ये सूरत तो अब बदलनी ही चाहिए
हर चौथे दिन रेप, पुलिस की फाइलों में दर्ज ये आंकड़ा ही बरेली में महिलाओं का हाल बयां करने के लिए काफी है। ईव टीजिंग के साथ घर हो या बाहर मोलेस्टेशन की प्रॉब्लम सिटी में आम हो चली है। कई मामले तो पुलिस तक पहुंचते हैं लेकिन लोक-लाज के डर से कई गल्र्स पीड़ा को पी जाती हैं। असल में रेप हो या फिर ईव टीजिंग जैसे मामले पुलिस की चौखट पर पहुंचने के बाद भी गल्र्स को बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ता है। यही नहीं अधिकांश मामलों में तो आरोपी तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाती।
रक्षक ही बन रहे भक्षक
नवंबर माह बीतते-बीतते 74 रेप के मामले पुलिस की जीडी में रिकॉर्ड हो चुके हैं। इनमें से 22 केसेज सिटी के थाना क्षेत्रों में रजिस्टर्ड हैं। दो मामलों में तो पुलिसकर्मी ही आरोपी हैं। मामला डिपार्टमेंटल होने के चलते पुलिस भी इन मामलों पर कड़ाई से बचती है। आरोपी दोनों पुलिसकर्मियों की बारादरी थाना में ही तैनाती थी। आरोपियों में से एक तो पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है लेकिन एक अभी खुलेआम घूम रहा है। सिक्योरिटी पर सवालिया निशान
डिस्ट्रिक्ट में रेप और छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं के चलते पुलिस की वर्किंग पर भी सवालिया निशान लगते रहे हैं। सुरक्षा की बात तो दूर किसी लड़की के कंप्लेन पर एक्शन लेने में भी पुलिस का रवैया बेहद सुस्त रहता है। स्कूल, कॉलेज, मार्केट व अन्य ऐसे स्थान जहां पर छेड़खानी की वारदातें सबसे अधिक होती हैं, दावों के बावजूद शायद ही कभी पुलिस की तैनाती दिखती हो।
नाबालिग से सिपाही की दरिंदगी
बारादरी थाना में तैनात सिपाही सुरकेश ने हारुनगला की रहने वाली 15 साल की लड़की के साथ रेप का प्रयास किया। बता दें कि लड़की के माता-पिता की मौत हो चुकी है। वह अपने भाई के साथ रहती है। लड़की ने सिपाही की आवाज मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली। इसके जब लड़की रिपोर्ट लिखाने बारादरी थाना में गई तो एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। पीडि़ता ने पुलिस अधिकारियों की चौखट पर खूब मिन्नतें की लेकिन उसकी पीड़ा से कोई नहीं पिघला। बाद में डीएम से शिकायत करने पर आरोपी सिपाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। रिकॉर्डेड आवाज की एक सीडी भी डीएम को सौंपी। सिपाही का ट्रांसफर उन्नाव किया जा चुका है। ड्यूटी पर न पहुंचने तथा इस तरह के घिनौने अपराध में शामिल होने पर थर्सडे एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह ने सिपाही को सस्पेंड कर दिया।
मैं सजा दिलाकर रहूंगी
सिपाही ने मेरे साथ घिनौनी हरकत की। मैं इस घटना को कभी नहीं भुला पाउंगी। सबूत होने के बाद भी पुलिस ने मेरी नहीं सुनी। आरोपी
पुलिस वाला मुझे धमकी भी दे रहा है। मैं चाहती हूं कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले। सजा दिलाने के लिए मैं पीछे नहीं हटूंगी। मेरी
मदद मेरी मौसी कर रही हूं। मामले को महिला आयोग व मानवाधिकार
आयोग तक ले जाउंंगी।
रेप - 74
मोलेस्टेशन- 96
ईव टीजिंग- 29
आरोपियों पर कार्रवाई
एनएसए- 2
गुंडा एक्ट- 14
110 जी- 30
(नवंबर तक के आंकड़े)
आरोपियों को नहीं बख्शा जाएगा
