हिमांशु अग्निहोत्री (बरेली)। जिले में रेबीज से होने वाली मौत के आंकड़े चिंताजनक हैैं। सात महीने में कुल आठ लोगों की जान जा चुकी है। इसमें मौत का सबसे ताजा मामला जून माह का है, जिसमें एक पेशेंट की मौत जिला अस्पताल में हुई थी। प्रतिदिन अस्पताल में 70 से 80 केस डॉग बाइट के पहुंच रहे हैैं। नगर निगम की ओर से स्ट्रीट डॉग्स का वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इसको लेकर लोगों में बनी धारणाओं को भी तोडऩे की जरूरत है। किसी भी जानवर के काटने पर झाड़-फूंक, मिर्च का लेप लगाने के बजाय डॉक्टर से परामर्श के बाद वैक्सीनेशन करवाना चाहिए, जिससे समय रहते व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।

तुरंत करवाएं वैक्सीनेशन
नगर निगम के चीफ वेटरनरी ऑफिसर डॉ। आदित्य तिवारी ने बताया कि शहर में स्ट्रीट डॉग्स की संख्या करीब 35 से 40 हजार के बीच है। वहीं पेट्स की संख्या को कुल आबादी का तीन प्रतिशत माना जाता है। निगम की ओर से स्ट्रीट डॉग्स का वैक्सीनेशन कराने का लक्ष्य तय किया गया है। पेट्स का भी रैबीज वैक्सीनेशन कराने की आवश्कता है, जिससे डॉग बाइट के बाद रैबीज से काफी हद तक बचाव हो सके।

लापरवाही न बरतें
जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ। मीसम अब्बास का कहना है कि किसी भी जानवर के काटने पर मिर्च का लेप या झाड़-फूंक के चक्कर में न पडक़र, डॉक्टर से परामर्श के बाद वैक्सीनेशन करवाना चाहिए, जिससे समय रहते उचित इलाज मिल सके। कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो भी इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। रेबीज खतरनाक है, मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी अधिक घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली व बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार घाव पर पालतू जानवर के चाटने पर खून के जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। इसलिए इसके प्रति सावधान होने की आवश्यकता है।

भ्रम को करें दूर
जिला अस्पताल में तैनात जनरल फिजीशियन डॉ। सूरज पांडे बताते हैं कि कोई पशु किसी को काटता है तो घाव को तुरंत साफ पानी से धोना चाहिए। अक्सर लोग घाव पर मिर्च व अन्य चीजों का लेप लगा देते है। ऐसा नहीं करना चाहिए। तत्काल अस्पताल जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाना चाहिए। साथ ही उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध है। समय से वैक्सीनेशन बहुत आवश्यक है।

पहुंच रहे 70 से 80 केसेस
इन दिनों जिला अस्पताल में डेली 70 से 80 डॉग बाइट के केस पहुंच रहे हैं। नगर निगम द्वारा नवंबर से मार्च तक 1000 डॉग्स को एआरवी लगाने की बात कही जा रही है। मार्च 2023 तक 4000 डॉग्स को वैक्सीन लगाने का टारगेट निर्धारित किया गया है। इसमेंं भी अब तक 250 से अधिक डॉग्स को एआरवी लगा दी गई है।


फैक्ट एंड फिगर
2022 में आठ लोगों की डेथ हुई रेबीज से
1000 डॉग्स को नवंबर से मार्च तक लगाई गईं एंटी रेबीज वैक्सीन
4000 डॉग्स के वैक्सीनेशन का मार्च 2023 तक है टारगेट
70 डॉग बाइट के पीडि़त प्रतिदिन पहुंच रहे जिला अस्पताल
250 से अधिक डॉग्स को मार्च 2022 से अब तक लगाई वैक्सीन
9000 डोज वर्तमान में जिला अस्पताल में उपलब्ध

1000 डॉग्स् का बधियाकरण
नगर निगम के वेटरनरी ऑफिसर डॉ। आदित्य तिवारी ने बताया कि निगम द्वारा नवंबर 2021 से लेकर 31 मार्च तक एक हजार डॉग्स का बधियाकरण किया जा चुका है। इसके साथ ही उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन भी लगाई गई है। मार्च 2022 से लेकर मार्च 2023 तक पांच हजार डॉग्स का बधियाकरण व एंटी रेबीज लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही जल्द ही 250 डॉग्स का बधियाकरण किया जाएगा।

ऐसे करें बचाव
चिकित्सकों के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अगर रेबीज पीडि़त जानवर काटे तो सबसे पहले घाव को साबुन और नल के बहते पानी से 10-15 मिनट तक लगातार धोएं। इससे जानवर की लार मेंं पाए जाने वाले वायरस की मात्रा कम हो जाती है। उसके बाद सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाना चाहिए। वहां पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार वैक्सीनेशन का कोर्स पूरा करें। इसके साथ ही अगर घर में डॉग पालतू है तो उसे भी वैक्सीन लगवाएं।

वर्जन
यदि ऐसा कोई पशु किसी को काटता है तो घाव को तुरंत साफ पानी से धुलना चाहिए। अक्सर लोग घाव पर मिर्च व अन्य चीजों का लेप लगा देते है। ऐसा नहीं करना चाहिए। तत्काल अस्पताल जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाना चाहिए।
-डॉ। सूरज पांडे, जनरल फिजिशियन, जिला अस्पताल