>IVRI के वेटरनरी क्लीनिक पहुंच रहे 50 फीसदी पेट्स में हीट-स्ट्रेस

हीट-स्ट्रेस, बाबेसिया और स्किन डिसीज हैं गर्मी में कुत्तों को होने वाली खतरनाक बीमारी

BAREILLY:

पूरे शबाब पर चल रही गर्मी लोगों के साथ-साथ पेट्स को भी बेहाल कर रही है। तेज गर्मी और अचानक बदल रहे मौसम का असर पेट्स पर भी हो रहा है। गर्मी से पेट्रस को हीट-स्ट्रेस' हो रहा है। अगर आपका डॉगी सुस्त रहने लगा है, या फिर उसने खाना-पीना बंद कर दिया है, तो संभल जाइए। हो सकता है हाई टेम्प्रेचर उसकी बॉडी को प्रभावित कर रहा हो। इस उमस भरे मौसम में पेट्स में हीट स्ट्रेस समेत कई अन्य बीमारियां पैदा होती है, जो उनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। आइए हम आपको बताएं कि गर्मी में होने वाली बीमारियों से आप अपने डॉगी को कैसे बचा सकते हैं।

हीट-स्ट्रेस की चपेट में पेट्स

जैसे-जैसे टेंप्रेचर ऊपर जाता है, इसका असर जानवरों की बॉडी में हीट स्ट्रेस के रूप में होता है। पालतू जानवर की बात करें तो कुत्ते में ये हीट स्ट्रेस ज्यादा प्रभाव डालता है। आईवीआरआई में इस समय इलाज के लिए आने वाले जानवरों में से 50 फीसदी हीट-स्ट्रेस से पीडि़त हैं। जो बताने के लिए काफी है कि आपके डॉगी पर खतरा मंडरा रहा है। अगर आपका डॉगी हांफ रहा है या उसे उल्टी आ रही है। या जुकाम, सूखी खासी, बुखार या फिर उसका यूरिन बंद है। तो अलर्ट हो जाएं, क्योकि ये लक्षण बताते है कि आपके पेट्स को हीट-स्ट्रेस जकड़ लिया है। हीट-स्ट्रेस को हल्के में लेने की गलती न करें। आईवीआरआई वेटरनरी पॉलीक्लीनिक के डाक्टर्स इस बीमारी को सीबियर कहते हुए तुरंत इलाज कराने की सलाह देते हैं।

ेट्स को ये ट्रीटमेंट

- डॉगी के शरीर की दिन में कम से कम एक बार ठंडे पानी से सिकाई करें।

- कुत्ते को खुले, सूखे व ठंडे स्थान पर रखें, संभव हो तो उसे एयरकंडीशन्ड प्लेस में रखें।

- ज्यादा गर्म व हैवी खाना न दें, हफ्ते में अधिकतम दो बार चिकिन मीट ही खिलाएं।

- अगर पेट्स ठंडा पीता है तो उसे ठंडा पानी ही पिलाएं। हफ्ते में अधिकतम दो बार नहलाएं।

- दोपहर में खाना देने से बचें, ज्यादा गर्मी से खाना डायजस्ट नहंीं होगा, जिससे मोशन में प्रॉब्लम होगी।

- खाने में दही ऐड करें, कुत्ते को दोपहर में बाहर न जानें दें।

स्किन की होती है प्रॉब्लम

गर्मियां शुरू होने पर जानवर विशेषकर पालतू जानवरों में स्किन डिसीज जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। कुत्तों में टिक यानि किलनी से होने वाला ये रोग अन्य गंभीर बीमारियों का वाहक है। इस बीमारी में शरीर का खून कम हो जाता है। डॉक्टर के मुताबिक बीमारी का प्रमुख लक्षण कुत्ते का भूखा रहना, उल्टी व एबनार्मन बिहेवियर है। इसके अलावा गर्मी बढ़ने के साथ पसीने की ग्रंथी वाले जानवर जैसे कुत्तों में स्किन इंफेक्शन जैसे फंगस, एक्टोपैरासाइट यानि चिपचिपी त्वाचा जैसी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। ये समस्याएं कुत्ते के शरीर में पल रही किसी भी प्राइमरी स्टेज से बहुत ज्यादा बीमारी कर देती हैं।

बरतें कुछ सावधानी

- ज्यादा पसीना निकलने से बॉडी में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, इसलिए कुत्ते की प्रॉपर सफाई करें।

- बुल डॉग, पामेलियन, जर्मन शेपर्ड व अन्य ऐसी ब्रीड के कुत्तों की सफाई का विशेष ख्याल रखें जिनके बाल बड़े होते हैं।

- बॉडी पर रेड पैचेज या फिर फंगस पैदा हो रही हो, या फिर पेट में सूजन हो तो अलर्ट हो जाएं।

- किलनी पैदा होने पर बॉडी के उस हिस्से की विशेष सफाई करें। कुत्ते का प्रॉपर वैक्सीनेशन कराएं।

हर दिन करीब भ्0 से म्0 जानवर इलाज के लिए लाए जाते हैं, जिनमें से इस समय भ्0 फीसदी हीट-स्ट्रेस के शिकार हैं। इन समय कुत्ते जैसे स्वैटिंग ग्लैंड वाले जानवरों में स्किन प्रॉब्लम बहुत बढ़ जाती हैं।

- डा। बीके पती, मेडिसिन डिविजन, आईवीआरआई रेफिरल वेटरनरी पॉलीक्लिनिक