प्रयागराज (ब्यूरो)। न्यू ईयर के पहले दिन पार्क में जुटी भीड़ में युवाओं ने उत्साह के साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। युवाओं ने न सिर्फ उच्च शिक्षा में पारदर्शिता की बात की, बल्कि बेरोजगारी को दूर करते हुए रोजगार को अहम मुद्दा बताया। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की परिचर्चा में युवाओं ने कहा कि आज शिक्षा के स्तर में काफी बदलाव आया है, सिर्फ यूनिवर्सिटी में फीस के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है। जबकि हम जब घर से आते हैं तो बाइक या फिर स्कूटी में पेट्रोल डलवाते है, आज पेट्रोल की कीमत इतनी ज्यादा हो गई है कि पेरेंट्स भी पैसे नहीं देते हैं। ऐसे में हम दोस्तों के साथ कंट्रिब्यूशन करके कॉलेज पढऩे आ रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो फिर हम अपना नेता क्यों चुने, क्यों न हम नोटा का इस्तेमाल करें। इसलिए नेताओं को और राजनीतिक पार्टियों को अपने में सुधार लाना होगा। अन्यथा पढ़ाई के बजाय दुकान खोलना ही बेहतर होगा।
विकास जैसा ही दिखे रोजगार
परिचर्चा के दौरान विचारधारा और विकास को लेकर बहस हुई। अधिकतर यंगस्टर्स ने कहा कि सरकार ने काफी विकास कराया है। मूल सुविधाओं से लेकर शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी काम हुआ है। आने वाली सरकार से भी विकास की उम्मीद है। इसके अलावा रोजगार भी बहुत जरूरी है। सरकार ने रोजगार पर काम किया है। बावजूद इसके बेरोजगारों की संख्या काफी अधिक है। आने वाले चुनाव में विकास के साथ रोजगार भी प्रमुख मुद्दा होगा। युवा इन्हीं मुद्दों पर वोट करेंगे। सरकार पर विकास को लेकर तो लोग खुश नजर आए, लेकिन रोजगार के मामले में सरकार ने बहुत कारगर कदम नहीं उठाए जो अब उठाने की जरूरत है।
दागी नहीं चाहिए कैंडीडेट
परिचर्चा के दौरान युवा वर्ग ने दागी कैंडीडेट पर खुलकर अपने विचार रखे। यंगस्टर्स ने कहा कि किसी भी कीमत पर हम लोग दागी कैंडीडेट को वोट नहीं देंगे। चाहे वह हमारी पसंदीदा पार्टी से ही क्यों न खड़ा हो। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग क्षेत्र व समाज का विकास नहीं करते हैं, सिर्फ अपनी काली करतूतों को संरक्षण देते हैं। युवाओं ने राजनीतिक पार्टियों को भी दागी कैंडीडेट नहीं उतारने की सलाह दी। आज के युवा ऐसे लोगों को पसंद नहीं करते हैं। यूथ को सिर्फ अच्छे व साफ छवि के कैंडीडेट पसंद हैं। इसलिए उन्होंने मन बना लिया है कि जो दागी को मौका देगा उसका विरोध किया जाएगा। इस बार यूथ ने तय कर लिया है कि उन्हें किसी भी हाल में दागियों को वोट नहीं देना है।
महंगाई से पड़ा किचन पर असर
विधानसभा चुनाव में तमाम मुद्दों के साथ राजनीतिक दलों की ओर से आरोप प्रत्यारोप का दौर चलेगा। हालांकि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के वायस ऑफ यूथ 'राजनीतिÓ अभियान में जुटे लोगों के बीच महंगाई ही मुख्य मुद्दा रहा। महिलाओं ने महंगाई के मुद्दे पर सरकार की नीतियों का खुलकर विरोध किया और इसे कंट्रोल करने में नाकाम बताया, महिलाओं का कहना था कि कोई ऐसी चीज नहीं जिसका दाम न बढ़ा हो। सबसे अधिक असर किचन पर पड़ा है। अनाज, तेल, रिफाइंड गैस, सरसों तेल, ड्राई फूड के दाम हर दिन रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। सरकार सिर्फ तर्क दे रही है। अब सिर्फ तर्क से काम नहीं चलेगा, सरकार को इन मुद्दों पर काम करना होगा, तभी जनता के बीच उसकी लोकप्रियता बढ़ेगी।
