'हमको भी तो लिफ्ट करा दे'
AGRA : इलेक्शन का किस्मत के साथ जबरदस्त कनेक्शन है। जो इलेक्शन मेंजीत जाते हैं पांच साल में ही फर्श से अर्श पर पहुंच जाते हैं, उनकी संपत्ति इस छोटे से पीरियड में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ जाती है। जबकि इनकी किस्मत को डिसाइड करने वाला वोटर यानी आम आदमी महंगाई और सरकारी नीतियों के दो पाटों के बीच 'आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैयाÓ जैसी चक्की में पिस रहा है। फार एग्जांपल अपने एक जनप्रतिनिधि और कॉमन मैन की संपत्ति और पांच साल में उनकी अर्निंग पर एक तुलनात्मक नजर डालते हैं
जनप्रतिनिधि : लखपति से करोड़पति
बिथरीचैनपुर से सपा कैंडीडेट एवं निवर्तमान एमएलए धर्मेंद्र कश्यप और संजय ने 2007 में नामांकन के वक्त अपनी संपत्ति के तौर पर तकरीबन 24.65 लाख रुपये का ब्यौरा पेश किया था लेकिन उनकी ओर से प्रस्तुत किए गए ब्यौरे के मुताबिक उनकी हैसियत लगभग 1.28 करोड़ की है।
कॉमन मैन : ओनली फोर थाउजेंड
संजय मेहरा इलाहाबाद बैंक की श्याम गंज ब्रांच में काम करते हैं। वे राजेंद्र नगर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि पहले बैंक में जो वेतन दिया जाता था उसमें डीए में महंगाई के अनुसार जरूरी और गैर जरूरी दोनों ही तरह की चीजों का ध्यान रखा जाता था। लेकिन अब डीए को देते समय केवल जरूरी चीजों को ही ध्यान में रखा जाता है।
धर्मेंद्र कश्यप, निवर्तमान एमएलए की संपत्ति
2007 2012
कुल संपत्ति Rs 24.65 लाख Rs 1.28 करोड़
कैश Rs 1.7 लाख Rs 4.05 लाख
बैंक बैलेंस Rs 8,133 हजार Rs 1.15 लाख
ज्वैलरी Rs 1.45 लाख Rs 13.63 लाख
प्रॉपर्टी Rs 15 लाख रुपए Rs 42.60 लाख
बीमा Rs 7.5 लाख रुपए Rs 30.15 लाख
वाहन मारुति-800 कार साइकिल
बैंककर्मी संजय मेहरा की संपत्ति
वेतन क्व 30 हजार क्व 35 हजार
वाहन मारुति-800 कार,बाइक वही कार और बाइक
मकान होम लोन पर मकान मकान की किश्तें जारी
मुश्किल से चलता है घर
2007 में सत्यप्रकाश Rs 91,42,500
अग्रवाल की कुल संपत्ति:
2012 में सत्यप्रकाश Rs 1,54,77861
अग्रवाल की कुल संपत्ति:
पांच साल में अंतर: Rs 63,35361
2007 में हाजी याकूब Rs 60,18,457
की कुल संपत्ति:
2012 में हाजी याकूब Rs 2,15,84844
की कुल संपत्ति:
पांच साल में अंतर: Rs 1,55,66387
MEERUT : मेरे पड़ोस में ही आनंद वर्मा रहते हैं। प्राइवेट नौकरी है तो इस महंगाई के जमाने में तीन बच्चों का पालन पोषण काफी टफ टास्क है। फिर भी जैसे तैसे करके चला रहे हैं। कुछ दिन पहले मॉर्निंग वॉक के दौरान मुलाकात हुई और इधर उधर की बातें करने के बाद हम दोनों ने नुक्कड़ की चाय की दुकान पर चुस्कियां लेनी शुरू की। फिर उन्होंने मंहगाई और बाजार में चल रही लूट खसोट के बारे बात करनी शुरू की तो पता चला कि मात्र 20 हजार रुपए तनख्वाह पाने वाला कितनी मुश्किल से घर चला पा रहा है। साथ ही वर्मा ने ये भी कहा कि अपने क्षेत्र के विधानसभा के विधायक 5 साल पहले की इनकम और अब की इनकम पर गौर करिएगा। साथ ही अपनी पांच साल पहले और अब इनकम और घर के खर्चों का ऐनेलिसिस कर लीजिएगा, तो फर्क अपने आप ही नजर आने लगेगा।
वर्मा जी का ग्राफ
List 2007 2012
salary 15000 20000
bank - -
Vehicle 1/45000 -
petrol exp 1500pm 3500pm
Ration exp 3000pm 6000pm
edu। exp 2000pm 8000pm
power 600pm 1500pm
ये जन प्रतिनिधि या धनप्रतिनिधि!
