प्रयागराज (ब्‍यूरो)। नवाबगंज एरिया के बुदौना निवासी वृद्ध रामसरन के साढू का घर थाना क्षेत्र स्थित हथिगवां में है। रविवार रात उसके साढ़ू के बेटे का तिलक और बेटी की शादी थी। इसी शादी व तिलक में शामिल होने के लिए वह बेटे लल्लू व समयलाल एवं पोता अर्जुन पुत्र लल्लू के साथ साढू के घर गया था। निमंत्रण करने के लिए उसके साथ परिवार का का वृद्ध रामचंद्र भी गया हुआ था। रात में बारात आने के बाद पांचो बुदौना गांव घर आने के लिए तैयार हुए। एक बाइक पर समय लाल व दो अन्य लोग सवार हुए। जबकि रामसरन व रामचंद्र को हाईवे पर गऊघाट के पास तक छोडऩे के लिए एक रिश्तेदार बाइक लेकर आया। सभी हाईवे पर पहुंचे तो बुजुर्गों को छोड़कर रिश्तेदार चला गया। अब केवल समयलाल की ही एक बाइक थी। सफर करने वाले कुल पांच लोग। ऐसे में पांचों कौडि़हार तक आने के लिए हाईवे किनारे साधन का इंतजार करने लगे। कहा जा रहा कि आ रहे एक ट्रक को इन लोगों ने रुकने के लिए हाथ दिया। ट्रक चालक ने इस पर ध्यान नहीं दिया और इन पांचों को रौंदते हुए भाग निकला। हाईवे पर हुए इस हादसे को देख उधर से गुजर रहे कुछ यात्रियों के रोंगटे खड़े हो गए। वह फौरन सूचना पुलिस को दिए। हाईवे पर हादसे की खबर सुन पहुंची पुलिस ने मृतकों की बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। पांचों के मौत की पुलिस द्वारा दी गई तो परिवार में कोहराम मच गया। पोस्टमार्टम बाद पांचों की बॉडी गांव पहुंची तो उसे देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। गांव के लोगों की दरवाजे पर भीड़ लग गई।

तीन परिवारों का सहारा छिना
पिता रामसरन के साथ मरने वाले लल्लू दो बेटे व एक बेटी और भाई समयलाल के भी दो बेटे व एक बेटी है। हादसे में बेटे अर्जुन की मौत से अब उसके कुल का एक ही चिराग बचा। बताते चलें कि मृतक रामसरन के कुल चार बेटे थे। अब दो की हादसे में मौत के बाद मुन्ना व बल्लू ही बचा है। इन्हीं दोनों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई हैं। उधर जान गंवाने वाले दूसरे वृद्ध रामचंद्र के तीन बेटे हैं।

रात में हाईवे पर न दें ट्रक को हाथ
लोगों की मानें तो यदि रात में पांचों हाईवे पर ट्रक रोकने की कोशिश न करते तो शायद हादसा न होता।
अनुमान लगाया जा रहा कि जिस जगह वह ट्रक रोक रहे थे वहां सन्नाटे की स्थिति रहती है।
इससे पांच लोगों को देख ट्रक चालक के दिमाग में कुछ और बात आई होगी।
कहा जा रहा कि वह बदमाश समझ के पांचों पर ट्रक चढ़ा दिया होगा।
यदि ऐसा नहीं होता तो जब पांचों हाईवे पर रोड किनारे खड़े थे तो सभी हादसे का शिकार नहीं होते।
एक दो की जान तो बच ही गई होती। लोगों के ये कयास यदि सही हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि रात में हाईवे पर ट्रकों को हाथ न दें।

हादसे की सूचना पर फोर्स के साथ मौके पर जाकर बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया। पहचान होने के बाद जानकारी मरने वालों के घर दी गई। वह सभी रिश्तेदार के यहां से निमंत्रण करके घर लौट रहे थे।
सुधीर कुमार सीओ सोरांव