बरेलियंस के बजट पर महंगाई का चौतरफा हल्लाबोल
पांच हजार तक बढ़ गया month का खर्च
डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही बरेलियंस के घर के बजट में चार से पांच हजार रुपये तक उछाल आ गया है। आसमान छूती कीमतों ने पूरी तरह से लोगों के इकोनॉमिक कंडीशन को चरमरा दिया है।
आसमान छूते दाम
डीजल की कीमतों ने दो टाइम के भोजन पर सीधे हमला बोला है। आटा, चावल, दाल, तेल से लेकर मिर्च, अदरक जैसे तमाम रोजमर्रा के सामनों में महंगाई की आग लग गई है। बीते दो वीक में 5 से 30 रुपए इनकी कीमतों में उछाल आ गया है। ये बढ़ी कीमतों का कंबाइंड इफेक्ट पर नजर दौड़ाएं तो महीना पूरा होते-होते घर का बजट पहले की तुलना में हजारों रुपये अधिक होने लगा है।
पड़ रहा एक्स्ट्रा बर्डन
सोसाइटी का कोई भी तबका हो सब महंगाई के इस डोज से परेशान हैं। बिगड़ते बजट को संभालने के लिए लोग अपनी जरूरतों में कटौती भी करने लगे हैं। एक बिजनेसमैन फैमिली से बिलांग करने वाली कैंट एरिया की अल्पना कहती हंै, बजट मेंटेन करने के लिए एक लिमिट तक ही चीजों में कटौती कर सकते हैं। इसके बावजूद महंगाई का असर तो दिखेगा ही।
एग और चिकन खाना आसान नहीं
बढ़ती महंगाई का असर नॉनवेज पर भी कम नहीं है। चिकन, मीट, अंड़ा सभी के दाम 10 से 40 रुपए तक बढ़ गए हंै। बरेली में फिलहाल चिकन 80, मीट 300 रुपये किलो और अंडा 40 से बढ़कर 670 रुपए प्रति पेटी बिक रहा है। थोक अंडा विक्रेताओं की मानें तो बरेली में डेली पांच ट्रक अंडे की खपत है। एक ट्रक में 1050 पेटी होती है। बरेली में अंडे की डिलीवरी हैदराबाद और पंजाब से होती है। अंडा विक्रेताओं का कहना है कि, 15 दिन बाद अंडे का दाम प्रति पेटी 30 रुपए और बढ़ेगा।
रेट लिस्ट
सामान पहले अब
आटा दस केजी- ब्रांडेड (दस केजी) 230 242
चावल बासमती रैनड्राप (प्रति केजी) 45 50
सिल्की राइस (प्रति केजी) 28 31
अरहर दाल (प्रति केजी) 70 77
राजमा (प्रति केजी) 100 111
सोयाबिन ऑयल (प्रति लीटर) 88 92
सरसो तेल ब्रांडेड (प्रति लीटर) 92 100
चीनी (प्रति केजी) 35.90 39.50
ब्रांडेड चाय पत्ती (500 ग्राम) 149 157
सब्जी के दाम
सब्जी पहले अब
आलू पुराना 12 16
आलू नया 20 24
प्याज 10 12
लहसुन 25 30
अदरक 55 60
परवल 34 40
बैंगन 16 20
गोभी 30 50
हरी मिर्च 30 40
कीमतें प्रति किलो में मीट, चिकन, अंडा
पहले अब
अंडा प्रति पेटी 630 670
मीट प्रति केजी 290 300
मछली प्रति केजी 90 100
चिकन प्रति केजी 130 150
नोट - प्राइस में दुकान और दिन के हिसाब
से अंतर हो सकता है.
