बरेली(ब्यूरो)। सडक़ों पर बढ़ रही दुर्घटनाओं के कारणों में से एक वाहनों का अनाड़ी हाथों द्वारा संचालित किया जाना भी है। इस बात की पुष्टि तब हुई, जब डीएल बनवाने के लिए ऑटोमैटिक टेङ्क्षस्टग ड्राइङ्क्षवग ट्रैक की शुरुआत की गई। पहले मैनुअल टेस्ट में लोग हल्की गलती करने के बावजूद पास हो जाते थे, क्योंकि उनकी गलतियां पकड़ी नहीं जाती थीं। अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सेंसरयुक्त ड्राइङ्क्षवग ट्रैक बनने के बाद लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नये ट्रैक पर वाहन चालक के सभी मूवमेंट को कैमरे व आटो सेंसर कैच कर रहे हैं। छोटी से छोटी भूल भी पकड़ में आ जाने से वह फेल हो रहे हैं। इसका अनुामन इसी से लगाया जा सकता है कि दो माह में 3500 लोगों ने फोर व्हीलर के लिए टेस्ट दिया। इनमें से केवल 30 लोग ही पास हो सके।

फैक्ट एंड फिगर

5000 वर्गमीटर में बना ट्रैक
2.80 करोड़ रुपये की लागत से किया गया तैयार
314 सेंसर लगे हैं पूरे ट्रैक में
04 जुलाई 2022 से हुआ था स्टार्ट


यह है व्यवस्था
प्रदेश में कानपुर के बाद बरेली में ही अभी आटोमेटिक टेङ्क्षस्टग ड्राइङ्क्षवग ट्रैक पर टेस्ट के पास स्थायी ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं।
परसाखेड़ा में पांच हजार वर्गमीटर में इस ट्रैक को दो करोड़ 80 लाख रुपये से तैयार किया गया है। यहां हाइटेक ट्रैक पर एच, आफ, एस, पार्किंग, यूटर्न, आठ, जेब्रा क्राङ्क्षसग, प्रमुख ट्रैफिक सिग्नल बनाए गए हैं। ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस बनवाने वाले चालक को टेस्ट देकर उत्तीर्ण होने की कंप्यूटर स्लिप मिलने पर ही ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस जारी किया जा रहा है। चार जुलाई को शासन के निर्देश पर इसे शुरू कर दिया गया है। शासन ने राजस्थान की कंपनी राइस टैक साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड व न्यू लुक स्टेनलैस प्राइवेट लिमिटेड को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी है। इसके शुरु होने के बाद से जिले में सांसद, एसडीएम, विधायक के चालक व खुद विभाग के अधिकारी भी ड्राइङ्क्षवग टेस्ट में फेल हो गए हैं। एक बार कम्प्यूटर से फेल की रसीद निकलने के बाद कोई भी सिफारिश काम नहीं आ रही है। यही नहीं टेस्ट के लिए आवेदक को जूते पहनकर आना व खुद ही मोटरसाइकिल व चार पहिया वाहन लाना अनिवार्य किया गया है।

वर्जन:
आवेदनकर्ताओं से अपील है कि वह परीक्षा से घबराएं नहीं। ट्रैक पर चार पहिया ड्राइङ्क्षवग टेस्ट के लिए छोटी चार पहिया लेकर जाएं। आउटर, रियर व्यू मिरर को सही से लगाकर उसमें देख के वाहन चलाए, इससे सेंसर दिखेंगे व आसानी से टेस्ट पास किया जा सकता है।
- मनोज ङ्क्षसह, एआरटीओ प्रशासन