प्रयागराज ब्यूरो । पत्नी शाइस्ता और बहन काट रही हैं फरारी, बॉडी को लेने के लिए पहुंचना है दोनो के लिए चैलेंज
अतीक परिवार के लिए गुरुवार की रात और शुक्रवार का दिन बेहद भारी गुजरेगा। संभव है कि जिस बेटे की करतूत सुनने के बाद अतीक ने यह कहा था कि 18 साल बाद अब सुकून की नींद आयी है, उस बेटे की अर्थी को कंधा देने का मौका भी उसे न मिले। यह स्थिति सिर्फ अतीक के साथ नहीं है। उसके पूरे परिवार के साथ है। अब सब कुछ पुलिस पर निर्भर है कि वह इस मामले में कितना लचीला रुख अख्तियार करती है। जुमे का दिन है तो पुलिस कानून व्यवस्था का हवाला देकर परिवार के सदस्यों को अंतिम बार चेहरा देखने से भी रोक सकती है।

कोर्ट का लेना पड़ सकता है सहारा
संवैधानिक नियम है कि किसी भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवारवालों को मौका दिया जाय। वह किसी अपराध में जेल में बंद हैं तो भी यह मौका दिये जाने का प्रावधान है। विधि विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी परिवार को इससे रोका नहीं जा सकता है। इस स्थिति में मरने वाले के परिवार के सदस्य की तरफ से अर्जी दी जानी चाहिए। यह अर्जी संबंधित कोर्ट में भी दी जा सकती है। इसे अर्जेंसी कैटेगिरी में रखा गया है तो सिर्फ दो घंटे की नोटिस पर कोर्ट में इस पर सुनवाई होनी भी अनिवार्य है। लोअर कोर्ट से खारिज होने पर मामला हाई कोर्ट तक भी जा सकता है। कोर्ट अर्जी के आधार पर अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दे सकती है। यह तो सामान्य नियम है। इसका एक्सेप्शन यह है कि पुलिस की तरफ से तर्क रखा जा सकता है कि आरोपित को ले जाने पर भीड़ जमा हो सकती है। इससे कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है। यह हवाला देते हुए पुलिस की तरफ से गुजारिश की जा सकती है कि आरोपित यानी अतीक को बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका न दिया जाय।

कौन-कौन डालेगा अर्जी
गुरुवार को अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया है। मुठभेड़ झांसी जिले में हुई है तो पंचनामा और पोस्टमार्टम भी झांसी में ही होगा। परिवार के लोगों की तरफ से गुजारिश की जा सकती है कि उसकी बॉडी को अंतिम संस्कार के लिए प्रयागराज लाये जाने की अनुमति दी जाय। यह अनुमति परिवार के किसी भी सदस्य की तरफ से दी जा सकती है। वर्तमान समय में अतीक के परिवार की स्थिति यह है कि बड़ा बेटा असद देवरिया जेल कांड में लखनऊ जेल में बंद है। उसे अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सीबीआई कोर्ट में अर्जी डालनी होगी। दूसरे नंबर का बेटा अली प्रयागराज जेल में बंद है। उसे प्रयागराज कोर्ट में अर्जी लगानी होगी। मारे गये असद के दो छोटे भाई एहजम और आबान खुल्दाबाद बाल संरक्षण गृह में निरुद्ध हैं। दोनों नाबालिग हैं तो उनकी तरफ से अर्जी दिये जाने की भी संभावना हो सकती है। अतीक खुद और उसका भाई अशरफ दोनो जेल में बंद हैं। गुरुवार को कोर्ट ने दोनों का पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर लिया है। अतीक की पत्नी शाइस्ता फरारी काट रही है तो उसकी तरफ से अर्जी दी नहीं जा सकती है। अतीक का बहनोई भी उमेश पाल हत्याकांड में जेल में बंद है और बहन भी फरारी काट रही है। उसने अपनी तरफ से सरेंडर की अर्जी डाल रखी है लेकिन इस पर फैसला आना बाकी है। यानी, बिना किसी रोक टोक के सिर्फ अशरफ की पत्नी ही झांसी पहुंच सकती है।

झांसी में होगा दफन
वर्तमान परिस्थितियों से जो संकेत मिलता है उसके मुताबिक असद का अंतिम संस्कार झांसी में ही होगा। सिक्योरिटी रीजंस के चलते भी पुलिस उसकी बॉडी प्रयागराज लाने की अनुमति देने से इंकार कर सकती है। इसके पीछे जुमा भी बताय जा रहा है। कुछ इसी तरह की कहानी गुलाम के साथ भी हो सकती है। गुलाम रसूलाबाद का रहने वाला है। घटना के बाद पीडीए ने उसका मकान ढहा दिया था। मकान ढहाये जाने के समय सामने आयी उसकी मां और भाई ने तभी कह दिया था कि इनकाउंटर में उसे पुलिस मार गिराती है तो वह उसकी बॉडी लेने भी नहीं जाएंगे। यहां तो मामला दूसरे जिले का भी हो गया है। गुलाम की पत्नी बच्चों के साथ जा सकती है, लेकिन संयोग से घटना के बाद से वह भी सामने नहीं आयी है। मकान ढहाने की कार्रवाई किये जाने के समय भी वह सामने नहीं आयी थी।