टयूजडे बरेली के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दिनदहाड़े नौ माह की मासूम बच्ची को किडनैप कर लिया गया। बच्ची अपनी नौ साल की बड़ी बहन के साथ थी। बदमाशों ने बड़ी बहन को टॉफी-बिस्कुट के बहाने करीब बुलाया और बच्ची को उससे छीन कर भाग निकले। वारदात के वक्त बच्ची की मां ब्लड टेस्ट कराने गई थी। वहीं फादर मेडिसन लेने के लिए गए थे। पुलिस व हॉस्पिटल प्रशासन यहां की सिक्यूरिटी की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से पहले भी चाइल्ड मिस हो चुके हैं। इसके कारण कई गंभीर सवाल पैदा हो गए हैं। मामले को ह्यूमन टै्रफिकिंग से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। कोतवाली पुलिस केस रजिस्टर्ड कर इंक्वायरी कर रही है।


बड़ी बेटी है भर्ती
बाहरी खेड़ा मऊ थाना आंवला निवासी हरिपाल और गंगा देवी ने अपनी 11 वर्षीय बड़ी बेटी शिवकुमारी को शुक्रवार डिस्ट्रिक्ट वूमेन हॉस्पिटल में एडमिट करवाया था। टयूजडे मॉर्निंग करीब साढ़े दस बजे गंगा देवी शिवकुमारी के ब्लड टेस्ट के लिए हॉस्पिटल की दूसरी यूनिट में गई। वहीं हरिपाल मेडिसन के लिए मनी चेंज कराने गया था। दोनों ने अपनी नौ माह की बेटी रजनी को दूसरी बेटी पुष्पा के साथ हॉस्पिटल के रैन बसेरे में बैठा दिया था। इसी दौरान वहां पर करीब 35 साल का व्यक्ति आया और पुष्पा को टॉफी-बिस्कुट खिलाने का लालच दिया। इसी बहाने उसने रजनी को गोद में ले लिया और वहां से चलता बना।


पुष्पा ने किया पीछा
इस दौरान पुष्पा कुछ दूर तक व्यक्ति के पीछे भी गई, लेकिन तब तक वह वहां से गायब हो गया। पुष्पा ने उसके बाद रोते हुए मामले की सूचना अपने पैरेंट्स को दी। वो भागते हुए हॉस्पिटल के मेन गेट पर तैनात होमगार्ड तेजराम के पास गये और केस की इनफॉरमेशन दी। तेजराम तुरंत एक्शन लेते हुए स्पॉट पर पहुंचा और हॉस्पिटल में हर जगह व्यक्ति को तलाश किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। पुष्पा ने बताया कि आरोपी ने ब्लैक पैंट व व्हाइट टी शर्ट पहन रखी थी। मामले की सूचना तुरंत ही कुतुबखाना पुुलिस चौकी में दी गई। कोतवाली थाना पुलिस केस की इंक्वायरी कर रही है।


मां बेहोश होकर गिरी
इस घटना के बाद मां का रो-रोकर बुरा हाल है। एक बार तो वह बेहोश होकर भी गिर पड़़ी। गंगा का कहना है कि वह ब्लड टेस्ट करवाने गई थी, इसी दौरान उसकी बेटी को कोई किडनेप करके ले गया। वहीं पिता हरपाल सिंह ने बताया कि वारदात के टाइम वह पैसे चेंज करवाने गया था।

शातीराना अंदाज
रैन बसेरे में बैठे कुछ लोगों ने बताया कि आरोपी को उसने बच्ची के पिता के पास खड़ा देखा था। उन्होंने समझा की वह उनके परिचित होंगे। इसीलिए बच्ची को ले जाते हुए उन्होंने देखा, लेकिन विरोध नहीं किया। वहीं पिता ने बताया कि वह पैसे चेंज कराने के संबंध में उससे पूछ रहा था।

6 मार्च को भी हुई थी चोरी
कुछ दिन पूर्व भी हॉस्पिटल से एक बच्चा मिस हो गया था। उस वक्त हॉस्पिटल से एक न्यू बोर्न बेबी को एक महिला चुरा कर ले गई थी। उस वक्त अस्पताल प्रशासन से यहां की सिक्योरिटी के लिए सीसीटीवी कैमरे व संदिग्ध पर निगाह रखने के दावे किये थे, लेकिन अब तक कोई इंतजाम नहीं किए हैं। वारदात के बाद हॉस्पिटल प्रशासन के दावों पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं।


