युवतियों से लेकर उम्रदराज लाभार्थी तक लग रहीं कतार में
कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण से छिड़े अभियान में महिलाओं की भागीदारी ने इस महाआयोजन की रंगत ही बदल दी है। नगर व ग्रामीण क्षेत्र के सभी केंद्रों पर 18 साल की हो चुकी लाभार्थी युवतियों की लंबी कतारें हैं तो ऐसी महिलाएं भी अपने स्वजन के साथ पहुंच रही हैं जिन्हें दो पग चलने के लिए दो लोगों का सहारा चाहिए। टीके के पीछे इनकी मंशा बड़ी साफ भी है। कहती हैं कि टीका हमारी सुरक्षा के लिए ही है तो इसे लगवाने में सोचने समझने के लिए कुछ रह नहीं गया है।
शुरुआत से ही दिखा रही हैं उत्साह
टीकाकरण में महिलाओं का उत्साह दो चार दिनों पहले से नहीं बल्कि 16 जनवरी को टीके की हुई शुरुआत से ही रहा है। बुजुर्ग महिलाएं लाठी टेकते हुए, व्हील चेयर पर और स्वजन के हाथ का सहारा लेकर भी पहुंची थीं। लेकिन अब भागीदारी इसलिए और मजबूत हो चुकी है क्योंकि इसमें एक मई से युवतियां भी शामिल हुई हैं। बल्कि युवतियों में युवकों की अपेक्षा टीके को लेकर ज्यादा उतावलापन है। शुक्रवार को सभी कुल 7648 लोगों को टीके लगाए गए। इसमें 5384 को पहली और 2264 को दूसरी डोज लगी। जबकि इनमें 18 से 44 साल के वर्ग में 4800 के लक्ष्य के सापेक्ष 3840 यानी 80 फीसद लाभार्थियों ने टीका लगवाया। कई जगह लाभार्थियों के न पहुंचने से वैक्सीन बर्बाद भी हुई। इसमें सबसे ज्यादा बर्बादी सीएचसी हंडिया में 5.77 फीसद, उससे कम सीएचसी मांडा में 4.65 फीसद, फिर सीएचसी रामनगर में 3.09 फीसद वैक्सीन खराब हुई। सौ फीसद टीके युवाओं के लिए निर्धारित 20 केंद्रों में कहीं भी नहीं हो सके।
पहली डोज के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता के बावजूद लाभार्थी उत्साह में हैं। शहर ही नहीं, गंगापार और यमुनापार में बनाए गए केंद्रों में भी महिलाएं व पुरुष अपने क्रम से पहुंच रहे हैं।
डा। तीरथलाल
टीकाकरण प्रभारी एसीएमओ