कमरे में लगाया था फांसी, नैनी पुलिस पर घर वालों ने लगाए गंभीर आरोप
PRAYAGRAJ: फांसी लगाने वाले श्रेष्ठ उर्फ आश श्रीवास्तव (22) की मौत के बाद एसआरएन हॉस्पिटल में घर वालों ने जमकर हंगामा किया। उनके जरिए पुलिस पर कई तरह के गंभीर आरोप भी लगाए गए। नाराजगी को देखते हुए कोतवाली पुलिस भी हॉस्पिटल जा पहुंची। आनन फानन बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज भेज दिया गया। उसकी मौत से परिवार में कोहराम मच गया। हालांकि नैनी पुलिस कहानी कुछ और ही बता रही है।
मृतक का भाई बनाया वीडीओ
आशू नैनी के एडीए कॉलोनी निवासी संतोष श्रीवास्तव का बेटा था। बताते हैं कि वह अपने दोस्त के साथ कहीं ड्रिंक किया। किसी बात पर कहासुनी हुई और वह दोस्त का मोबाइल लेकर घर चला आया। दोस्त के द्वारा शिकायत पुलिस से कर दी गई। पुलिस आशू के घर पहुंची तो वह नहीं था। घर वालों को अल्टीमेटम किए कि आने पर उसे लेकर थाने थाने पहुंचो। जब वह घर आया तो परिवार वाले पुलिस को बताए। पुलिस द्वारा उसे कमरे में बंद कर कहीं न जाने देने की घुड़की दी गई।
दो घंटे तक नहीं पहुंची पुलिस
परिवार वाले उसे कमरे में बंद कर दिए। घर वालों के अनुसार पुलिस दो घंटे तक उसके घर नहीं पहुंची। इस बीच डर के मारे आशू कमरे में सुसाइड कर लिया। पुलिस पहुंची पड़ोसी की बाड़ी से उसे लेकर हॉस्पिटल के लिए आने लगे। महर्षि चौराहे पर पुलिस कार से सब को उतारने लगी। परिवार वाले साथ आने की जिद पर थे। इस झिकझिक में काफी वक्त निकल गया। किसी तरह जब आशू को लेकर सभी हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर मृत घोषित कर दिए। मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। आरोप यह भी है कि मौत के बाद पुलिस फिर कार की चाबी ले ली। कहना था कि तुम लोग बॉडी लेकर घर चले जाओगे। इन्हीं सारी बातों को लेकर आशू के घर वाले जमकर हंगामा किए। मृतक के भाई का दावा हैं कि वह पुलिस की हरकतों का वीडियो भी बनाया गया है।
वह एक युवक का मोबाइल और पैसा छीन लिया था। तहरीर पर पुलिस गई तो वे घर पर नहीं था। लौटा तो उसके पिता ने ही कमरे में बंद कर जानकारी पुलिस को दी। पुलिस पहुंची तो वह फांसी लगाकर चुका था। परिवार वाले उसे हॉस्पिटल नहीं लाने दे रहे थे। पुलिस उसे हॉस्पिटल लाना चाह रही थी। जो भी बातें घर वाले बता रहे वह गलत है।
जितेंद्र कुमार सिंह
प्रभारी निरीक्षक नैनी