बेर भी खा रहे प्रत्याशी

नामांकन करने के बाद ये नेता घर-घर घूमकर लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं। कोई जीतने की खातिर लोगों के दिए बेर खा रहा है तो कोई लोक लुभावन वादे से जनता का मन मोह रहा है। बस अंतर है तो इतना कि न तो बेर खाने वाले राम हैं न खिलाने वाले शबरी। लेकिन आखिर वोट का मामला है तो कैंडिंडेट भी कोई मौका नहीं छोडऩा चाहते हैं। कैंडिंडेट्स द्वारा की गई अपील का लोगों पर क्या असर हो रहा है। यही जानने के लिए हमने रुख किया डेलापीर मंडी का।

दिमाग की सुनेंगे

इरफान ने बताया कि समय के साथ नेता भी रंग बदलते रहते हैं। उन्होंने बताया कि नेताओं पर भरोसा कर पाना मुश्किल है। एक बार जीत जाने पर पांच साल बाद ही वे दिखाई देंगे। इरफान ने कहा कि वोट करते समय वे अपने दिल से ज्यादा दिमाग की सुनेंगे। उन्होंने बताया कि वोट डालने के दौरान किसी भी वोटर को ये ध्यान रखना चाहिए कि किस नेता के शासनकाल में उनका विकास हुआ है और कौन आगे उनके विकास में सहभागिता निभाता है। कौन बरेली के डेवलपमेंट में आगे रहेगा।

काम करो vote लो

हरदीप सिंह का जवाब भी अफजल और इरफान से कुछ मिलता जुलता सा था। उन्होंने कहा कि वोट देना हमारा संवैधानिक अधिकार है नेता चाहे जो कुछ कर लें। हम सोच समझकर वोट करेंगे। इसने काम किया होगा उसे ही वोट मिलेगा और जो आने वाले इलेक्शन में काम करके दिखाएगा वहीं आगे भी वोट पाएगा।

उन्होंने बताया कि आज के समय में लोग बहुत जागरुक हैं। उन्हें बातों में नहीं फंसाया नहीं जा सकता। अभी हाल ही में हुए आकड़ों से स्पष्ट है कि लोग इस बार इलेक्शन में बहुत रुझान ले रहे हैं। लोगों को काम से मतलब है जो काम करके दे, वो वोट ले। वरना पब्लिक को रिझाने के अब इलेक्शन के समय गली-गली घूमना कोई फायदे का नहीं है। इस बार पब्लिक जागरूक हो गई है। पब्लिक की प्रॉयरिटी में अब डेवलपमेंट शामिल हो गया है। बरगलाने वालों को वह सबक सिखाना अच्छी तरह जानती है।

अभी तो रोज आते हैं घर पर लोगों से बातचीत के दौरान कुछ इसी तरह की अजीबो गरीब बातें सामने आई। वोटर्स ने बताया कि समय से पहले और भाग्य से ज्यादा न किसी को मिला है और न किसी को मिल सकता है। मोहम्मद अफजल की ढेलापीर मंडी में फलों की शॉप है। उन्होंने बताया कि शायद ही कोई ऐसा दिन होता हो जिस दिन नेता उनके घर और शॉप की ओर रुख नहीं करते होंं। उन्होंने बताया कि आज उनकी (नेताओं की) गरज है तो इसलिए वे हमारे पास आ रहे हैं। देखना तो ये है कि इलेक्शन हो जाने के बाद वे कितनी बार हमारे पास आते हैं। अफजल का कहना है कि कैंडिडेट कितनी जद्दोजेहद कर लें लेकिन वोटर वोट देते समय किसी भी कैंडिडेट के बहकावे में नहीं आएंगे।