हमारा एजेंडा क्लीयर है। किसी दल से कोई गिला शिकवा नहीं है। हम चाहते हैं कि विकास रोजगार के मामले में भी दिखे। शिक्षा व्यवस्था के मामले में भी दिखे। स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर हो और हर किसी को समय पर पर्याप्त इलाज मिले।
अतुल मिश्रा
महंगाई मुख्य मुद्दा है। इसे कंट्रोल करने की जरूरत है। पब्लिक महंगाई से त्रस्त है। पेट्रोल डीजल का दाम घटाने का कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर यूपी सेफ है, सरकार को इसमें और सुधार लाने होंगे, तभी उनका भरोसा बढ़ेगा।
अवधेश मौर्य
सरकार को शिक्षा से जुड़े सभी सामानों को टैक्स फ्री कर देना चाहिए। इनका शिक्षा को महंगी बनाने में बड़ा रोल है। इसके चलते शिक्षा में समानता के अधिकार का हनन हो रहा है। हम प्रत्याशी से यह जरूर जानना चाहेंगे वह शिक्षा को सस्ता बनाने के लिए क्या करेगा।
अमित यादव
जनता की समस्याओं को सुनने वाला नेता चाहिए। दागी कैंडीडेट पसंद नहीं होगा। लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गरीब लड़कियों की शिक्षा हर स्तर पर फ्री होनी चाहिए। एक लड़की पढ़ेगी तो पूरा परिवार शिक्षत होगा
रेखा सिंह
नौकरी व शिक्षा में आरक्षण खत्म होना चाहिए। इससे नुकसान हो रहा है। योग्य होने पर भी नौकरी नहीं मिल रही है। इससे जनरल कैटेगिरी के छात्र अच्छी पढाई के बाद बेरोजगार हैं और उन्हें घुटना पड़ रहा है। रोजगार की व्यवस्था सबके लिए होनी चाहिए ताकि सब उन्नति करें।
दीपक सिंह
सिटी के विकास के साथ गांवों पर फोकस करना चाहिए। सरकार शहर में काम करती है लेकिन गांवों में विकास करना भूल जाती है। गांवों का स्वास्थ्य व्यवस्था सिटी के तुलना काफी खराब है। स्वास्थ्य के मामले में सबको समान सुविधा मिलनी चाहिए। यह भी हमारा मुद्दा होगा।
सुशीला चौहान
हमारे लिए महंगाई अहम मुद्दा है। इसके लिए सरकार की तरफ से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन युवाओं को इसका लाभ नहीं मिला। आज भी पढ़े लिखे युवा डिग्री क दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई सुने वाला नहीं है।
प्रशांत पांडेय
सरकार चाहे कोई भी आए, लेकिन उसे महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। युवाओं के रोजगार पर ध्यान देना होगा। हमारे लिए यही मुख्य मुद्दा होगा, इसके साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था भी इस बार का मुद्दा होगा।
अनीता चौहान
रोजगार को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। आज की डेट में हम उच्च शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं। युवाओं के भविष्य के बारे में सोचने वाली सरकार चाहिए।
पहला मुद्दा महंगी होती स्कूली पढ़ाई
अपनी बात रखने के लिए सामने आए यूथ ने कहा कि स्कूलों की फीस लगातार बढ़ते जाना और प्राइवेट स्कूलों पर सरकार का कोई नियंत्रण न होना बड़ा मुद्दा बनेगा। कोरोना काल के बाद आई मंदी के बाद लोगों का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। मंहगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। कई बच्चों के तो स्कूल भी छूट गए हैं। इनकी जरूरत तो बेहतर शिक्षा ही है जो सही से उपलब्ध नहीं हो पा रही है। सरकारी तंत्र के कमजोर होने से प्राइवेट स्कूलों की चांदी कट रही है। सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को और बेहतर बनाने की जरूरत है।
