अंशिका हत्याकांड का मेन आरोपी दीपू अब भी पुलिस की पहुंच से दूर

परिजनों ने पुलिस पर लगाया लापरवाही का आरोप

BAREILLY: अंशिका अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके घर और मोहल्ले में बची उसकी यादें हत्यारों और लापरवाह पुलिसकर्मियों से अपनी मौत का जबाव मांग रही हैं। वहीं अंशिका के परिवार वालों के आंसू थम नहीं रहे हैं। परिजन बार-बार यही कह रहे हैं कि एक गलत शब्द कहने की इतनी बड़ी सजा क्यों दी। सभी पुलिस पर भी लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं क्योंकि इस मामले में सूचना के म् घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी। सैटरडे को भी परिजन थाना पहुंचे और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस अभी भी मेन आरोपी दीपू को गिरफ्तार नहीं कर पायी है।

बस फोटो में बची यादें

सैटरडे को भी अंशिका के घर आने-जाने वालों का सिलसिला जारी रहा। जो भी अंशिका के घर आता वह एक नजर हत्यारों के घर पर डालकर कहता कि एक मासूम की जान लेने की क्या जरूरत थी। अंशिका की मां और दादी का तो रो-रोकर बुरा हाल है। उनके हलक से निवाला तक नहीं उतर रहा है। वहीं अंशिका के पिता और चाचा भी अपनी लाडली को खोने के सदमे में हैं। अब सिर्फ अंशिका की फोटोज में उसकी यादें रह गई हैं। मां के साथ उसकी इकलौती तस्वीर को देखकर पिता की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।

हर बार देर से पहुंची पुलिस

अंशिका के चाचा सर्वेश ने बताया कि अंशिका थर्सडे सुबह करीब साढ़े दस बजे गायब हुई थी। दोपहर करीब क्ख् बजे वह गुमशुदगी दर्ज कराने थाना पहुंचे। यहां पर एसएचओ देवेश सिंह ने बताया कि ब् साल से 9 साल तक के बच्चों की गुमशुदगी सीसीआर में दर्ज की जाती है। यहां से वह सीसीआर में गए तो वहां से वायरलेस पर सूचना दे दी गई। पंपलेट छपवाकर और रिक्शे पर लाउडस्पीकर लगवाकर एनाउंसमेंट शुरू किया कि शायद अंशिका की कोई खबर मिल जाए। उनका कहना है कि शाम को साढ़े छह बजे चीता पुलिस पहुंची और पूछताछ कर चली गई। उसके बाद रात में करीब क्ख् बजे सभी परिजन म्0-70 लोगों के साथ थाना पहुंचे और बच्ची को ढुंढवाने की रिक्वेस्ट की। इस पर करीब ढाई बजे एसएचओ मौके पर पहुंचे और रात में ही घरों की तलाशी के लिए कहा लेकिन तलाशी हो पाई। सुबह भी चीता बुलाई लेकिन नहीं पहुंची तो उन्होंने खुद ही घरों की तलाशी शुरू कर दी थी।

फोन करने के बहाने भागा दीपू

अंशिका के परिजनों के साथ दीपू भी बच्ची को ढूंढने में लगा था। उसके घर की तलाशी के बाद गटर खोला जाने लगा तो उसने थोड़ा ही ढक्कन उठाकर दिखाने की कोशिश की लेकिन जब पूरा ढक्कन उठाया तो बोरा निकला और उसे खोलने की बात पर दीपू कान पर फोन लगाकर भाग निकला।

एक शब्द की इतनी बड़ी सजा

अंशिका के पिता सुशील ने बताया कि करीब एक महीने पहले दीपू की मां और पिता में झगड़ा हुआ था। पड़ोसी होने के नाते उन्होंने दीपू का ही पक्ष लिया था और उन्होंने दीपू की मां को गलत शब्द कह दिया था क्योंकि वह अपना घर छोड़कर बहनोई के घर रह रही थीं। वह अपशब्द पूरे घर को बुरा लगा था।

रोते-रोते गई जेल

पुलिस ने दीपू की पत्‍‌नी गौरी और पिता सतेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल जाने से पहले गौरी पूरे टाइम रोती रही। हालांकि पुलिस ने हिरासत में लिए गौरी के पिता और भाई को छोड़ दिया। गौरी के पिता किस्मत को अब कोस रहे हैं क्योंकि उनके दामाद के कारनामों के चलते बेटी को जेल जाना पड़ गया। वहीं दीपू के पिता सतेंद्र ने बेटे के साथ मिलकर अंशिका को गटर में ठिकाने लगाने की बात स्वीकार ली, लेकिन हत्या की बात नहीं कबूल रहा है।