हिमांशु अग्निहोत्री (बरेली)। किसी भी मरीज के लिए जेनेरिक दवाएं वरदान से कम नहीं हैैं। जेनेरिक दवाओं के प्रति तमाम भ्रांतियां जहां पैर पसारे हुए हैैं। वहीं सिटी के कई चिकित्सकों द्वारा इन्हें लिखा भी नहीं जा रहा है। वह सीधे दवाओं के ब्रांड लिखने पर ही फोकस करते हैैं। ऐसे में जेनेरिक के प्रति अवेयरनेस फैलाने के उद्देश्य से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से &जेनेरिक दवाएं भी हैैं असरदार&य नाम से कैंपेन चलाया जा रहा है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ और डब्लूएचओ को खबर भी टैग करते हुए ट्वीट की गई थी। इस मामले का नेशनल मेडिकल काउंसिल ने गंभीरता से संज्ञान लिया। इसके बाद सभी निजी डॉक्टर्स को निर्देश जारी कर कहा है कि सभी डॉक्टर्स द्वारा जेनेरिक दवाएं लिखी जाएं। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई भी की जा सकती है। इस बीच आईएमए अध्यक्ष डॉ। विनोद पागरानी ने कहा है कि आदेशों का पालन किया जाएगा और सभी डॉक्टर्स इसे गंभीरता से लेंगे।

नहीं लिखने पर होगी कार्रवाई
नेशनल मेडिकल काउंसिल ने रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के लिए पेशेवर आचरण संबंधी नियमों में कहा है कि वे जेनेरिक नामों से दवाएं लिखें। साफ अक्षरो में पर्ची लिखें। बड़े अक्षरों में दवा लिखने को प्राथमिकता दें। जहां तक संभव हो स्लिप प्रिंटेड होनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करते हैैं तो उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। नियम उल्लंघन करने वाले डॉक्टर्स को नियम के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी जाएगी। बार-बार नियम उल्लंघन करने पर निश्चित अवधि के लिए लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है।

क्या होती हैैं जेनेरिक दवाएं
एनएमसी के अनुसार जेनेरिक दवा ब्रांडेड दवा से खुराक, प्रभाव, खाने का तरीका, गुणवत्ता और असर में समतुल्य होती है। जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले 30 से 80 पर्सेंट सस्ती होती हैैं। जेनेरिक दवा जिस सॉल्ट से बनी होती है। उसी नाम से जानी जाती है। वहीं ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं वे हैैं जिनकी पेटेंट अवधि समाप्त हो गई है। दवा कंपवियां उनका प्रोडक्शन और मार्केटिंग दूसरे ब्रांड से करती हैैं। ये दवाएं ब्रांडेड पेटेंट दवाओं के मुकाबले सस्ती हो सकती हैैं।

न्यूज हुई थी पब्लिश
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से पब्लिक को जेनेरिक के प्रति अवेयर करने के लिए &जेनेरिक दवाएं भी असरदार&य नाम से कैंपेन शुरू किया था। इसमें सिटी के कई डॉक्टर्स द्वारा जेनेरिक दवा न लिखने, पेशेंट्स के बीच फैलीं भ्रांतियों, कितनी सस्ती हैं जेनेरिक दवाएं आदि जैसे मुद्दों को शामिल किया गया था। साथ ही इसके प्रति विभिन्न माध्यमों से पब्लिक को अवेयर भी किया जा रहा था। सैटरडे को नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी किए गए निर्देशों के बाद डॉक्टर्स को जेनेरिक दवाएं लिखना जरूरी हो गया है। ऐसा न करने पर उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है।

क्यों सस्ती हैैं जेनेरिक दवाएं
पेटेंट ब्रांडेड मेडिसिन का प्राइस कंपनीज निर्धारित करती हैैं। रिसर्च, मार्केटिंग, डेवलपमेंट आदि पर रुपए खर्च किए जाते हें। वहीं जेनेरिक दवाएं पेटेंट फ्र होती हैैं। इस वजह से जेनेरिक दवाओं की सीधे मैन्यूफैक्चिरिंगकी जाती है। इनकी कीमतें सरकार के हस्तक्षेप से डिसाइड की जाती हैैंं। इनके एड पर खर्च नहीं किया जाता है। न इसमें कमीशन का खेल होता है। इस वजह से जेनेरिक दवाएं सस्ती बिकती हैैं। क्वालिटी में ये दवाएं ब्रांडेड से कमतर नहीं होती हैैं।

वर्जन
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से चलाई गई मुहिम काफी प्रभावी रही। इसका असर आम जनमानस पर पड़ेगा। एनएमसी के निर्देश आए हैैं। डॉक्टर्स को जेनेरिक दवाएं लिखनी चाहिए।
संदीप कुमार, एसिस्टेंट कमिश्नर, ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी

एनएमसी ने अगर निर्देश दिया है कि सभी डॉक्टर्स जेनेरिक दवाएं लिखेंगे तो उसको फॉलो किया जाएगा। हम तो पहले से ही जेनेरिक दवाएं मरीजों को लिखते हैं। अब जो भी निर्देश होंगे उसे ध्यान दिया जाएगा।
डॉ। विनोद पागरानी, अध्यक्ष आईएमए

एनएमसी के निर्देश को हम पहले से ही फॉलो कर रहे हैं। अब निर्देश मिला है तो उस पर ध्यान दिया जाएगा। हमारे यहां तो पहले से ही जेनेरिक दवाएं लिखी जा रही थी। पेशेंटस भी फ्री है चाहे वह बाहर से जेनेरिक दवाएं ले या फिर ब्रांडेड दवाएं ले सकता है।
डॉ। राजकमल श्रीवास्तव