(बरेली ब्यूरो)। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू) का 47वां स्थापना दिवस ट्यूजडे को बहुत उत्साह के साथ मनाया गया। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन प्रो। केपी ङ्क्षसह की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा। एके तिवारी डायरेक्टर एवियन रिसर्च इंस्टीट््यूट (आइएआरआइ) तथा विशिष्ट अतिथि डा। नितिन मौर्य प्रेसिडेंट नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआइएफ) देहरादून रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो। पीवी ङ्क्षसह, डीन स्टूडेंट््स वेलफेयर ने विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट को भी पेश किया। जिसमें विश्वविद्यालय की गत वर्षों की उपलब्धियों को क्रमवार प्रस्तुत किया। जिसके बाद विश्वविद्यालय के एनएसएस कोआर्डिनेटर डा। सोमपाल ङ्क्षसह ने विश्वविद्यालय का वार्षिक एनएसएस रिपोर्ट प्रस्तुत किया। क्रीड़ा सचिव डा। आलोक श्रीवास्तव ने खेलकूद की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद विश्वविद्यालय एवं एनआइएफ गांधीनगर गुजरात के बीच एक मेमोरेंडम आफ अंडर स्टैंङ्क्षडग पर हस्ताक्षर हुए।

मुख्य अतिथि इंडियन एवियन रिसर्च इंस्टीट््यूट बरेली के निदेशक डा। एके तिवारी द्वारा सभा को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध विश्वविद्यालय संबंधी जानकारियों की प्रशंसा की। कहा कि रुविवि एक विस्तृत भूभाग में फैला हुआ है। इसके बाद भी वह छात्र हित एवं शिक्षण के साथ-साथ शोध कार्यों को जिस प्रकार पर चढक़र बढ़ावा दे रहा है वह अनुकरणीय है। विशिष्ट अतिथि डा। नितिन मौर्य प्रेसिडेंट एनआइएफटी ने कहा की हमें अपनी ताकतों को अपने संसाधनों को तथा अपने ज्ञान को एक दूसरे से बांट कर उसका विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय में जो मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंङ्क्षडग पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसका परिणाम तीन वर्षों में लिखना प्रारंभ हो जाएगा। कहा कि इनोवेशन काउंसिल का चार मुख्य कार्य है सेंस इनोवेशन, सर्च इनोवेशन, स्प्रेड इनोवेशन तथा सेलिब्रेट इनोवेशन अर्थात नवाचार का पता लगाना उसे महसूस करना उसका विस्तार करना एवं उसका प्रचार प्रसार करना। इससे समाज में नए उत्पादों तथा बेहतर जीवन उपलब्ध कराने के संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा। कुलसचिव अशोक कुमार अरङ्क्षवद, चीफ प्राक्टर प्रो। जेएन मौर्य, प्रो। संजय गर्ग, डा। एके ङ्क्षसह, प्रो। आशा चौबे, डा। अमित ङ्क्षसह, डा। हेमा वर्मा, डा। ओपी उपाध्याय, उपकुलसचिव आनंद मौर्य एवं तपन वर्मा, तूलिका सक्सेना, प्रो। आशा चौबे आदि रहीं।

1975 में हुई थी रुविवि की स्थापना
रुविवि के कुलपति प्रो। केपी ङ्क्षसह ने कहा की वैसे तो इस विवि की स्थापना सन 1975 में हुई, लेकिन 1837 से ही बरेली शिक्षण क्षेत्र में एक उल्लेखनीय स्थान रखता है। विश्वविद्यालय में अनेकों सेल डायरेक्टरेट तथा सेंटर खोले गए हैं। यदि वह सभी अपनी पूर्ण क्षमता से कार्य करें तो विश्वविद्यालय शीघ्र ही विश्व पटल पर सुर्खियां बनेगा। कुलपति ने छात्र केंद्रित शिक्षा प्रणाली के विकास पर जोर दिया एवं छात्रों को अधिक से अधिक मार्गदर्शन देने के लिए शिक्षकों को प्रेरित किया। कहा की जिस प्रकार विदेशों में पढऩे वाले छात्र मात्र एक समेस्टर की फीस के लिए लोन लेकर वहां चले जाते हैं। जिसके बाद आय के संसाधन बनाकर अपनी फीस की व्यवस्था व स्वयं कर लेते हैं उसी प्रकार विश्वविद्यालय के छात्रों को भी अपने प्रथम सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर लेने के पश्चात आय के स्रोत जुटाने में छात्रों की मदद करनी चाहिए। ताकि गरीब छात्रों के परिवार पर किसी प्रकार का आर्थिक बोझ ना रहे। विश्वविद्यालय की शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की प्रशंसा करते हुए कहा की चुनाव के अगले दिन ही विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस होने के उपरांत भी सभी थके हारे कर्मचारियों ने बढ़ चढक़र इसमें भाग लिया एवं कार्यक्रम को सफल बनाया।