मेन गेट पर सिक्योरिटी गार्ड तैनात है। मगर पीछे वाले गेट पर कोई गार्ड तैनात नहीं है। सिक्योरिटी गार्ड तैनात होने के बाद भी डर बना रहता है।
- गोपाल, रेजीडेंस गार्डन
यह एलायंस कंपनी की कॉलोनी है। कहने को तो कंपनी की ओर से तीन-चार सिक्योरिटी गार्ड है.जिसके लिए पैसे भी दिए जाते है। इसके बावजूद भी इस कॉलोंनी में ज्यादातर लोगों ने पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था कर रखी है।
- किशुन सिंह, रेजिडेंस गार्डन
सिक्योरिटी गार्ड तो है। इसके बावजूद कई बार चोरी हो चुका है। जबकि सिक्योरिटी और साफ-सफाई के नाम पर 400 रुपए महीना देते है.ं सिटी हर्ट कॉलोनी में चार सिक्योरिटी गार्ड है।
- रोहित आहुजा, सिटी हार्ट
Report by:Prashant Kumar Singh