फैक्ट एंड फिगर
44 वार्ड्स का सीवर होगा साफ
88 करोड़ की लागत से होगा काम
35 एमएलडी सीवर की होगी सफाई
बरेली(ब्यूरो)। शहर के सीवर को साफ करने के लिए जल्द ही जल निगम 88 करोड़ रुपए की लागत से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने जा रहा हैै, जो सितंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा। इससे शहर से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करने के बाद किला नदी में छोड़ दिया जाएगा। इसको लेकर जल निगम की ओर से कार्य किया जा रहा हैै।
44 वार्ड्स के सीवर होंगे साफ
अमृत योजना के तहत जल निगम की ओर से सराय तल्फी में बनाए जा रहे 35 एमएलडी एसटीपी से निगम क्षेत्र के वार्डों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करने के बाद किला नदी में छोड़ दिया जाएगा। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट यानि एसटीपी के लिए शहर में 173 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन को जोड़ा गया हैै। इसके अंतर्गत 44 वार्डो से निकलने वाले गंदे पानी के उपयोग से नदियों को दूषित होने से बचाया जा सकेगा।
क्या हैै विशेषता
प्लांट बनने के बाद नालों से बह रहे गंदे पानी को साफ किया जाएगा। एक्सपर्ट्स के अनुसारपानी का दोहन कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन प्रयोग के बाद बेकार हो चुके पानी को साफ करके पर्यावरण के अनुकल बनाया जा सकता है। इसके लिए जल निगम की ओर से बरेली निगम क्षेत्र के 44 वार्डों में सीवर लाइनों को जोड़ा गया हैै। जल निगम के सहायक अभियंता अरुण प्रताप के अनुसार प्लांट सितंबर तक तैयार हो जाएगा। इसका कार्य प्रगति पर हैैं।
क्या काम करता है प्लांट
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट घरों और बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी को सीधे नदी में मिलने से रोकता है। इसमें दूषित पानी को फिर उपयोग में लाने के लिए एसटीपी का प्रयोग किया जाता है। पानी को साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है, जिससे दूषित पानी दोबारा उपयोग के लायक बन पाता है। साथ ही साफ जल में घुलने पर उसे दूषित होने से भी बचाता है। बरेली में 150 एमएलडी का सीवेज उत्पन्न होता है।
गुणवत्ता होती हैै प्रभावित
नदियों में दूषित पानी जाने से जलीय जीव से लेकर मनुष्य तक हर कोई प्रभावित होता हैै। इसके कारण ग्र्राउंड वॉटर की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैै। साथ ही नालों से निकलने वाला पानी नदियों में जाने से पानी पीने योग्य नहीं रहता हैै। गंदे पानी से कई तरह की बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती हैै।