KANPUR: पांच साल का टाइम पीरियड कुछ कम नहीं होता। असेम्बली इलेक्शन में कई कैंडीडेट्स ऐसे हैं, जिनकी सम्पत्ति पांच सालों में कई गुना बढ़ी है। नॉमिनेशन में दाखिल शपथ पत्र में खुद कैंडीडेट्स ने इसका खुलासा किया है। शपथ पत्रों के अनुसार महाराजपुर से बीजेपी कैंडीडेट सतीश महाना की वेल्थ पांच सालों में पांच गुना बढ़ गई है।
7 करोड़ से ज्यादा
लास्ट असेम्बली इलेक्शन के मुकाबले इस बार उनकी वेल्थ सात करोड़ से ज्यादा हैं। पांच साल पहले उनकी कुल सम्पत्ति 3 करोड़ 69 लाख 99 हजार 62 रुपए थे, जो अब बढ़कर 7 करोड़ 26 लाख 44 हजार 477 रुपए हो गई है। सन 2007 में उनके पास कुल 7 लाख 94 हजार 560 रुपए के जेवर थे, जो अब बढ़कर 60 लाख 5 हजार 903 रुपए के हो गए हैं। उनकी कुल सम्पत्ति में 1 करोड़ 24 लाख 36 हजार 981 रुपए की चल सम्पत्ति की तुलना में अचल सम्पत्ति लगभग पांच गुना हो गई है। उन्होंने कुल 6 करोड़ 2 लाख 7 हजार 496 रुपए की अचल सम्पत्ति एफिडेविट में बताई है।
पांच गुना बढ़ा खर्च
अब बात बिजनेसमैन दीपक की। मंहगाई से परेशान दीपक की फैमिली का मंथली एक्सपेंस 30,000 रुपए था। जबकि उस वक्त दीपक की इनकम 20,000 रुपए ही थी। पांच साल बाद यानि 2012 में फैमिली का मंथली खर्च बढ़कर पांच गुना हो गया है। दीपक बताते हैं कि उनके भाई-बहन दोनों बीटेक कर रहे हैं। उनकी फीस का खर्च, फैमिली मेम्बर्स के खाने पीने, मेडिकल, गारमेंट्स व अन्य दूसरी जरूरतों ने मंथली बजट में इजाफा कर दिया है। मगर, उसके मुकाबले कमाई दो से ढ़ाई गुना ही बढ़ी है। दीपक कहते हैं कि इस बार चीनी 65 रुपए किलो तक बिकी है। पहले घर में एक गाड़ी थी। अब दो गाडिय़ां हैं। पांच साल में मंहगाई कुछ इस कदर बढ़ी है कि प्रॉपर्टी खरीदने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है। दीपक कहते हैं कि ये नेता सिर्फ अपने लिए सोचते हैं, पब्लिक के लिए कोई कुछ नहीं करता।
कोई नहीं करता जनता की सेवा
LUCKNOW: यह हैं लखनऊ कैंट क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर तीन बार से चुनकर आ रहे विधायक सुरेश तिवारी। पांच साल में तिवारी जी ने दो करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति अर्जित की।
सुरेश तिवारी, एमएलए
2007 में कुल संपत्ति Rs 85,29,500
2012 में कुल संपत्ति Rs 2,89,64,149
अतंर Rs 2,04,34,649
एसेट्स इंक्रीज इन परसेंट 240'
महंगाई की मार से पब्लिक बेहाल
BAREILLY : बीते पांच साल में नेताओं की प्रॉपर्टी ने आसमान छू लिया। लाखों की रकम करोड़ों में तब्दील हो गई। बैंक में जमा पूंजी में भी दिन दून और रात चौगुना इजाफा होता चला गया। वहीं बात अगर एक कॉमन मैन की करें तो उसका हाल किसी से भी छिपा हुआ नहीं है। मंहगाई की मार ने आदमी की कमर तोड़ दी है। यहां हम एमएलए और सिटी के एक कॉमन मैन की तस्वीर दिखा रहे हैं। मकसद सिर्फ दुनिया की हकीकत को लोगों तक ले जाना है। ताकि लोग व्यवस्था को जान सके और इस इलेक्शन में तैयार रहे अपने सवालात के साथ। क्योंकि जानने का हक तो सभी को है।
एमएलए भुट्टो
वर्तमान एमएलए जुल्फिकार अहमद भुïट्टो इस एसेंबली इलेक्शन में दक्षिण सीट से भाग्य आजमा रहे हैं। अपने पांच साल की टाइम में नेताजी की प्रॉपर्टी लाखों से करोड़ों में पहुंच गई। इस जनप्रतिनिधि की ओर से नॉमिनेशन के टाइम दाखिल किए गए एफिडेविट के अनुसार पांच साल पहले जहां महज पन्द्रह लाख की प्रॉपटी थी, वहीं अब यह प्रॉपर्टी सवा ढाई करोड़ की हो गई है। यही बात अगर अचल प्रॉपर्टी की करें तो पांच साल पहले यह 99 लाख की थी और अब ये ढाई करोड़ तक जा पहुंची है।
देखिए कॉमन मैन को
