बेली हॉस्पिटल में मरीजों को नहीं दी जा रही डिजीटल एक्सरे प्लेट, मरीज लगाते हैं सीएमएस ऑफिस के चक्कर
ALLAHABAD: बेली हॉस्पिटल में मरीजों की सुविधा के लिए डिजिटल एक्सरे मशीन तो लगा दी गई। लेकिन इसमें यूज होने वाली प्लेट का फंड अब तक सुनिश्चित नहीं किया गया। ऐसे में तमाम मरीजों को जांच के बाद प्रॉपर रिपोर्ट नहीं मिल पाती है। इससे उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कई मरीजों को इसके लिए हॉस्पिटल के अधिकारियों के चक्कर भी काटने पड़ते हैं। इसके बाद भी सुनवाई नहीं हो पाती। मजबूरी में कई मरीज नार्मल एक्सरे कराकर संतोष कर लेते हैं।
कई माह से है दिक्कत
यहां डिजिटल एक्सरे मशीन लगे डेढ़ साल का समय बीत चुका है। लेकिन अभी तक प्लेट के फंड का जुगाड़ नहीं हो सका है। प्लेट मंगाने के लिए हॉस्पिटल को यूजर फंड का उपयोग करना पड़ता है। बता दें कि डिजिटल एक्सरे की प्लेट काफी महंगी है और यूजर चार्ज से सभी मरीजों के लिए मंगाना आसान नहीं है। यही कारण है कि एक्सरे कराने के बाद कई मरीजों को प्लेट नहीं दी जाती है, इसके बदले रिपोर्ट कार्ड दिया जाता है। प्लेट की मांग को लेकर अक्सर स्टाफ और पब्लिक के बीच बहस की नौबत आ जाती है।
रोज होती है 60 से 70 जांच
मार्केट में डिजिटल एक्सरे का चार्ज ढाई से तीन सौ रुपए है। बेली हॉस्पिटल में यह फ्री ऑफ कास्ट है। यही कारण है कि यहां सुबह से शाम तक मरीजों की भारी भीड़ जमा रहती है। कुल मिलाकर प्रतिदिन साठ से अधिक जांच हो जाती है। कभी कभी यह आकड़ा सौ तक भी पहुंच जाता है। जांच रिपोर्ट एक दिन बाद दी जाती है। अगले दिन जब परिजन पहुंचते हैं तो उन्हें रिपोर्ट कार्ड थमाया जाता है। प्लेट नहीं मिलती, ऐसे में वे भड़कने लगते हैं। प्रत्येक मरीज एक्सरे प्लेट की मांग करता है।
क्यों जरूरी है डिजिटल एक्सरे
मरीजों के लिहाज से डिजिटल एक्सरे काफी मायने रखता है। डॉक्टर्स भी नार्मल एक्सरे की रिपोर्ट को अधिक तवज्जो नहीं देते। वे डिजिटल एक्सरे कराने की सलाह देते हैं। क्योंकि, इस जांच में पिक्चर साफ आती है और इलाज में आसानी होती है। शहर में लगभग सभी प्राइवेट जांच केंद्रों में डिजिटल एक्सरे की मशीनें लगी हैं।
फैक्ट फाइल
250
से 300 रुपये तक है मार्केट में डिजिटल एक्सरे की कीमत
00
रुपये में होती है बेली हॉस्पिटल में डिजिटल एक्सरे
60
से 70 मरीज आते हैं प्रतिदिन बेली हॉस्पिटल में
मशीन लगा दी जाती है पर उससे जुड़ी जरूरतें पूरी नहीं की जाती हैं। इससे जनता को सुविधा का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। मशीन प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह जाती है।
भारतेंद्र त्रिपाठी
यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह एक्सरे प्लेट भी हॉस्पिटल प्रशासन को उपलब्ध कराए, ताकि मरीज और परिजनों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
अनुराग तिवारी
एक्सरे प्लेट मिलने से मरीजों को अपनी बीमारी की सही जानकारी मिल जाती है। उसी के अनुसार उनका उचित इलाज हो जाता है। सरकार को इसके लिए अलग से बजट की व्यवस्था करनी चाहिए।
अंकुर सिंह
जिन मरीजों की जांच में फ्रैक्चर आता है उनको प्लेट दी जाती है। बाकी को देना मुमकिन नहीं है। प्लेट की खरीद हमें यूजर चार्ज से करनी पड़ती है।
डॉ। आरएस ठाकुर, सीएमएस बेली हॉस्पिटल