प्रयागराज ब्यूरो । वर्ष 2020 में लॉक डाउन और 2021 में कोरोना टीका अभियान के चलते बच्चों का रूटीन टीकाकरण लगभग बंद पड़ा रहा था। इक्का-दुक्का केंद्रों पर जरूर टीके लगाए गए लेकिन इससे गिनती के बच्चे ही लाभांवित हो सके। खासकर मीजल्स और रुबेला के टीके नही लगने से इसका साइड इफेक्ट अब दिखने लगा है। तमाम राज्यों में दर्जनों बच्चों की जांच खसरा से जा चुकी है। जिससे बचाव के लिए रह गए बच्चों को अभी भी यह टीके लगवा जा सकते हैं।
लगातार आ रहे हैं खसरा के मामले
शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में खसरा के इक्का-दुक्का मामले आ रहे हैं। हालांकि डॉक्टर इसे नार्मल मानकर चल रहे हैं। उनका कहना है कि इस सीजन में खसरा से मिलते जुलते लक्षणों वाले मामले आना बड़ी बात नही है। लेकिन अगर यह केसेज बढ़ते हैं तो चिंता की बात हो सकती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अन्य राज्यों को देखकर एलर्ट हो गया है।
क्या हैं खसरा और इसके लक्षण
मीजल्स या खसरा बचपन में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। इसमें बच्चों को बुखार, नाक बहना और चेहरे पर लाल चकत्ते निकल आते हैं। खसरे या मीजल्स को वैक्सीन के माध्यम से खत्म करने की बहुत कोशिश हो रही है लेकिन अब तक यह बच्चों में होता है। समय पर अगर खसरे का इलाज न किया जाए तो इससे मौत भी हो सकती है। अगर किसी बच्चे में खसरा है तो संक्रमण के 8 दिनों बाद यह किसी दूसरे बच्चे को संक्रमित कर सकता है। इस समय तक पहले संक्रमित बच्चे में रेशेज नहीं दिखते हैं। इसके बावजूद इस बच्चे से अन्य बच्चे में खसरा को संक्रमण हो सकता है।
समय आने पर खसरे का टीका अपने बच्चे को अवश्य लगवाएं। अगर किसी जगह पर खसरे का संक्रमण बढ़ गया है तो अपने बच्चे को आइसोलेट करें। अगर बच्चे में खसरे का लक्षण है तो डॉक्टर के पास अवश्य जाएं। खासकर तब जब आपके आस पास के बच्चों को यह बीमारी हो रही हो।
अधिक से अधिक टीकाकरण पर जोर
खतरे को भांपते हुए स्वास्थ्य विभाग ने भी तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.78 लाख मीजल्स और रुबेला टीकाकरण का लक्ष्य दिया गया था। लेकिन कोविड संक्रमण के चलते 63 फीसदी ही लक्ष्य को हासिल किया जा सका था। हालांकि यह लक्ष्य बढ़ाकर कर दिया गया था। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 1.69 लाख टीकाकरण का लक्ष्य दिया गया है।
लास्ट वीक हमारे अस्पताल में दो केस खसरा के आए थे। उनका इलाज कर घर भेजा दिया गया। समय रहते अगर मरीज को इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
डॉ। मुकेश वीर सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन अस्पताल प्रयागराज
इसी महीने के पहले सप्ताह मे तीन मामले खसरा के आए थे। बच्चों के शरीर में चकत्ते थे और निमोनिया जैसे पूरे लक्षण थे। हालांकि वह दवा से ठीक हो गए। अगर बच्चों का टीकाकरण पूरा करा दिया जाए तो खसरा को हराया जा सकता है।
डॉ। संजय त्रिपाठी, पीडियाट्रिशन