बस जान बच गई

नवंबर 24-25, 2008 मेरा रेडियोटेलफोनी का मुंबई में एग्जाम था। हम दो फ्रेंड्स थे तो एग्जाम्स के बाद हमने दो दिन घूमने की प्लानिंग की थी। इसी प्लानिंग के तहत 26 नवंबर क ो मैं और मेरा फ्रेंड मरीन ड्राइव पर मौजूद थे। हम बात ही कर रहे थे कि कुछ देर बाद अचानक से फायरिंग की आवाज आनी शुरू हो गई। हमने इन्हें पटाखों की आवाज समझा और अपने काम में व्यस्त रहे। पर अचानक वहां लोगों की भीड़ पहुंची और भगदड़ मचने लगी। हम भगदड़ में फंस चुके थे। पुलिसवाले लोगों क ो जल्दी-जल्दी घर भेज रहे थे। भीड़ से ही हमें पता लगा कि वहां टेरेरिस्ट अटैक हुआ है। इसके बाद हम जैसे-तैसे घर पहुंचे। घर पहुंचते ही टीवी पर जो कुछ दिखाई दिया वह रोंगटे खड़े करने वाला था। इसके बाद तो हम तीन दिन तक घर से निकले ही नहीं। अब जब भी उस पल के बारे में सोचता हूं तो सिहरन सी दौड़ जाती है। अच्छा हुआ कि कसाब को फांसी दे दी गई, पर इसमें सरकार ने काफी देर कर दी। अब सरकार को जल्द ही अन्य आतंकियों की सजा भी फाइनल कर देनी चाहिए।

-वरुण खंडेलवाल, बिजनेसमैन

पांच मिनट के फासले पर थी मौत

26 नवंबर क ो मैं मुंबई में ही था। इस वाकये की याद मुझे सिर से पांव तक हिला देती है। उस पल में मेरे और मौत के बीच केवल पांच मिनट का ही फासला बाकी था। खुदा का शुक्र है कि उसने मेरी जान बचाई। मैं अपने भाई के घर से मार्केट गया था। तकरीबन रात के 9:40 का समय था। मैं वीटी स्टेशन पर जा रहा था, तभी कुछ अजीब सा शोर सुनकर अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि मैं मस्जिद बंदर स्टेशन पर जाऊं। इसकी एक वजह यह भी थी कि मैं हमेशा इसी स्टेशन पर जाता था। अगर मैं उस समय वीटी स्टेशन के लिए गया होता तो मैं भी हमले का शिकार हो सकता था। पर जब मैं घर पहुंचा तो मुझे मेरे भाई ने घटना की जानकारी दी। तब मुझे पता लगा कि वह भगदड़ और फायरिंग का शोर था। और मैं मौत के मुंह से वापस आया हूं। इस बीच टीवी में अटैक की खबरें देखकर घरवाले भी काफी परेशान हो गए थे। पर मैंने खुदा से शुक्रिया अदा किया कि उसने मुझे मौत के रास्ते से वापस बुला लिया। कसाब को फांसी से खुश तो हूं पर इसमें हुई देरी पर सरकार से नाराजगी भी है।

-अतीक खान, बिजनेसमैन

‘Operation Black Tornado’ में थे जाट रेजीमेंट के जांबाज

बरेली की धरती पर जिन रिक्रूट्स ने अपना पसीना बहाकर दुश्मनों के हौंसलों को तोडऩे वाली जो ट्रेनिंग हासिल की। उन्होंने मुम्बई में चार साल पहले हुए टेरेरिस्टि अटैक करने वालों को मुंह तोड़ जवाब दिया। दरअसल, मुंबई में 26-11 क ो टेरेरिस्ट अटैक में एनएसजी के जिन जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मनों को खदेड़ दिया था, उनमें से कुछ जवानों की ट्रेनिंग बरेली के जाट रेजीमेंट सेंटर में भी हुई है। रेजीमेंट के अधिकारियों के मुताबिक मुंबई हमले के दौरान एनएसजी की जो यूनिट्स टेरेरिस्ट्स को खदेडऩे के लिए भेजी गईं थीं, उनमें कुछ जवान जाट रेजीमेंट से एनएसजी में पहुंचे थे। जाट रेजीमेंट के किसी भी रिक्रूट की ट्रेनिंग बरेली के ट्रेनिंग सेंटर में ही कराई जाती है। इंडियन आर्मी के किसी भी रेजीमेंट के जवानों को एनएसजी में जाने का हक होता है। उन्हें इसके लिए कुछ टेस्ट पास करने होते हैं और उन्हें एनएसजी की स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके लिए रेजीमेंट के जांबाज जवानों को ही प्रिफर किया जाता है।