- वर्ल्ड मलेरिया डे स्पेशल
- गर्मी आते ही बढ़ गया मच्छरों का आतंक, रात में हो जाती है नींद हराम
- फॉगिंग के लिए विभाग कर रहे बारिश का इंतजार
<- वर्ल्ड मलेरिया डे स्पेशल
- गर्मी आते ही बढ़ गया मच्छरों का आतंक, रात में हो जाती है नींद हराम
- फॉगिंग के लिए विभाग कर रहे बारिश का इंतजार
ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in
ALLAHABAD: जी हां, इस गर्मी मलेरिया से बचना है तो होशियार हो जाइए। क्योंकि, जिस तेजी से मच्छरों का आतंक बढ़ रहा है, उसने अभी से रातों की नींद उड़ानी शुरू कर दी है। वहीं इससे निजात दिलाने वाली सरकारी मशीनरी बारिश का इंतजार कर रही है। आंकड़े बताते हैं कि बीमारी का प्रकोप अप्रैल-मई से शुरू हो जाता है। ऐसे में अपनी सुरक्षा खुद करने में ही भलाई है।
शुरू हो गया मलेरिया का सीजन
मार्च के बाद जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगता है। इसी बीच दबे पांव मलेरिया जैसी घातक बीमारी अपना पैर पसारती है। जून के महीने में बारिश होने के बाद मलेरिया का संक्रमण चरम पर पहुंच जाता है। पिछले साल जून से लेकर सितंबर तक बड़ी संख्या में मलेरिया के मरीज सामने आए थे।
ख्0क्ब् में मरीजों की संख्या पर एक नजर
महीना मरीज
मई क्म्ख्
जून ख्फ्क्
जुलाई- ब्क्ब्
अगस्त 7ब्0
सितंबर क्म्ब्7
ख्0क्भ् में अब तक मिले मरीज
-जनवरी से अप्रैल तक कुल फ्क्7क्ब् स्लाइड बनी हैं जिनमें ब्ब्8 मरीज पॉजिटिव मिले हैं
मलेरिया के लक्षण
- सर्दी और कंपन के साथ एक-दो दिन छोड़कर बुखार
- तेज बुखार, उल्टी व सिरदर्द
- बुखार उतरते समय बदन का पसीना-पसीना होना
- थकावट व कमजोरी
बुखार है तो क्या करें
- बुखार आने पर खून की जांच कराएं
- मलेरिया की पुष्टि होने पर नियमित दवाएं लें
- खाली पेट दवा न खाएं
- एक साल के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह से दवा दें
मलेरिया की रोकथाम
- रात में सोते समय पूरे बांह के कपड़े पहनें
- मच्छरदानी का प्रयोग करें
- आसपास गड्ढों में जमा पानी में जला हुआ मोबिल ऑयल डाल दें
- ठहरे हुए पानी तालाब, कुएं आदि में गम्बोजिया मछली पालें
कैसे फैलता है मलेरिया
- मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम वाइवैक्स और प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम आदि विषाणु से फैलता है। यह मच्छर के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के खून में तेजी से पहुंचता है। संक्रमित मच्छर के काटने से दस से बारह दिनों में मलेरिया के लक्षण रोगी के अंदर दिखने लगते हैं।
मलेरिया विभाग में कर्मचारियों का रोना
जानकारी के मुताबिक मलेरिया के रोकथाम के लिए अप्रैल-मई महीने में ही फागिंग और एंटी लार्वा स्प्रे की शुरुआत हो जानी चाहिए। लेकिन, वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है। मलेरिया विभाग की मानें तो रोकथाम के लिए उनके पास मैन पॉवर का जबरदस्त अभाव है। सोर्सेज बताते हैं कि विभाग के पास फ्क् कर्मचारी हैं, जिससे पूरे जिले में दवाओं का छिड़काव कराना संभव नहीं है।
नगर निगम जून से कराएगा फागिंग
दूसरी ओर नगर निगम की ओर से अभी फागिंग शेड्यूल तैयार नहीं कराया गया है। अधिकारियों का कहना है कि जून से शहर में फागिंग की शुरुआत की जाएगी। बारिश के ठीक पहले फागिंग होने से उसका ज्यादा असर होगा। जबकि, मच्छरों का प्रकोप अभी से शुरू हो गया है। मच्छरों के काटने से मलेरिया के अलावा त्वचा संबंधी रोगों के मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
यमुना पार में है ज्यादा खतरा
इलाहाबाद में हर साल गर्मी और बारिश के महीनों में यमुना पार के क्षेत्रों में मलेरिया का ज्यादा प्रकोप देखने को मिलता है। कोरांव, मेजा, करछना आदि इलाकों में हजारों की संख्या में मरीज सामने आते हैं। इन एरियाज में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने के बावजूद अभी तक रोकथाम के कारगर उपाय नहीं किए जा रहे हैं। शहर के कछारी इलाकों में भी मच्छरों ने नींद उड़ानी शुरू कर दी है।
काफी जोर से काटता है न्यूसेंस मास्कीटो
एक्सपर्ट के मुताबिक शुरुआत में लोगों पर अटैक करने वाले मच्छरों को न्यूसेंस मास्कीटों कहा जाता है। ठंड कम होते ही इनकी संख्या तेजी बढ़ती है और इनका डंक काफी तेज होता है। इनके काटने से स्किन में लाल चकत्ते और दाने पड़ जाते हैं। कभी-कभी इंफेक्शन बढ़ने से लंबे समय तक इलाज कराना पड़ता है। यही मच्छर मलेरिया के वाहक भी बनते हैं।
- गर्मी का मौसम शुरू होते ही एहतियात बरती जा रही है। जिले में जगह-जगह एंटी लार्वा स्प्रे कराया जा रहा है। फागिंग कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। उनकी ओर से अभी फागिंग का शेड्यूल हमारे पास भिजवाया नहीं गया है।
केपी द्विवेदी, जिला मलेरिया अधिकारी
- मलेरिया के रोगियों का आना शुरू हो गया है। लोगों की ठंड के साथ तेज बुखार आने की शिकायत है। लक्षण पाए जाने पर मरीजों की खून की जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद उनका पूरा इलाज किया जा रहा है।
डॉ। ओपी त्रिपाठी, सीनियर फिजीशियन