प्रयागराज (ब्यूरो)। बहुत जल्द शहर की सड़कों पर 'पिंक ई-रिक्शाÓ महिलाएं ड्राइव करेंगी। रोजगार से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। यह 'पिंक ई-रिक्शाÓ उन्हें सरकार के द्वारा बगैर ब्याज के दिया जाएगा। 'पिंक ई-रिक्शाÓ के कुल रेट में सरकारी उन्हें अनुदान भी देगी। शेष बची हुई रकम वह थोड़ा-थोड़ा करके डेली के डेली जमा कर सकेंगे। लाभ पाने वाली महिलाओं को रिक्शा संचालन की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। स्कीम का फायदा उठाने के लिए उम्र सीमा भी निर्धारित की गई है। निर्धारित की गई आयु सीमा के ऊपर की महिलाएं पात्रता की श्रेणी में नहीं होंगी। फस्ट फेज में स्कीम का लाभ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को ही दिया जाएगा। यह स्कीम उन महिलाओं के लिए कारगर साबित होगी जो मेहनत करके दो पैसा बतौर ईमानदारी कमाना चाहती हैं।
स्वावलंबी बनाना है लक्ष्य
स्कीम का लाभ लेने के लिए आवेदन से पूर्व महिलाओं को कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।
आवेदन वही महिलाएं कर सकेंगी जो किसी महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। पात्रता की श्रेणी में आने के लिए सिर्फ इतना ही नहीं है।
इसके लिए उम्र का 18 से लेकर 45 वर्ष तक होना अनिवार्य है।
इससे ऊपर की आयु वाली महिलाएं स्कीम का लाभ नहीं ले सकतीं।
फस्र्ट फेज में ऐसी 75 महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलेगा।
मतलब यह कि पात्र महिलाओं के बीच शासन की मदद से 75 'पिंग ई-रिक्शाÓ दिए जाएंगे। इस 'पिंक ई-रिक्शाÓ की कुल लागत में करीब 50 प्रतिशत पैसा सरकार बतौर अनुदान देगी।
शेष रकम महिलाओं को कमा कर फुटकर बेस पर जमा करना होगा।
रोज की कमाई से भरेंगी किश्त
वह शहर में रोज इस ई-रिक्शा को चलाकर कमाएंगी। इसके बाद उसमें से थोड़ा पैसा वह बतौर किस्त जमा करेंगी। इस तरह वे महिलाएं बगैर आर्थिक दबाव के रोजगार से जुड़ जाएंगी। स्कीम सक्सेस हुई तो सेकंड फेज में अन्य महिलाओं को भी लाभ दिया जाएगा। हालांकि सेकंड फेज की स्कीम में यह काम शुरू होने की अभी कोई डेट तय नहीं है। स्कीम और आदेश आने के बाद नगरीय विकास अभिकरण के अधिकारियों द्वारा काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इसके के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी।
प्रशिक्षण बाद मिलेगा लाइसेंस
ऐसा नहीं है कि 'पिंक ई-रिक्शाÓ मिलते ही महिलाओं को उसे रोड पर चलाने की इजाजत मिल जाएगी। नगरीय विकास अभिकरण से जुड़े लोगों की मानें तो चयनित महिलाओं को पहले इसे चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग देने की जिम्मेदार आरटीओ विभाग को दी जाएगी। ड्राइविंग का प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद आरटीओ द्वारा उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा। 'पिंक ई-रिक्शाÓ चलाते वक्त महिलाओं को जारी किया गया लाइसेंस पास रखना होगा। किसी भी सक्षम पुलिस या अन्य अधिकारी के द्वारा लाइसेंस मांगने पर उसे दिखाना होगा। ऐसा इस लिए ताकि उन्हें रोड पर सवारी ढोते समय जांच पड़ताल के नाम पर कोई परेशान नहीं कर सके।
ऐसा करने पर होगी सख्त कार्रवाई
स्कीम का लाभ लेने के बाद कुछ महिलाएं 'पिंक ई-रिक्शाÓ ड्राइवर से नहीं चलवा सकती हैं। यदि उनके सिवाय यह ई-रिक्शा कोई दूसरा व्यक्ति चलाता हुआ पकड़ा गया तो वे कार्रवाई के जद में आ सकती हैं। अनुदान तो मिलेगा नहीं, योजना की मंशा के विपरीत काम करने के लिए अर्थदण्ड भी लगाया जा सकता है। क्योंकि यह योजना सिर्फ महिलाओं को रोजगार से जोड़ते हुए स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से चलाई गई है। प्रशिक्षण बाद मिला ड्राइविंग लाइसेंस भी कैंसिल हो जाएगा।
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से यह स्कीम शासन के द्वारा लांच की गई है। शुरुआती दौर में 75 महिला प्रति को एक 'पिंक ई-रिक्शाÓ दिया जाएगा। यह लाभ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी पात्र महिलाओं को ही मिलेगा। संचालन के लिए ट्रेनिंग भी दिलाई जाएगी।
सुजीत सिंह, सहज मिशन प्रबंधक