प्रयागराज (ब्‍यूरो)।

श्री महंत बाबा हाथी राम पजावा रामलीला कमेटी में चल रही रामलीला में निर्देशक सचिन कुमार गुप्ता द्वारा रावण दरबार से अभिनंदन सादर अभिनंदन के गीत से प्रारंभ होकर मारीच द्वारा कपट जाल, सीता हरण की मनमोहक लीला की प्रस्तुति दी गई। जिसमें रावण का आकाश मार्ग से आना एवं माता सीता को आकाश मार्ग से वापस ले जाना का दृश्य बहुत ही अद्भुत था। इसके बाद सीता की खोज में प्रभु राम लक्ष्मण द्वारा कबंध वध बहुत ही भव्यता पूर्वक से दिखाया गया। शबरी मिलन को भी मोहक अंदाज में प्रस्तुत किया गया।

खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटे भरत

श्रीकटरा रामलीला में चल रही रामलीला सम्पूर्ण रामायण की राम कथा में सोमवार को आरती पूजन के बाद भरत जी को दरबार में बताया गया की भाई श्री राम को 14 वर्ष का वनवास भरत को राज सिहांसन। इस पर भरत जी कैकेयी का परित्याग कर देते हैं। भाई श्री राम को वापस अयोध्या लाने के लिए निकल पड़ते हैं। उधर लक्ष्मण जी भरत को आते हुए देख कर कहते भैया देखिए भरत सेना लेकर आ रहे हैं। युद्ध के लिए तैयार रहें। इस पर श्री राम भरत को समझाते हैं। आने दो भरत को हम जानते हैं वो हमें वापस ले जाने के लिए आ रहे है। अंत में भरत का मान रखने के लिए श्री राम ने अपनी खडाऊं भरत को राज पाट करने के लिए दिया। भरत जी खड़ाऊं सर पर रख वापस अयोध्या चल दिए। पंचवटी में अपना आश्रम बनाते अत्री मुनि के आश्रम में पहुँच कर आर्शिवाद लेते हैं। उधर अगस्त मुनि उन्हे द्विव्यास्त्र प्रदान करते है। सीता जी को अग्नि प्रवेश करा देते हैं और उनके बहुरुप सीता को अपने साथ रखते हैं। इसके बाद सुपर्णखा और खरदूषण वध की लीला का मंचन होता है।

पथरचट्टी में भी भरत पहुंचे राम को मनाने

पथरचट्टी में चल रही लीला मंचन के दौरान भरत के अयोध्या लौटने के बाद दरबार बुलाने। इसमें माता कैकेयी का परित्याग और राम को मनाने के लिए वन गमन की योजना तैयार होती है। सभी परिजनों के साथ पहुंचे भरत बड़े भाई राम से मिलकर उन्हें वापस अयोध्या चलने और राजगद्दी संभालने की प्रार्थना करते है। जिस पर राम पिता के वचन का पालन करने के अपने कर्तव्य की याद दिलाते है। इसके बाद आगे के प्रसंग का मंचन होता है। लीला मंचन में रावण की बहन शूर्पणखा का राम के अलौकिक सौंदर्य पर मोहित होना, उनसे विवाह का प्रस्ताव, राम का उसे लक्ष्मण के पास भेजना, उनके द्वारा फिर राम के पास जाने की बात पर क्रोधित हुई शूर्पणखा का भयंकर वेश में सीता को भयभीत करने आदि प्रसंगों का मंचन हुआ। राम के संकेत पर