प्रयागराज ब्यूरो । सपने बड़े हों तो पूरा करने के लिए हर कदम पर जूझना ही पड़ता है। समाज के अविश्वास और तंज की परवाह किए बगैर आगे बढऩा होगा। अदम्य साहस के साथ इसी फार्मूले पर चलकर संजू देवी मौर्य ने परिवार की आर्थिक दशा बदल दी। वर्ष 2019 के पूर्व ग्रामीण परिवेश में उनकी लाइफ डेहरी के अंदर तक ही सिमटी थी। कुशल गृहणी के रूप में परिवार की सेवा व दो बेटों की परवरिश में ही उनका वक्त कटता था। इन सब के बीच उनके दिल में कुछ कर गुजरने की चिंगारी सुलग रही थी। इस चिंगारी को उनके हौसलों की हवा उस वक्त लगी वह महिला सहायता समूह से जुड़ीं। इस समूह में रहते हुए उन्होंने विभागों की मदद से किसानों को आर्गेनिक खेती के प्रति प्रेरित करने का काम शुरू किया। चंद रुपयों की इनकम वाले इस काम को वह कर तो रहीं थीं, मगर कुछ और बेहतर करने का जुनून सिर पर सवार था। इस बीच विद्युत सखी बनने का मौका मिला तो लपक लीं, और आज वे विद्युत उपभोक्ताओं का बिल जमा करवा कर प्रति माह 25 से 30 हजार रुपये आराम से कमा रही हैं। इस काम में उनकी मेहनत को देखते हुए मंत्री से लेकर डिप्टी सीएम तक सम्मानित कर चुके हैं। आज दूसरी महिलाओं को विभाग खुद संजू देवी से सबक लेने की सलाह देता है।

होता रहा विरोध और बढ़ते रहे कदम
सोरांव तहसील स्थित कलंदरपुर के पास बसे कुरगांव निवासी संजू देवी मौर्य की आज नवाबगंज तक अपनी की एक पहचान है। बताती हैं कि महिला सहायता समूह से जुडऩे के बाद विद्युत सखी बनने का मौका मिला। साथ में समूह की अन्य महिलाएं भी विद्युत सखी बनीं। विद्युत सखी बनने के बाद वह बिजली उपभोक्ताओं को बिल अपने पास जमा करने के लिए कहने लगीं। कहती हैं कि एक समय तो ऐसा लगा कि यह काम उन्हें छोड़ देना चाहिए। फिर मन में ख्याल आया कि सफलता इतनी आसानी से किसी भी फील्ड में नहीं मिलती। वह यही सोचकर लोगों की हिकारत के बावजूद अपने मिशन-ए-विद्युत बिल जमा कराने में जुटी रहीं। कुछ लाइनमैन
भी उपभोक्ताओं को उनके पास बिजली बिल नहीं जमा करने के लिए भड़काते रहे। यह बात मालूम चली तो उन्हें दुख हुआ, विभाग में उनकी कोई सुनने वाला था नहीं। संजू देवी का मानना था कि यह विरोध उनकी सफलता को देखते हुए हो रहा है। वह हिम्मत नहीं हारीं और मार्कर लेकर फील्ड में विद्युत उपभोक्ताओं के घर-घर जा पहुंची। हर उपभोक्ता के दरवाजे पर वे अपना मोबाइल नंबर नाम लिखते हुए यह भी लिख दीं कि बिजली का बिल लोग उनके पास जमा करें। यह देख लोग उपभोक्ता फोन तो करने लगे मगर, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे छोटे बकाएदार पैसा दिए और उनका विद्युत बिल टाइमली विभाग में वह जमा करने लगीं। आज सोरांव ही नहीं नवाबगंज तक के उपभोक्ता उनके पास बिजली का बिल जमा करते हैं। इस काम के लिए उन्हें विभाग से कमीशन मिलता है। वह कहती हैं आज हर महीने 25 से 30 हजार रुपये कम से कम वह कमा लेती हैं।


खुद घर-घर जाकर काटती हैं विद्युत बिल
शीतला एसएसजी महिला सहायता समूह की कोषाध्यक्ष से विद्युत सखी संजू देवी मौर्या बिजली के बकाए बिल में आई छूट के दौरान एक करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से लेकर खुद विभाग में जमा की थीं।
हर महीने विद्युत उपभोक्ताओं के बकाया 18 से 20 लाख रुपये विद्युत बिल का पैसा जमा करा लेती हैं। इनमें तमाम उपभोक्ता खुद उनके पास आकर बिल का पैसा जमा कर जाते हैं।
विद्युत सखी बनने के बाद उनको विभाग के द्वारा बिद्युत बिल रसीद निकालने वाली मशीन भी दे रखा है। जिससे वे जमा किए गए पैसों का बिल तत्काल निकालकर उपभोक्ता को पकड़ा देती हैं।
मशीन पर वह जैसे ही इंट्री करती हैं विभाग को उपभोक्ताओं द्वारा उनके पास जमा किए गए विद्युत बिल के पैसे की जानकारी पहुंच जाती है।
आज अपनी मेहनत और जज्बे से वह न सिर्फ हर महीने अच्छा खासा पैसा कमा रही हैं, बल्कि समाज में उनका सम्मान और पहचान भी काफी बढ़ा है।


डिप्टी सीएम व मंत्री नन्दी किए सम्मानित
करीब दो साल पूर्व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उन्हें पंद्रह अगस्त को इस काम के लिए पुलिस लाइंस में सम्मानित कर चुके हैं। उनकी मेहनत और जुनून की चर्चा कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी तक पहुंची तो उन्होंने भी अशोक स्तम्भ देकर सम्मानित किया। आज पूरा गांव उनका नाम बड़े अदब और सम्मान से लेता है।