रेप की बढ़ती घटनाओं पर एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह का कहना है कि आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा। सभी थाना एसओ को ऐसे मामलों में तुंरत एफआईआर दर्ज कर अरेस्टिंग के निर्देश दिए हैं। इस साल हुए अधिकांश मामलों के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। एसएसपी का कहना है कि महिलाओं की हेल्प के लिए महिला हेल्प लाइन व एंटी ऑब्सीन सेल खोली गई है। सर्विलांस सेल की भी मदद ली जा रही है। महिलाएं डायरेक्ट उनके नंबर पर भी कंप्लेन कर सकती हैं।
For women's help
महिलाओं की हेल्प के लिए पुलिस ने वैसे तो कई व्यवस्थाएं कर रखी हैं। वे पुलिस कंट्रोल रूम में शिकायत कर सकती हैं। उनके लिए वूमेन हेल्प लाइन भी खोली गई है। अक्टूबर में एंटी ऑब्सीन सेल का गठन किया गया। इसमें भी वे छेड़खानी की कंप्लेन कर सकती हैं। मोबाइल से एसएमएस कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इसके अलावा वूमेन पावर हेल्पलाइन नंबर 1090 पर भी अपनी कंप्लेन कर सकती हैं। इन सभी जगह उनकी आईडेंटिटी सीक्रेट रखी जाती है।
वूमेन पावर लाइन- 1090
वूमेन हेल्पलाइन- 0581-2567333
महिला थाना- 0581-2559553
महिला थाना एसओ- 9454403095
एसपी सिटी- 9454401035
एसएसपी- 9454400260
कोच लेडीज और पैसेंजर मेल
महिलाओं के लिए ट्रेन का सफर भी महफूज नहीं रह गया है। महिलाओं की सेफ्टी श्योर करने के लिए रेलवे ने ट्रेनों में लेडीज कोच की व्यवस्था की है। लेकिन इन कोचेज में भी लेडीज के साथ छेड़खानी की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। असल में इन कोचेज में पुरुष बेधड़क घुसने के साथ महिलाओं के लिए रिजर्व सीट्स पर बैठ कर ट्रेवल करते हैं।
रिजर्व सीट पर पुरुषों का कब्जा
दिल्ली में चलती बस में लड़की के साथ रेप की घटना के बाद आई नेक्स्ट की टीम ने जंक्शन पर लेडीज कोच का रियलिटी चेक किया।
दोपहर 12:20 पर जंक्शन पर खड़ी सियालदा एक्सप्रेस के महिला कोच में सीट्स पर पुरुषों का कब्जा था जबकि महिलाएं ट्रेन की फ्लोर पर बैठी थीं। कुछ ऐसे ही हालात अवध आसाम एक्सप्रेस, गोवाहाटी एक्सप्रेस के भी थे।
90% की शिकायत ही नहीं आती
सोर्सेज के अकॉर्डिंग लेडीज कोचेज में होने वाली छेड़खानी की 90 परसेंट घटनाओं की शिकायत महिलाओं द्वारा की ही नहीं जाती। वहीं इन कोचेज की सिक्योरिटी के लिए तैनात जीआरपी के जवान इसे ही कमाई का जरिया भी बना रहे हैं। वह 50 से 100 रुपए लेकर किसी भी
पुरुष की इन कोचेज की सीट्स पर बैठा देते हैं। रोज ट्रेवल करने वाले लोगों और वर्दीधारियों के लिए भी ये कोचेज सुरक्षित ठिकाना बने हैं।
वैसे तो महिला कोच और विकलांग कोच में यात्रा करते हुए पकड़े जाने पर एसी फस्र्ट क्लास का किराया बतौर जुर्माना वसूलने व जेल भेजने का सख्त प्रावधान है। लेकिन जीआरपी जवानों की मेहरबानी से ऐसा कुछ नहीं होता।
बिना एस्कॉर्ट के दौड़ रही टेन
वर्तमान में मुरादाबाद मंडल से गुजरने वाली लगभग 105 ट्रेनों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। जबकि 213 ट्रेंस में जीआरपी और 38 ट्रेंस में आरपीएफ के दो जवान एस्कॉर्ट सिक्योरिटी प्रोवाइड करते हैं। जवानों की कमी के चलते अधिकारी हर ट्रेन में एस्कॉर्ट उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर रहे हैं।
मिर्ची और चाकू से लैस रहेंगी गल्र्स
दिल्ली में चलती बस में लड़की के साथ हुए गैंग रेप की घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। गल्र्स में इसे लेकर अजीब सी