बढ़ती महंगाई के संदर्भ में किराना एसोसिएशन के महामंत्री त्रिलोकी नाथ गुप्ता का कहना है कि, नॉन ब्रांडेड सामानों का प्राइस कंट्रोल आंध्र प्रदेश से प्रोटेक्टिव मंडी करती है। उसके द्वारा जारी किए गए प्राइस के आधार पर ही बरेली में सामान की बिक्री जारी है। प्रोटेक्टिव मंडी ही डिसाइड करता है। कब किस सामान का दाम बढ़ाना और घटाना है। जहा तक सामान के प्राइस में डिफरेंट की बात है। तो वह दुकान के गुडविल पर डिपेंड करता है कि, कैसा उत्पाद बेच रहा है।
डीजल का दाम बढऩे के बाद परचून सामानों के भी दाम बढ़े हैं। किसी-किसी समान के दाम में तो 20 से 30 रुपए तक का अंतर आया है। कस्टमर भी अब कम समान खरीद रहे हैं।
- शिवम, एक स्टोर के इंप्लॉई
हम लोगों का अपना खुद का बिजनेस है। डीजल के दाम बढऩे से परचून के सामानों के दाम बढ़े हैं। इससे घर का बजट 3 हजार रुपए बढ़ गया है। अगर महंगाई नहीं बढ़ी होती तो तीन हजार रुपए मंथ के सेव होते ।
- अल्पना, कैंट
चावल, आटा से लेकर सभी घरेलू समान के दाम बढ़ गए हैं। मजबूरी है खरीदना तो होगा ही। किसी और चीज में कटौती कर सकते हैं। मगर खाने में कोई क्या कटौती करेगा। अब क्या किया जाए महंगाई कीवजह से जो एक्स्ट्रा वर्डन पड़ रहा है, उसे किसी तरह मेंटेन करना ही है।
- शशि, कर्मचारी नगर
खर्च में कटौती के बावजूद भी दो हजार तक घर का बजट बढ़ गया है। अगर ऐसे ही महंगाई बढ़ती रही तो कोई किस-किस चीज में कितना कटौती करेगा।
- एए शर्मा, सब्जी मंडी
अब क्या किया जाए जीने के लिए खाना तो खाना ही पड़ेगा। महंगाई से लडऩे के लिए पहले जहां महंगे सामान खरीदता था। अब बजट को कम करने के लिए सस्ते सामान खरीदता हूं। जिससे आगे चलकर किसी तरह की प्रॉब्लम न हो।
- हेमंत, कर्मचारी नगर
अब कम ही निकलती हैं कारें
अब तो आलम यह है कि बढ़ती महंगाई से तंग आकर बरेलियंस अपनी व्हीकल्स भी कम ही निकाल रहे हैं। राजेंद्र नगर के रहने प्रदीप सक्सेना बताते हंै कि, मेरे पास तीन टू व्हीलर और एक फोर व्हीलर है। फैमिली और व्हीकल्स पर होने वाले खर्च की बात कही जाए तो महीने का 13 से 15 हजार पड़ जाता है। डीजल के दाम बढऩे के बाद तो मैंने घर का बजट बनाए रखने के लिए अपनी फोर व्हीलर खड़ी कर दी है। इमरजेंसी के दौरान ही उसे निकालता हूं।
दो गुना बढ़ा घर का खर्च
राजेंद्र नगर सी ब्लाक की रहने वाली विमलेश सिंह बताती है कि, मेरे घर का बजट तो डीजल का दाम बढऩे के बाद दोगुना हो गया है। पहले मेरी फैमिली और व्हीकल्स पर होने वाला खर्च 20 हजार था। वहीं डीजल का दाम बढऩे के बाद तो फैमिली और गाड़ी पर होने वाला खर्च 40 हजार के पास पहुंच गया है।
Volvo का किराया बढ़ा, अब जनरल और गोल्ड बसों का नंबर
बढ़ती महंगाई से अब रोडवेज बसों का सफर भी प्रभावित होने वाला है। परिवहन निगम ने बरेली से दिल्ली तक चलने वाली वोल्वो बसों के किराये में 8 रुपए का इजाफा कर दिया है। खास बात यह है कि वोल्वो के साथ ही निगम अब जनरल और गोल्ड लाइन बसों के किराये में भी 10 परसेंट की वृद्धि करने की योजना बना ली है।
349 रुपए हुआ किराया
सेटेलाइट बस अड्डा से दो वोल्वो बस का संचालन दोपहर 12 और रात 11 बजे किया जाता है। बरेली से दिल्ली के लिए वोल्वो बस में एक पैसेंजर को अब तक 341 रुपए बतौर किराया चुकाना पड़ता था। लेकिन किराये में 8 रुपए की बढ़ोतरी होने से अब यह किराया 349 रुपए हो गया है। नया किराया ट्यूजडे से लागू भी कर दिया गया है।
भेजा प्रपोजल
जनरल और गोल्ड लाइन बसों का किराया बढ़ाने के लिए बरेली परिवहन निगम ने मुख्यालय में प्रपोजल भेजा है। बरेली परिवहन निगम की डिमांड पूरी होती है तो पैसेंजर्स को जनरल और गोल्डलाइन बसों में 10 परसेंट ज्यादा किराया चुकाना पड़ेगा।
