कमाई का लालच देकर फंसा रहे जाल में, पैसा गंवाने के बाद निराश होकर रह जा रहे युवा
साइबर थाने में शिकायत कर पैरेंट्स बच्चें-युवाओं को समझाने की कर रहे रिक्वेस्ट
vinay.ksingh@inext.co.in
बच्चे और युवा में ऑनलाइन गेमिंग के प्रति जबरदस्त क्रेज होता है, लेकिन गेम्स में पैसे जीतने जैसी बात शामिल हो जाए। तो गेम गैंबलिंग यानी जुए में बदल जाता है और इन दिनों इस तरह की गैंबलिंग की बाढ़ आई हुई है। ऑनलाइन गेमिंग और पैसे कमाने के प्रलोभन की आड़ में जुए को प्रोत्साहित करना बच्चों-युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर सकता है। इसको देखते हुए पिछले वर्ष में मद्रास हाईकोर्ट ने इस प्रकार के गेम पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया था। वहीं ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित शिकायतें इन दिनों साइबर थाने को मिल रही है। साइबर सेल के एक्सपर्ट बच्चों व युवाओं को इस तरह के एप से अलर्ट रहने को समझा भी रहे हैं।
जीत दिखा करते है आकर्षित
साइबर एक्सपर्ट इंस्पेक्टर राजीव तिवारी ने बताया कि लूडो, कैंडी क्रश, तीन पत्ती, पोकर आदि जैसे गेम्स गेम्स को तैयार करने वाले अल्गोरिद्म को इस तरह से करते है कि इसे खेलने वाले को पहले जीत पर जीत कराई जाती है। ताकि वह इसके प्रति और आकर्षित हो। इसके बाद वह जैसे-जैसे खेलने के लिए आगे बढ़ता है। पैसे की डिमांड होने लगती है। जब तक खेलने वाला समझता है तब तक वह इनके जाल में फंस चुका होता है। यह एडिक्शन है। खुद पर कंट्रोल कर के रोका जा सकता है।
साइबर एक्सपर्ट से मिली जानकारी
14
से पंद्रह पैरेंट्स इस तरह के एप्स के बारे में साइबर थाने में कर चुके है शिकायत
30
लाख से ज्यादा मोबाइल फोन एप्लीकेशन मौजूद है गूगल प्ले स्टोर पर इस समय देश में।
40
लाख से ज्यादा ऑनलाइन गेमिंग एप्स है
38
परसेंट के करीब इंटरनेट यूजर्स भारत में खेलते ऑनलाइन गेमिंग
17
परेंसट के करीब जिले के अंदर छोटे-मोटे रकम गंवा चुके है लोग, इस तरह के गेम्स गैंबलिंग में आते है इसलिए लोग नहीं आते है दर्ज कराने
01
साल के अंदर पंद्रह परसेंट ऑनलाइन गेमिंग में हुई बढ़ोतरी
राजापुर वर्क शॉप के पीछे रहने वाले हिमांशु त्रिपाठी को भी ऑनलाइन गेमिंग की लत लगी थी। शुरुआत में हिमांशु को एप्स के जरिये कुछ पैसा मिला था। इससे उन्हें ज्यादा कमाई करने का लालच अंदर से आ गया। फिर वह खेलते गए और एक बार भी जीत नही मिली। उनके इस लत से घर वाले तक परेशान हो गए थे। परिजनों ने साइबर एक्सपर्ट की भी मदद ली। अब उन्होंने इस तरह के गेमिंग से तौबा कर दिया है।
सिटी के बेली एरिया में रहने वाले अभिषेक भी ऑनलाइन लूडो खेलने वाले एक एप की जाल में इस कदर फंसे कि वह एक व्हाट्सएप गु्रप में ही जुड़ गए। जो दिनभर लूडो खेलने पर पैसा लगाते थे। गु्रप एडमिन द्वारा पैसे की बोली लगाकर खेलने वाले दो या फिर अधिकतम चार लोगों का एक लिंक क्रिएट किया जाता था। कोई भी जीते एडमिन पहले ही सभी लोगों से डिजिटल एप के माध्यम से पैसा डलवा लेता था। इनमें से कोई भी जीतता एडमिन अपना कमिशन काट कर डिजिटल के माध्यम से ट्रांसफर कर देता। इस तरह उसने करीब एक से डेढ लाख रुपये गंवा चुका था।
प्लेट स्टोर की अपनी कुछ कैरिटंरिया होती है। जिसे पूरा करने के बाद इस तरह के एप्स को बनाने वाली कंपनियां प्ले स्टोर पर डाल देती है। ऐसे मामलों में केस टू और प्लेस टू प्लेस वैरी करता है। इससे केवल बचाव ही तरीका है। क्योंकि ठगे जाने के बाद लोग खुद रहकर खुद को दूसरे कार्यो में व्यस्त रहना ज्यादा बेहतर है।
राजीव तिवारी, इंस्पेक्टर साइबर थाना प्रयागराज
यह एक प्रकार का जुनून होता है। इनमें पैसा लगने को कहा जाता है तो दूसरी तरफ लालच को बढ़ाने के लिए कंपनियां शुरु में फ्री पैसे दे देती है। इनमें वैसे लोग ज्यादा अट्रैक्ट होते है जो भाग्य पर यकीन करते है। कई एप्स एप्स तो लाइव स्ट्रीमिंग तक करा देती है। मेरा अपना मानना है कि अगर आप परिवार को वक्त देंगे तो इन चीजों से दूर रहेंगे। साथ ही किस्मत पर नहीं बल्कि कर्म पर यकीन करने की जरूरत है।
डा। अरूण कुमार गुप्ता, (बीएचएमएस)