बेचैनी है। इससे शहर की गल्र्स भी सहम गई हैं लेकिन उन्होंने इसका डटकर मुकाबला करने की ठान ली है क्योंकि यहां भी ईव टीजिंग का
ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। अक्सर ऐसे मामलों में गल्र्स चुप्पी साध कर कोई एक्शन न लेने में ही अपनी भलाई समझती हैं पर अब ऐसा नहीं होगा। मनचलों पर अब गल्र्स कहर बनकर टूटेंगी। इसके लिए उनका हथियार बनेंगे चाकू, मिर्ची पाउडर और पेपर स्प्रे। यदि किसी ने उनके साथ छेड़खानी की कोशिश की तो इन हथियारों से हमला बोल देंगी। सिटी के एक कॉलेज में यंग गल्र्स का ऐसा ही ग्रुप तैयार हो रहा है। वे कॉलेज की दूसरी गल्र्स को अपना बचाव करने के लिए अवेयर भी कर रही हैं। यही नहीं ये ग्रुप दूसरी कॉलेज गोइंग गल्र्स की हेल्प भी करेगा।
कोई भी लड़की जुड़ सकती है
मनचलों के खिलाफ बरेली कॉलेज में गल्र्स का ग्रुप तैयार हो रहा है। शालिनी अरोड़ा के नेतृत्व में मीनाक्षी सिंह, पूनम समेत कई और
कॉलेज गल्र्स मिलकर गल्र्स यूथ विंग तैयार कर रही हैं। इसमें कॉलेज की 25 अन्य गल्र्स शामिल होंगी। अपनी इस विंग से जुडऩे के लिए वे दूसरे कॉलेज की गल्र्स को भी इनवाइट करेंगी। यह ग्रुप सिटी के मनचलों से निपटने की रणनीति तैयार करने के साथ, गल्र्स को अवेयर
भी करेगा।
साथ लेकर चलें ये हथियार
इन गल्र्स ने यूथ विंग बनाने के साथ ही कॉलेज की दूसरी गल्र्स को अवेयर करने की शुरुआत भी कर दी है। उन्होंने थर्सडे को कॉलेज के
जीसीआर में अचानक एक जनरल मीटिंग कर सभी को चौंका दिया। पहले तो जीसीआर में मौजूद सभी गल्र्स को इकट्ठा किया और मनचलों से मुकाबला करने की सलाह दी। दिल्ली जैसे मेट्रो सिटीज में गल्र्स और वर्किंग वूमेन को अपने साथ 12 इंच से कम लेंथ वाले चाकू, मिर्ची पाउडर और पेपर स्प्रे रखने की परमीशन दी गई है।
उठाएंगी आवाज
बीसीबी गल्र्स की यह यूथ विंग अन्य कॉलेजेज की गल्र्स को भी अवेयर करेगी। मनचलों से अपने आपको कैसे डिफेंड करना है, उसके
टिप्स देंगी। साथ ही किसी लड़की के साथ अगर ऐसी घटना होती है तो दोषियों के खिलाफ आवाज उठाएंगी। डीएम समेत डिस्ट्रिक्ट के उच्च अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को रखते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी करेंगी।
College administration की help
गल्र्स यूथ विंग अपने इस अभियान में कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन की भी हेल्प लेगी। यूथ विंग ने मेंबर्स बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए वे बाकायदा प्रिंसिपल डॉ। आरपी सिंह और चीफ प्रॉक्टर से परमीशन और हेल्प लेंगी।
Parents को करें inform
दूसरी गल्र्स को सलाह दी कि ऐसी घटनाओं से वे न तो डरें और न छिपाएं। पेरेंट्स के साथ फ्रैंक रहें। उनके साथ सब कुछ शेयर करें। कोई
पीछा कर रहा है या से परेशान कर रहा है तो तुरंत उन्हें बताएं। छिपाने से तो मनचलों का हौसला बढ़ता है।
हम सभी ने मिलकर गल्र्स यूथ विंग बनाने का डिसीजन लिया है। यह विंग मिर्ची पाउडर, पेपर स्प्रे और छोटा चाकू साथ में लेकर चलेगी। साथ ही हम दूसरी गल्र्स को भी यह सलाह देंगे कि इसे फॉलो करें। हम आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए उनकी आवाज
भी उठाएंगे।
-शालिनी अरोड़ा, बीसीबी स्टूडेंट
समय चुप रहने का नहीं है। कैंपस, या फिर सरेआम सड़क पर, आए दिन ईव टीजिंग का शिकार होना पड़ता है। ऐसी घटनाओं का जब
प्रतिरोध करेंगे तभी अंकुश लगेगा। हम गल्र्स को आवाज बुलंद करने के लिए अवेयर करेंगे।
