- जनप्रतिनिधियों ने वेटनरी विभाग की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर उठाए सवाल
- पशु टीकाकरण की रिपोर्ट गलत देने पर शासन ने दिए सख्त कार्रवाई के आदेश
- टीकाकरण न होने से 5 हजार पशुओं में फैल रहा मुंहपका और खुरपका रोग
<- जनप्रतिनिधियों ने वेटनरी विभाग की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर उठाए सवाल
- पशु टीकाकरण की रिपोर्ट गलत देने पर शासन ने दिए सख्त कार्रवाई के आदेश
- टीकाकरण न होने से भ् हजार पशुओं में फैल रहा मुंहपका और खुरपका रोग
BAREILLY:
BAREILLY:
बरेली के वेटनरी डॉक्टर्स सुपरमैन बन गए हैंपढ़कर चौंक गए होंगे कि आखिर यह क्या माजरा है। हुआ कुछ यूं कि पशुपालन विभाग ने लास्ट ईयर पालतू जानवरों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीन कैंप लगाया था, जिसमें ख्भ् अलग-अलग टीमों ने महज ब्0 दिनों में साढ़े आठ लाख पशुओं को टीका लगाने का कारनामा कर दिखाया। अब गौर करने वाली बात यह है कि इतने कम समय में तो वेटनरी डॉक्टर सुपरमैन बनकर ही कर सकते हैं। क्योंकि इसी पेशे से जुड़े हुए जानकार बताते हैं कि यह किसी भी सूरत में पॉसिबल नजर नहीं आ रहा है। हालांकि, इन दावों के इतर यह जरूर हुआ कि वैक्सीन न लग पाने से हजारों की संख्या में पालतू जानवर बीमार जरूर हो गए।
बेजुबान से भी बेदर्दी
मामला पालतू जानवरों से जुड़ा हुआ था, ऐसे में ज्यादा हो हल्ला नहीं हुआ। विभाग भी यही मानकर चल रहा था, लेकिन जब पशुओं को रोग होने लगे तो फिर इस टीकाकरण अभियान पर सवालिया निशान उठना शुरू हो गए। सूत्र बताते हैं कि पशुओं के टीकाकरण के नाम पर खानापूर्ति हुई है। विभाग का कहना था कि क्007 ग्राम पंचायतों में एक-एक दिन का कैंप लगाया गया है। विभाग ने यहां पर आकड़ा ठीक कर लिया तो अगर ख्भ् टीम अगर एक-एक दिन का कैंप ब्0 दिन तक लगाती है तो करीब एक हजार ग्राम पंचायत कवर हो जाती है। लेकिन, जानवरों की संख्या का गणित सेट करने पर विभाग कहीं न कहीं मात खा गया।
बाक्स में लगाए---ये देखिए गणित
पांच मिनट के हिसाब से भी दूर
वेटनरी डॉक्टर्स का दावा है कि ख्भ् टीमों ने ब्0 दिनों में करीब 9 लाख पशुओं का वैक्सीनेशन किया। एक दिन में क्0 घंटे वैक्सीनेशन का काम मान लिया जाए तो इस लिहाज से ब्0 दिनों में ब्00 घंटे काम किया गया। एक जानवर को टीका लगाने में पांच मिनट का समय लगता है तो इस हिसाब से एक टीम ने ब्800 जानवरों को टीका लगाया। इस प्रकार, ख्भ् टीमें मिलकर क्ख्0000 जानवरों को ही टीका लगा सकती हैं।
डेली ब्00 के लिहाज से भी फेल
अपर निदेशक पशु चिकित्सा विभाग डा। एनपीएस गहलोत का कहना कि एक टीम एक दिन में ब्00 जानवरों का टीकाकरण कर सकती है। इस हिसाब को भी सही मान लें तो एक टीम ब्0 दिन में क्म् हजार पशुओं को टीका लगा पाएगी। इस प्रकार ख्भ् टीमें मिलकर ब्,00,000 पशुओं का टीकाकरण कर पाएंगी। यानि कि किसी भी सूरत में साढ़े आठ लाख का आंकड़ा पूरा नहीं होता है।
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क्यों उठे रिपोर्ट पर सवाल
टीम की रिपोर्ट को एक मर्तबा विभाग ने भी सही मान लिया था, लेकिन मामला तब फंस गया, जब जनप्रतिनिधियों ने मीटिंग में इसकी सत्यता पर सवाल खड़े कर दिए। लिहाजा, मामले की विभागीय जांच शुरू हुई। हैरत की बात यह है कि जांच अधिकारियों दूध का दूध और पानी का पानी करने की बजाय एक रिपोर्ट तैयार कर दी। जिसमें टीम के दावे को सच साबित कर दिया। हालांकि, अधिकारी अपने ही दिए बयानों में फंस रहे हैं, जिसका जवाब उनके पास खुद भी नहीं है कि एक दिन में एक टीम चार सौ जानवरों का टीकाकरण का काम करके भी लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकती है।
बीमारी से बच नहीं पाए जानवर
समय से टीकाकरण न होने की वजह से पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग फैलने लगा है, जो कि जानलेवा रोग है। पशुओं को इन्हीं रोगों से बचाने के लिए ही प्रत्येक वर्ष टीकाकरण किया जाता होता है। शासन स्तर से मुफ्त में किया जाता है। बता दें कि लास्ट ईयर 8.फ्0 लाख पशुओं का टीकाकरण होना था। टीका लगाने में ईमानदारी न बरते जाने से तमाम पशु बिना टीका लगाए ही रह गए। इनमें से तमाम पशु बीमारी का शिकार हुए। विभाग ने अप्रैल में सर्वे किया तो पता चला कि करीब भ् हजार पशुओं में यह रोग मिला है।
यह रहे आंकडे
- लास्ट ईयर जुलाई और अगस्त में किया गया था टीकाकरण
- क्म् दिसंबर को जिला योजना बैठक में मंत्री ने अधिकारियों से पूछा हाल
- मंत्री के निर्देश पर दिसंबर में शासन को भेजी गई टीकाकरण की रिपोर्ट
- शासन ने जनप्रतिनिधियों से पत्र के माध्यम से पूछा टीकाकरण के हाल
- वेटनरी विभाग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर जनप्रतिनिधियों ने उठाए सवाल
- ब्0 दिनों में ख्भ् टीम ने 8 लाख फ्9 हजार पशुओं का कैसे किया टीकाकरण
- शासन की ओर से संबंधित प्रकरण में पशुचिकित्साधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण
- पशुपालकों के अनुसार टीकाकरण न होने से खुरपका और मुंहपका की हो रही बीमारी