एमएलए साहब की प्रॉपर्टी आपने जान ली। अब चलिए चलते है सिटी के एक कॉमन मैन के पास। आर्मी से सीनियर ऑडिटर की पोस्ट से रिटायर सिंकदरा निवासी एमपी पाराशर की प्रॉपर्टी की बात करें तो पांच साल में मामूली सा चेंज आया है। चल-अचल प्रॉपर्टी उनके नाम कुछ है नहीं। वहीं कैश की बात करें तो पांच साल पहले जहां 10 हजार रुपए रहते थे, अब यह रकम करीब 35 हजार रुपए हो गई है। बैंक में पांच साल पहले करीब 7 लाख थे, जो अब करीब 10 लाख तक पहुंच गए हैं। पेंशन जरूर पांच साल पहले पांच हजार से बढ़कर करीब 11 हजार हो गई है।
जुल्फिकार अहमद भुट्टो, एमएलए
2007 में कुल संपत्ति Rs 2,04,50000
2012 में कुल संपत्ति Rs 4,83,82000
अतंर Rs 2,79,32000
एमपी पाराशर, कॉमन मैन
2007 में कुल संपत्ति Rs 8,17000
2012 में कुल संपत्ति Rs 12,46000
अंतर Rs 4,29000
आम आदमी की सोच
नेताओं को जनता का सेवक कहा जाता है लेकिन यह जनता की सेवा नहीं करते हैं बल्कि स्वयं सेवा में ही लगे रहत हैं। एक मामूली नेता भी विधायक बनने के बाद करोड़ों में खेलने लगता है। यह पैसा कहां से आता है यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन एक आम आदमी एक आम कर्मचारी पांच साल में क्या बचा पाता है। मैं नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में क्लास थ्री सेवा का इम्प्लॉई हूं।
2007 में सेलरी
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के कर्मचारी अवधेश श्रीवास्तव का कहना है कि वह पांच साल पहले मेरी सैलरी 12 हजार थी, 1400 रुपए हाऊस एलाउंस और 250 रुपए सिटी एलाउंस मिलता था। 26 साल की नौकरी मैं कर चुका हूं। छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद सीनियर क्लर्क होने पर उनकी सैलरी अब 13 हजार, ग्रेड पे 4200 रुपए, महंगाई भत्ता 7540 रुपए, 2020 एचआरए, सिटी अलाउंस 250 रुपए हुआ है। टोटल 28 हजार रुपए सैलरी है। आमतौर पर 33 साल की सर्विस कर्मचारी की होती है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद करीब 12 से 15 लाख रुपए मिलता है। उसमें कर्मचारी कहां से मकान बनवाएगा और क्या वह कार का सपना देखेगा। लेकिन नेता जी एक बार विधायक बन गए तो हर चीज देखते ही देखते उनके पास बढ़ती जाती है। अब तो महंगाई भी चरम पर है। पांच साल में महंगाई भी करीब दो गुना बढ़ गई है। बच्चे के एजूकेशन के लिए लोन लिया था, एक छोटे से मकान के लिए लोन लिया है, इसी में सैलरी का करीब 12 हजार रुपए कट जाता है। कार की भला कहां से सोचेंगे, वह तो स्कूटर से चलते है और उसी का पेट्रोल भराने में पसीने छूट जाते हैं।
आपकी लापरवाही और नासमझी की वजह से समाजवादी पार्टी, कांग्र्रेस और भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आ सकती है। और फिर क्या होगा? सपा का मतलब है जंगलराज की वापस। कांग्र्रेस का मतलब है पलायन और गरीबी। अगर भाजपा सत्ता में आई तो इसका मतलब हुआ कि सांप्रदायिक और सामंतवादी शक्तियां सत्ता में आ जाएंगी।
-मायावती, इटावा की जनसभा में
केंद्र सरकार ने यूपी के विकास की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन राज्य सरकार की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। बाइस सालों में यूपी इसलिए पिछड़ेपन का शिकार हुआ क्योंकि यहां गैर कांग्र्रेसी दलों का शासन रहा है।
-मनमोहन सिंह,कानपुर में
प्रियंका गांधी वाड्रा का अपनी मां सोनिया गांधी का सार्वजनिक मंच पर गाल में चुटकी काटना महज एक नौटंकी है। कांग्र्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं रह गया है इसलिए मुद्दाविहीन कांग्र्रेस अब नौटंकी पर उतर आई है।
-सुषमा स्वराज
राहुल गांधी के सपनों को साकार करने के लिए वो कांग्र्रेस के साथ हैं और जनता के सपने यह पार्टी ही पूरे कर सकती है।
-संजय दत्त