-145 वर्ष पहले बनाए गए क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च का हो रहा जीर्णोद्धार
- खूबसूरती को बरकरार रखते हुए साउंडप्रूफ और एलईडी लाइट्स से रोशन होगा चर्च
BAREILLY:
मिशनरी विलियम बटलर द्वारा क्ब्भ् वर्ष पहले बनाए गए क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च के कायाकल्प की शुरुआत हो गई है। करीब दो माह बाद शहरवासी प्रभु यीशू की आराधना नए गिरिजाघर में करेंगे। पास्टर के मुताबिक वर्षो पुराने चर्च के रेनोवेशन के लिए डायस से परमीशन लिए जाने के बाद जीर्णोद्धार किया जा रहा है। रेनोवेशन के लिए करीब क्म् लाख का बजट तैयार किया गया है। वहीं जरूरत पड़ने पर अधिक धन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। अब चर्च कई सुविधाओं से लैस होगा। आराधना शांतिपूर्ण हो सके इसके लिए रेनोवेट हो रहा चर्च साउंडप्रूफ होगा।
संवारने में खर्च होंगे क्म् लाख
रेनोवेट हो रहे चर्च की बाहरी सुंदरता को तनिक भी नहीं टच किया जाएगा। लेकिन चर्च का इंटीरियर पूरी तरह से तोड़कर दोबारा उसी रूप में बनाया जा रहा है। पास्टर के मुताबिक चर्च की छत पूरी तरह से जर्जर हो गई थी। ऐसे में छत गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता था। इस लिए इसे पूरी तरह से ध्वस्त कर रेनोवेट किया जाएगा। नई बनी छत आइसोलेटेट होगी। इसे साउंड प्रूफ बनाया जा रहा है। ताकि आराधना के दौरान किसी तरह की आवाज अंदर न आए। वहीं, एलईडी लाइट्स से चर्च को रोशन किया जाएगा। लकड़ी की जगह चर्च में स्टील का प्रयोग होगा। चर्च को साल भर बाद फिर से प्लास्टर किया जाएगा।
ऐतिहासिक है चर्च
शहर के बीचो-बीच स्थित क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च का निर्माण करीब क्870 में डॉ। विलियम बटलर ने कराया था। उस दौरान चर्च के निर्माण में मिशनरीज की ओर से करीब क्म् हजार रुपए में मैथोडिस्ट चर्च का निर्माण किया गया था। पास्टर परमेंद्र मैसी ने बताया कि क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च को एशिया का पहला मैथोडिस्ट चर्च होने का खिताब मिला हुआ है। विलियम बटलर की ओर से प्रभु यीशू के संदेशों को सुनकर शहर के 'जहरूर उल हक' पहले कंवर्टेड क्रिश्चियन बने थे।
भ्0 लोगों से शुरू हुई प्रार्थना
एसोसिएट पास्टर प्रमेंद्र मैसी के अनुसार मिशनरी डॉ। बटलर सन् क्8भ्म् में भारत आए और लखनऊ में कुछ महीने गुजारने के बाद बरेली को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना, लेकिन साल भर बाद क्8भ्7 में गदर छिड़ गया। परिवार समेत उन्हें बरेली से पैदल ही नैनीताल जाना पड़ा। क्योंकि ब्रिटिश हुकूमत मिशनरी के खिलाफ थी। ब्रिटिशियर्स ने बटलर पैलेस के पास ही गदर के समय मिशनरी मारिया बोस की गला काट कर हत्या कर दी थी। चर्च की नींव कई मिशनरीज की बगावत और प्रभु यीशू की अनुकंपा से हो सकी। शुरुआत में केवल पचास लोगों के साथ चर्च में प्रार्थना शुरू हुई। जिसकी संख्या प्रजेंट टाइम में भ् हजार से भी ज्यादा पहुंच चुकी है।