(बरेली ब्यूरो)। जीवनधारा पुनर्वास एवं शोध संस्थान व स्पेशल ओलंपिक भारत उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयास से वल्र्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया गया। इस अवसर पर सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक गांधी उद्यान में फन गेम्स आयोजित किए गए। इस दौरान डॉ। राका चावला ने कहा कि ऑटिज्म एक प्रकार की मानसिक जटिलता है, जिसमें बच्चों को सामान्य व्यवहार करने में परेशानी होती है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे अभिशाप माना जाता है। इसका इलाज में अवेयरनेस की महत्वपूर्ण भूमिका है।

35 लाख लोग हैैं प्रभावित
उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में सभी प्रकार की अक्षमताओं में एक प्रमुख ऑटिज्म है, जिससे देश में लगभग 35 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैैं। इसकी पहचान करने में थोड़ी कठिनाई होती है, क्योंकि ऐसे में बच्चे की हरेक गतिविधि को थोड़ा गौर से देखना होता है, क्योंकि जब बच्चा खुद में हमेशा लीन या खोया हुआ रहता है तो उसमें काफी हद तक ऑटिज्म हो सकती है।

लॉकडाउन ने बढ़ाए पेशेेंट
संस्थान के क्लीनिकल डायरेक्टर एक राम सिंह ने बताया लॉकडाउन के कारण ऑटिज्म की समस्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। सामाजिक दूरी के कारण इन बच्चों के विकास में बाधा उत्पन्न हुई है। ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी तथा बिहेवियर थेरेपी की अहम भूमिका है।

अवेयरनेस ही उपचार
इसका निदान प्रमुख रूप से अवेयरनेस से किया जा सकता है। इसी क्रम में हर साल दो अप्रेल को वल्र्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है। लोगों को ऑटिज्म को लेकर मानसिकता बदलने की जरूरत है। इसे से प्रभावित बच्चों के लक्षणों को पहचान कर उचित परामर्श देकर इलाज किया जा सकता है। डायेक्टर सरस्वती नंदा ने बताया कि नीला और सफेद रंग ऑटिज्म का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर विपिन कुमार सक्सेना, अमित विश्वकर्मा, धीरेंद्र पाल, डॉक्टर वैशाली रायजादा, नाज आजमी, सुल्ताना, सोनल भाटिया, स्पेशल ओलंपिक के मेहता भोपाल सिंह मेहता, हर्ष चौहान आदि का खास सहयोग रहा।