सिक्योरिटी का कोई इंतजाम नहीं
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सिक्योरिटी की स्थिति सबसे खराब है। ऐसा तब है जब इससे पहले भी यहां से बच्चा चोरी हो चुका है। यहां पर सिक्योरिटी के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। इतने बड़े हॉस्पिटल के लिए सिर्फ चार होमगार्ड तैनात हैं। इनमें से दो होमगार्ड हॉस्पिटल के मेन गेट पर खड़े होते हैं और दो लेडी होमगार्ड मेटरनिटी वार्ड के अंदर ड्यूटी देती हैं। हॉस्पिटल में सिक्योरिटी पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं। इसके अलावा हॉस्पिटल परिसर की चारदीवारी तीन जगह से टूटी हुई है। यहां से कोई भी आसानी से भाग सकता है। ओल्ड मेटिरनिटी वार्ड के पास तो दीवार काफी नीचे है। दीवार से चंद कदम की दूरी पर कुछ मकान की दीवारें हैं, जिनकी छतों पर अक्सर जुआरी पत्ते खेलते नजर आते हैं।


ह्यूमन ट्रैफिकिंग तो नहीं?
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से एक माह में एक बच्चे की चोरी और एक बच्चे के अपहरण से कई सवाल पैदा हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा हुआ है। बरेली पुलिस भी इन बिंदुओं पर जांच कर रही है। डिस्ट्रिक्ट में इससे जुड़ा कोई गिरोह सक्रिय है जो बच्चों को गायब कर उनकी तस्करी कर रहा है।
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल डिस्ट्रिक्ट में लंबे समय से ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले सामने आते रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए डीआईजी ऑफिस में एंटी ह्यूनम ट्रैफिकिंग यूनिट भी जून 2011 में खोली गई थी। यह सेल भी सिर्फ नाम का ही है। इस जुड़े मामलों के लिए हेल्पलाइन नंबर 1098 भी खोला गया है जो अभी काम नहीं कर रहा है। यूनिट की जिम्मेदारी एक इंस्पेक्टर, एक सब इंस्पेक्टर, एक हेड कांस्टेबल और तीन कांस्टेवल के जिम्मे है, लेकिन अभी तक सभी इसके कामकाज के तरीकों से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं। यहीं नहीं यूनिट में तैनात पुलिसकर्मियों के पास टेलीफोन की भी व्यवस्था नहीं है। इसके कारण न तो कोई केस ले सकते हैं और न ही किसी अधिकारी को भी इसके बारे में तुरंत बता सकते हैं। अभी तक इस यूनिट में सिर्फ एक केस फरवरी 2012 में रजिस्टर हुआ है जो हरिजन एक्ट लगने के बाद सीओ बारादरी को ट्रांसफर कर दिया गया। जिसकी जांच अब वही कर रहे हैं।


ये हैं दूसरे इंतजाम
ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े मामलों के लिए डिस्ट्रिक्ट में 15, कृष्णायन कॉलोनी डेलापीर में दीप जन कल्याण समिति का ऑफिस भी खोला गया है। यहां की डिस्ट्रिक्ट प्रोबेशन ऑफिसर ऊषा तिवारी हैं जिनसे संपर्क के लिए नंबर 0581-2422052 है। इसके अलावा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2000 के अंतर्गत संचालित संस्था का पता वनखंडी नाथ मंदिर के पास नवादा बरेली में बनाया गया है। इसके अलावा आईटीएक्ट के तहत काम करने का पता प्रेमनगर सी आई पार्क है। हालांकि इनमें से अधिकांश सिर्फ नाम के ही हैं.    


हॉस्पिटल से बच्चे के किडनैपिंग की इंफॉरमेशन मिली है। इस मामले में सीएमएस से बात कर ली गई है। हम केस की इंक्वायरी करवा  रहे हैं। जल्द ही सिक्योरिटी के लिए हॉस्पिटल में सीसीटीवी कैमरे भी लगाये जाएंगे। हॉस्पिटल में आने वाले लोगों को भी अपने बच्चें की सुरक्षा करनी चाहिए. 
-एके  त्यागी, चीफ मेडिकल ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल


डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से बच्चे के किडनैप होने की सूचना मिली है। फैमिली का बयान लेकर केस की इंक्वायरी की जा रही है। हॉस्पिटल की सिक्योरिटी के लिए पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गये हैं। इनटर्नल सिक्योरिटी की जिम्मेदारी हॉस्पिटल प्रशासन की है। हर जगह पुलिस नहीं रह सकती। आरोपी को पकडऩे के लिए सभी थाना पुलिस को एलर्ट कर दिया गया है. 
-अतुल सक्सेना, एसपी सिटी बरेली