-मीनाक्षी सिंह, बीसीबी स्टूडेंट
ऐसी घटनाओं के खिलाफ जितना हम चुप रहते हैं, उतना ही मनचलों का हौसला बढ़ता जा रहा है। आते-जाते कमेंट्स पास करना और रास्ता रोकना रूटीन में आम हो गया है। इन पर पूरी तरह अंकुश लगना चाहिए।
-पूनम गंगवार, बीसीबी स्टूडेंट
गल्र्स अक्सर ऐसी स्थिति में चुप बैठ जाती हैं। वे अकेली पड़ जाती हैं। जब हमारा सपोर्ट रहेगा तो उनका भी विश्वास बढ़ेगा। मनचलों का
दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए हम सभी ने मिलकर यह कदम उठाने का डिसीजन लिया है।
-फरहीन अंसारी, बीसीबी स्टूडेंट
सड़क पर ही दो-दो हाथ करने की तैयारी
गल्र्स के साथ दिनों-दिन बढ़ रहे क्राइम को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सिटी की गल्र्स ने कमर कस ली है। मनचलों की हड्डी-पसली एक
करने के लिए वह खुद ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग ले रही हैं। दिल्ली में चलती बस में लड़की के साथ हुई गैंगरेप की घटना के बाद गल्र्स का
झुकाव इस ओर काफी बढ़ गया है। वहंीं आए दिन ऐसी घटनाओं के कारण उनका विश्वास पुलिस-प्रशासन से भी उठता जा रहा है।
गल्र्स ने बताया कि वह सेल्फ डिफेंस के लिए ताइक्वांडो सीख रही हैं। इससे ईव टीजिंग या ऐसी किसी ऑड कंडीशन में वह खुद का बचाव
करने के लिए सक्षम होंगी।
राइफल क्लब में लगेगा कैंप
जिला ताइक्वांडो संघ के सेक्रेट्ररी हरीश ने बताया कि संघ की ओर से गल्र्स को ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देने के लिए कैंप ऑर्गनाइज किया जा
रहा है, ट्रेनिंग के लिए गल्र्स राइफल क्लब में शाम 5 बजे के बाद कांटैक्ट कर सकती हैं।
केस वन: ताइक्वांडो सीख रही नसीम (परिवर्तित नाम) ने बताया कि उन्होंने जब ताइक्वांडो की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी तो एक दिन घर से टे्रनिंग सेेंटर जाते समय रास्ते में एक लड़के ने छेड़खानी की। इस पर उन्होंने उस दिन तो कुछ नहीं किया। अगले दिन फिर से ट्रेनिंग सेंटर जाते समय लड़के ने छेड़खानी की तो उन्होंने उसकी आंखों में मिर्ची डाल दी। इसके बाद उसे फिर किसी ने परेशान नहीं किया।
केस टू: आन्या (परिवर्तित नाम) एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं। वह दो साल से जॉब करती हैं। उन्होंने पढ़ाई के साथ ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी। लेकिन जॉब ज्वॉइन करने के बाद उन्हें इसकी ज्यादा जरूरत महसूस हुई। इसके बाद उन्होंने नौकरी के साथ अपनी ट्रेनिंग कंप्लीट की। वह बताती हैं कि ट्रेनिंग कंप्लीट करने के बाद वह अब अपने आप को ज्यादा सेफ महसूस करती हैं। इससे उनका कॉन्फीडेंस भी बढ़ा है।
दिल्ली में तीन दिन पहले जो घटना हुई वह दिल दहलाने वाली है। कई बार तो सड़कों पर निकलने में डर लगता है। रास्ते चलते कमेंट सुनना तो आम बात हो गई है। इस तरह के क्राइम करने वालों को मौत की सजा दी जानी चाहिए।
- रिहाना, स्टूडेंट
राह पर चलते कब कौन दुपट्टा खींच ले, कोई हाथ मार दे। ये सब तो आए दिन की बातें हैं। घर से बाहर निकलना है तो झेलना ही होता है। पर दिल्ली की घटना वास्तव में शर्मनाक है। ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
- ईशा, स्टूडेंट
मैं जॉब के लिए घर से निकलती हूं और जब तक घर नहीं पहुंच जाती हूं डर बना ही रहता है। गल्र्स को परेशान करने वालों को तो फांसी की सजा दी जानी चाहिए।
- अंजली, वर्किंग वूमन