दो गिरफ्तार, दो फरार

पुलिस गिरफ्त में आए आरोपियों के नाम जफर और शाकिर हैं। वहीं दो अन्य आरोपी जफर के भाई मकबूल और जाकिर अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। गैंग का लीडर मकबूल है। पुलिस ने फैक्ट्री से चार नए बने 315 व 312 बोर के तमंचे, एक रायफल की नाल, एक निर्मित तमंचा तथा एक रिपेयर होने के लिए आया तमंचा व दो मोबाइल बरामद किए हैं। डीएम व एसएसपी ने संयुक्त रूप से फैक्ट्री का भंडाफोड़ करने वाली टीम को नगद पांच हजार रुपए देने की घोषणा की है।

दोनों पर लगेगा गैंगस्टर

डीएम ने दोनों आरोपियों पर जांच के बाद गैंगस्टर लगाने का निर्देश दिया है। एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह ने बताया कि किला पुलिस को कुछ दिन पहले सूचना मिली थी कि मोलिया गांव में अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री चल रही है। मामले के खुलासे के लिए सीओ सिटी सेकेंड अखिलेश भदौरिया के नेतृत्व में इंस्पेक्टर किला बाबर खां, एसएसआई बीके भाटी, एसआई धमेंद्र सिंह, एचसीपी दीनदयाल, हेड कॉन्स्टेबल रक्षपाल व कॉन्स्टेबल सुनील यादव की एक टीम बनाई गई थी।

खुलेआम चल रही थी फैक्ट्री

टीम मंडे सुबह गांव में पहुंची और दोपहर 3 बजे छापा मारा। पुलिस ने रंगे हाथ जफर और शाकिर को मौके से अरेस्ट कर लिया लेकिन तीन मकान होने के चलते जफर के भाई मकबूल और जाकिर भागने में कामयाब हो गए। पुलिस को मौके से अवैध निर्मित व अद्र्ध निर्मित हथियार, तमंचा बनाने के लिए साइकिल का रिम, कई खाली नालें, नाल में गोली की साइज के लिए लोहे की गोली, कई तरह के हथौड़ा, पेंचकस, आरी व अन्य   औजार बरामद हुए हैं। यह फैक्ट्री खुलेआम गांव में करीब चार-पांच सालों से चल रही थी। इसे तीन भाई मिलकर चला रहे थे। करीब डेढ़ साल पहले अवैध हथियार बनाने के आरोप में मकबूल जेल भी जा चुका है। फिलहाल वह जमानत पर बाहर घूम रहा है। पुलिस की जांच में सामने आया कि तीनों भाइयों का पिता शहजादे भी अवैध हथियार बनाने का काम करता था लेकिन उसकी अब मौत हो चुकी है।

कफ्र्यू में किए हथियार सप्लाई

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने जो खुलासे किए वह काफी चौंकाने वाले हैं। यह फैक्ट्री जफर के भांजे अफरोज के मकान में चल रही थी। तीन मकान एकसाथ जुड़े हुए हैं। अवैध तमंचा बनाकर 1500 से 1600 रुपए में बेच देते थे। कफ्र्यू के दौरान भी बरेली में अवैध हथियारों की अधिकांश खेप यहीं से सप्लाई की गई थी। यही नहीं रामपुर तक यहां से हथियार पहुंचाए गए थे। जफर और शाकिर के मुताबिक, हथियारों की खेप एक विशेष कम्युनिटी को बेची गई थी।