ईमानदारी से काम
आज की तारीख में सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार की बनाई नीतियों का जमीनी स्तर पर सही तरीके से पालन नही किया जाता है। जब तक इस काम के लिए अधिकारियों की अकाउंटेबिलिटी फिक्स नहीं की जाएगी, तब तक अच्छे नतीजे नहीं प्राप्त हो सकते हैं। सरकार को चाहिए कि जो अधिकारी दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं रखते हैं और अपने कार्यों में हीला हवाली करते हैं उनके विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई करे। जो अधिकारी ईमानदारी से काम कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करे। योजनाएं कागजों पर नहीं, जमीनी स्तर पर दिखायी दें। उनका फायदा दिखायी दे, ऐसी व्यवस्था बनायी जानी चाहिए।
अच्छी छवि का होना चाहिए प्रत्याशी
ज्यादातर युवाओं का यही कहना था कि विधानसभा चुनाव में खड़े होने वाले कैंडिडेट्स की छवि अच्छी होनी चाहिए। इस पर पार्टियों को भी इनीशिएटिव लेना होगा। पब्लिक पर ही छोडऩे से काम नहीं चलेगा कि कैंडीडेट अच्छा नहीं है तो उसे पब्लिक जीतने ही न दे। पार्टियों के लिए ऐसे कैंडीडेट कमजोरी बनते जा रहे हैं, जो चुनाव में जीत दिलाने में सक्षम हों। भले ही उनमें योग्यता न हो। इसके स्थान पर पार्टियों को चाहिए कि वे ऐसे कैंडीडेट को प्राथमिकता दें तो लोगों के साथ उनके सुख दुख में खड़ा रहता हो। उनकी समस्याएं समझता हो और उसका समाधान दिलाने में मदद करता हो।
शिक्षा के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था
उच्च शिक्षा के स्तर में बेहद सुधार की जरूरत है। उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले स्टूडेंट्स के फ्यूचर को देखते हुए रोजगार के बारे में सोचना होगा। जिस प्रकार से यूनिवर्सिटी फीस बढ़ा रही है। जो फीस हम बच्चों से ली जा रही है उतनी सुविधाएं मिलना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि छात्र जब कैंपस से निकले तो उसे जॉब के लिए भटकना न पड़े। सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया को इस स्तर का ट्रांसपेरेंट होना चाहिए कि जो भी भर्ती आए वह पूरी हो। कोर्ट कचहरी, पर्चा लीक के चक्कर में छात्रों को सालों संघर्ष न करना पड़े। जिस तरह से कोरोना का नया-नया वैरिएंट देश-प्रदेश में आ रहा है। इस बार के चुनाव में स्वास्थ्य व्यवस्था भी अहम मुद्दा होगा।
महंगाई पर लगे लगाम
महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। मिडिल क्लास फैमिली बेहद परेशान है। जो भी नई सरकार आए। कम से कम अपने राज्य के टैक्सेज में कमी लाते हुए महंगाई पर नियंत्रण लगा सकती है। पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करके जनता को महंगाई के बोझ से बचाया जा सकता है। महंगाई इस चुनाव का अहम मुद्दा है। आज युवाओं को अपने पढ़ाई लिखाई या फिर किसी आवेदन के फार्म भरने में सबसे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं, लेकिन इस पर सरकार ध्यान नहीं देती है। दिन प्रतिदिन चार्जेज बढ़ाती जा रही है। सरकार को महंगाई पर रोक लगानी होगी।