प्रयागराज (ब्‍यूरो)। 39वीं इंदिरा मैराथन में पहली बार दौड़े और फस्र्ट चांस में ही विनर बनकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि 39वीं अखिल भारतीय प्राइजमनी इंदिरा मैराथन (42.195 किलोमीटर) में सेना में हवलदार योगेश शर्मा (हैदराबाद) ने पुरुष वर्ग और महिला वर्ग में रेलवे में तैनात सोनिका (हरियाणा) ने मंगलवार को हासिल की। इनके अलावा इंदिरा मैराथन में पुरुष वर्ग में सेना का दबदबा बरकारार रहा। पहले चार स्थानों में इन लोगों ने जीत हासिल की। हालांकि पिछले तीन साल से ऐसा होता आ रहा है कि पहली बार मैराथन में दौडऩे वाले धावक पुरुष और महिला वर्ग में विनर बनते हैं। वहीं पिछली इंदिरा मैराथन की विनर रहीं हरियाणा की रीनू को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। दिल्ली की सीमा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। पुरुष वर्ग में संत रविदास नगर के कुलदीप ने दूसरा व गाजियाबाद के निशांत तीसरे स्थान पर रहे।

जीती दो दो लाख की इनामी राशि
इंदिरा मैराथन में पहला स्थान पाने वालों को दो दो लाख का रुपए का पुरस्कार प्रदान किया गया। जबकि दूसरे स्थान पर रहने वालों को एक-एक और तीसरे स्थान प्राप्त करने वाले धावकों को 75-75 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई। इसके साथ ही पुरुष और महिला वर्ग में पहले 14वें स्थान पर रहने वाले धावकों को 10-10 हजार रुपए की सांत्वना राशि प्रदान की गई। मंगलवार की सुबह आनंद भवन के सामने इंदिरा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण करके दीप प्रज्ज्वलित हुआ। कमिश्नर विजय विश्वास पंत व खेल निदेशक आरपी ङ्क्षसह ने हरी झंडी दिखाकर मैराथन का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए हम संकल्पबद्ध है। इस दौरान डीएम रवींद्र मांदड़, आरएसओ प्रेम कुमार, आरएसओ विमला ङ्क्षसह समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

किसकी रही कितनी टाइमिंग

पुरुष वर्ग
योगेश शर्मा- दो घंटे 29 मिनट 42 सेकंड
कुलदीप- दो घंटे 31 मिनट चार सेकंड
निशांत- दो घंटे 33 मिनट 29 सेकंड

महिला वर्ग
सोनिका- दो घंटे 45 मिनट 28 सेकंड
रीनू- तीन घंटे एक मिनट 57 सेकंड
सीमा- तीन घंटे तीन मिनट छह सेकंड

धूल, गड्ढे, अधूरे निर्माण नहीं रोक सके रास्ता
महाकुंभ की तैयारियों में जुटे शहर में जगह जगह सड़कों का चौड़ीकरण चल रहा है तो कहीं पुल बनाने का काम अधूरा है। कहीं सीवर लाइन तो कहीं फुटपाथ बनाने का काम चल रहा है। हालांकि इससे ज्यादा धूल के कणों ने परेशान किया। ऐसे में धावकों को इंदिरा मैराथन की दूरी तय करने में इनका सामना करना पड़ा। बावजूद इसके उनका उत्साह कम नही हुआ। अगर जोश में कमी आई तो पब्लिक ने तालियां बजाकर उनको इनकरेज किया। पब्लिक का उत्साहवद्र्धन धावकों के लिए किसी संजीवनी से कम नही रहा। महाराणा प्रताप चौराहा, धोबी घाट, इंदिरा गांधी चौराहा, हाईकोर्ट, पत्थर गिरजाघर, सिविल लाइंस की सड़को पर धूल उडऩे से एयर पाल्यूशन काफी बढ़ गया। बैरहना, नया यमुना पुल तक स्थिति गंभीर हो गई। पुल पार करने के बाद तो हालात और भी विपरीत हो चले। धावकों की तेज चल रही सांस में धूल के कण जाने लगे। कुछ ने तो पैदल चलना शुरू कर दिया लेकिन उनमें जिद थी लक्ष्य तक पहुंचने की सो फिर चल पड़े। जहां तालियां मिलीं उसे पुरस्कार समझ रफ्तार बढ़ा देते। लेफ्रोसी चौराहे केे निकट डीपीएस के विद्यार्थियों ने भी उनका उत्साह बढ़ाया। डांडी बाजार में तो मेला लगा था। वे इन धावकों में हिमा दास, ज्योति याराजी, पारुल चौधरी सरीखी प्रतिभा तलाश रहे थे। इसके अलावा बैरहना डाट के पुल के पास ट्रैफिक अनियंत्रित होने के कारण धावकों की राह बाधित हुई। इस बीच धावकों को उखड़े फुटपाथ व नालियों पर छलांग लगाते हुए बढऩा पड़ा। जगह जगह निकली सरिया भी उनको चौका रही थी।

11 हजार से 288 पर आया पार्टिसिपेशन
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2009 में पहली बार क्रास कंट्री को इंदिरा मैराथन से जोड़ा गया था। इसके बाद मैराथन में धावकों की संख्या हजार पार करने लगी। जबकि क्रास कंट्री को मिलाकर 11 हजार से अधिक धावक आनंद भवन से दौडऩे लगे। पूरा शहर उत्साह से इस आयोजन का भागीदार बनता रहा। इसके बाद बदलाव हुआ और पहले क्रास कंट्री बंद हुई, फिर उम्र की बाधा, मेडिकल सर्टीफिकेट, खराब रास्ते, सुविधाओं का अभाव हजारों की संख्या वाले इंदिरा मैराथन को इस बार मात्र 288 की संख्या पर ले आया है। अगर ऐसे ही उदासीनता बनी रही अगले तीन चार साल में धावकों की संख्या दहाई के अंकों में आ जाएगी। खुद प्रशासन भी इस बात को लेकर चिंतित हो रहा है।