बरेली (ब्यूरो)। क्योलडिय़ा में बाढ़ का दंश, फसल की बर्बादी के बाद अमीरनगर के लोगों को घरौंदा बचाने की ङ्क्षचता सताने लगी है। विकराल रूप धारण कर चुकी देवहा नदी गांव से 10 मीटर दूरी पर बह रही है। थोड़ा और कटान हुआ तो नदी के गांव में पहुंचने में देर नहीं लगेगी। ग्रामीणों की परेशानी को गंभीरता से लेते हुए ङ्क्षसचाई विभाग ने देवहा किनारे 700 मीटर की पिङ्क्षचग बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए ड्रोन से दो बार सर्वे भी कराया गया है। वहीं अब विभाग बजट के लिए शासन को प्रस्ताव भेजेगा। सब कुछ ठीक रहा तो ग्रामीणों की समस्या का जल्द समाधान होगा।

जुलाई में हुई थी बारिश

जुलाई की शुरूआत में जब मानसून ने दस्तक दी तब एक सप्ताह तक लगातार वर्षा हुई थी। पहाड़ों पर हुई भारी वर्षा के बाद अन्य बड़ी नदियों के साथ देवहा में भी पानी छोड़ा गया था। इसके साथ ही नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था। कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया था। गन्ने और धान की फसलें बर्बाद हो गईं थीं। नौबत यहां तक आ गई कि ग्रामीणों को ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ा। यही हाल बीते सितंबर के दूसरे सप्ताह हुई वर्षा के बाद हुआ था। पहले बाढ़ ने लोगों को दर्द दिया।

नदी के किनारे मुश्किल

सबसे ज्यादा भयावह स्थिति देवहा किनारे बसे अमीरनगर गांव की है। ग्रामीणों का कहना है देवहा ने कई बीघा भूमि का कटान कर लिया है। नदी अब आबादी के पास आ चुकी है। ङ्क्षचता सता रही है कि अगर यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब नदी गांव में बहने लगेगी। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बाढ़ की तबाही से फसलों का नुकसान और गांव को देवहा नदी से खतरे की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा है। अब सचाई विभाग ने इसका संज्ञान लेते हुए पिचिंग कार्य कराने का निर्णय लिया है। अधिकारियों की माने तो ङ्क्षसचाई विभाग गांव को बचाने को लगभग 700 मीटर एरिया में करीब छह करोड़ की लागत से पिङ्क्षचग कार्य कराएगा.भूपेंद्र ङ्क्षसह जेई ङ्क्षसचाई विभाग बरेली ने बताया कि गांव को नदी से बचाने को ड्रोन से दो बार सर्वे हो गया है। जल्द प्रस्ताव पर शासन से मंजूरी मिलने के बाद गांव में पिङ्क्षचग कार्य होगा।

पुल को किया था आंदोलन

बात 2008 की है। बाढ़ आने पर अमीरनगर का बांध टूटा तो गांव नदी से चारों ओर से घिर गया। वर्षों तक ग्रामीण नदी में तैरकर और नाव के सहारे गांव तक आते जाते थे। कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के सामने मुद्दा उठाया गया, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद ग्रामीणों ने समस्या समाधान के लिए आंदोलन शुरू किया। लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया। जब बात शासन प्रशासन तक पहुंची तो पुल निर्माण की कवायद आगे बढ़ी। तत्कालीन सांसद संतोष गंगवार और पूर्व विधायक स्व.केसर ङ्क्षसह के प्रयासों से करोड़ों की लागत से दो साल पहले अमीरनगर पुल का निर्माण हुआ। ग्रामीण गांव बचाने को डीएम बरेली और सांसद छत्रपाल गंगवार और विधायक डॉ। एमपी आर्य से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं।