- कोरोना संक्रमण में गिरावट आते ही बड़े शहरों की ओर चल पड़े कामगार

- संक्रमण के प्रकोप से काम धंधा बंद होने के कारण सभी आ गए थे अपने घर

PRAYAGRAJ: अब धीरे-धीरे कोरोना संक्रमण के केस कम होने लगे है, केस कम होते ही अब रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है। इसी के तहत परदेश में नौकरी करने वाले अब अपने गांव से बड़े शहरों की ओर मूव करने लगे हैं। रेलवे स्टेशनों पर इन दिनों दिल्ली, मुंबई व गुजरात जैसे शहरों के यात्रियों की भीड़ नजर आने लगी हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों जब कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ा और लॉकडाउन की वजह से कंपनियों ने काम बंद कर दिया तो वे लोग अपने-अपने घर की ओर वापस आ गये थे। करीब दो महीने बगैर कुछ कमाए घर पर कोरोना रूपी संकट के बादल छटने का इंतजार करते रहे। अब इन लोगों को उम्मीद है कि बड़े शहरों में भी हालात थोड़े नार्मल हुए हैं। एक नई उम्मीद व जोश के साथ यह कामगार कोई अकेले तो कुछ परिवार के साथ घरों से निकल पड़े हैं।

कोरोना से पहले दिल्ली में टॉफी कंपनी में सुपरवाइजर था। संक्रमण बढ़ा तो कंपनी में कामकाज सामान्य होने तक बंद कर दिया गया। अब हालात कुछ सामान्य होने लगे हैं। दोस्त ने फोन कर बताया की कंपनी में काम शुरू हो गया है तो फिर दिल्ली की ओर मूव कर दिये हैं।

गजानन प्रजापति, कंधई प्रतापगढ़

हम गुजरात में साड़ी मिल में काम करते हैं। वहां कोरोना संक्रमण की वजह से घर आ गए करीब डेढ़ महीने से भी ज्यादा हो रहे। घर परिवार की जिम्मेदारी सिर पर है। जो पैसे थे वह भी खत्म हो गए हैं। पता किया था अब धीरे-धीरे वहां काम धंधे शुरू होने लगे हैं। इसलिए गुजरात फिर जा रहे हैं।

संतोष गुप्ता, सुजानगंज जौनपुर

हंडिया के हमारे कुछ मौसा व जीजा का परिवार और हम सब मुंबई में रहते हैं। वहां रिक्शा चलाते हैं। करीब दो महीना पहले कोरोना में सभी लोग घर आ गए थे। खेती बारी का भी काम हो ही गया है। जो पैसे थे वह घर परिवार व खेती में खत्म हो गए। कोराना की स्थिति में सुधार दिख रहा है।

आशीष सोनी, रीवां मध्य प्रदेश

इंदौर स्टील प्लांट में काम करते हैं। कोरोना बढ़ा तो घर आ गए थे। मेरी फैक्ट्री तो चल रही है। हम चले इस लिए आए थे क्योंकि लग रहा था कहीं ट्रेन आदि फिर न बंद हो जाय। सरकार क्या? वह पहली बार की तरह फैक्ट्री बंद करने का आदेश भी दे सकती थी। यही सब सोचकर आ गए थे।

अनिल सिंह, जगतपुर मण्डौर

दिल्ली से कोरोना बढ़ा तो घर आ गए थे। वहां अपना काम कपड़ों पर कढ़ाई का है। हमें आए हुए करीब डेढ़ माह हो रहे हैं। जहां काम करते थे वहां से कॉल आई थी। काम शुरू हो गया है। इसलिए अब फिर वहीं जा रहे हैं। घर बैठने से अच्छा है कि चल के वहां कुछ कमाया जाय।

धीरज पटेल, सिसई मऊआईमा

अहमदाबाद कपड़े की फैक्ट्री में हम काम करते हैं। बेटे हैं वे सब भी वहीं कमाते हैं। कोरोना काफी बढ़ गया था, इसलिए सभी घर आ गए थे। फैक्ट्री भी बंद ही चल रही थी। अब वहां काम शुरू हो गया है। इसलिए हम सब अब जा रहे हैं। पैसे भी अब खत्म हो गये हैं।

रामराज, मेजा रोड