मरीजों पर आने वाली है मुसीबत
डीजल और गैस सिलेंडर पर मूल्यवृद्धि की मार पेशेंट और तीमारदारों पर पडऩी तय है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के केके भारती बताते हैं कि नर्सिंग होम हो या सरकारी हॉस्पिटल मेडिसिन, एम्बुलेंस के लिए उन्हें अब जेब कुछ ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।
एम्बुलेंस - प्राइवेट सेक्टर की शहर में लगभग 300 एम्बुलेंस चल रही हैं। देखा जाए तो शहर के 80 फीसदी पेशेंट इन्हीं एम्बुलेंस के भरोसे हंै। बरेली डिस्ट्रिक्ट चूंकि मेडिकल हब है, इसलिए आस-पास की डिस्ट्रिक्ट के पेशेंट यहीं आते हंै। डीजल के दामों में लगी आग के बाद एम्बुलेंस का किराया बढऩा तय है।
मेडिसिन - आईएमए के आकड़ों पर गौर करें तो शहर में 375 हॉस्पिटल चल रहे हैं। सभी हॉस्पिटल में मेडिसिन बाहर से आती है। कैमिस्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दुर्गेश बताते हैं कि डीजल के बढ़े दामों का असर जल्द ही मेडिसिन पर भी पड़ेगा। कारण ये है कि शहर में मेडिसिन की आमद शहर के बाहर से होती है। ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने के बाद मेडिसिन महंगी हो जानी है।
ऑक्सीजन - रेगुलर इलेक्ट्रिसिटी की कटौती के चलते ऑक्सीजन का प्रोडक्शन जेनरेटर के सहारे होता है। जेनरेटर में डीजल की खपत तो उतनी ही रहेगी। मगर डीजल के दामों में इजाफा पेशेंट के लिए भारी साबित होने वाला है। क्योंकि अब उसे ऑक्सीजन के लिए भी ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ेगी।
स्टूडेंट्स की थाली का भी बिगड़ेगा टेस्ट
एक साल में 6 सिलेंडर पर सब्सिडी और सातवें पर डबल रेट का कदम स्टूडेंट्स की जेब पर भारी पड़ सकता है। हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स की खाने की थाली महंगी होने की पूरी तैयारी है। पॉसिबल है कि इसी सेशन के बीच में ही स्टूडेंट्स को इस बढ़े बोझ को झेलना पड़े। सोर्सेज की मानें तो मेस चलाने वाले खाने का रेट बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। जाहिर सी बात है कि स्टूडेंट्स का खर्च बढ़ जाएगा।
6 सिलेंडर की रेस्ट्रिक्शन
सेंट्रल गवर्नमेंट ने एलपीजी में सब्सिडी की मियाद तय कर दी है। साल में सब्सिडी वाले केवल 6 सिलेंडर मिलेंगे। सातवें सिलेंडर से डबल दाम देना होगा। यही कदम रसोई का बजट बिगाडऩे वाला है और जिसकी भरपाई किसी न किसी रूप में आम लोगों को ही करनी है।
हाल ही में बढ़ी थी मेस फीस
रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में तीन और बरेली कॉलेज में दो हॉस्टल हैं। अभी हाल ही में आरयू के गल्र्स हॉस्टल, बीडीए और न्यू ब्वॉयज हॉस्टल और मेस की फीस बढ़ी थी। हॉस्टल की फीस 5,500 रुपए थी। उसे बढ़ाकर ईयरली 10 हजार रुपए कर दी गई। वहीं मेस की फीस मंथली 1,600 रुपए से बढ़ाकर 1,700 कर दी गई। हॉस्टल की फीस बढ़ाना यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के हाथ में है। लेकिन मेस का चार्ज ठेकेदार पर निर्भर करता है। वहीं बीसीबी में एक गल्र्स और आजाद ब्वॉयज हॉस्टल है। आजाद में मेस की फीस 2,000 रुपए मंथली और गल्र्स हॉस्टल की फीस 1,600 रुपए है। इन दोनों हॉस्टल में इस सेशन में एलॉटमेंट नहीं हुए हैं। ऐसे में अभी नया रेट चार्ट लागू नहीं हुआ है।
20% बढ़ जाएगी फीस
मेस को मैनेज करने वाले सोर्सेज के मुताबिक, हॉस्टल मेस के चार्ज में करीब 20 परसेंट की बढ़ोतरी हो सकती है। इस वर्ष नए सेशन में 6 से 7 परसेंट की बढ़ोतरी की गई है। बढ़ी फीस कभी भी लागू हो सकती है। सोर्सेज की मानें तो सेशन के बीच में ही फीस बढ़ाई जा सकती है। ऐसे में इस सेशन में स्टूडेंट्स को महंगाई का डबल डोज झेलना पड़ सकता है।