प्रयागराज (ब्यूरो)। बता दें कि हार्ट के बाई ओर एक नस होती है और इसे लेफ्ट मेन कहते हैं। जब इसमे ंब्लाकेज होता है तो इसके इलाज में अमूमन डॉक्टर्स बाईपास सर्जरी का आप्शन चुनते हैं। इसमें चीरफाड़ होती है और खतरा भी बना रहता है। ऐसे में कई मरीज बाई पास सर्जरी कराने से बचते हैं। इसी डिजीज का इलाज एडवांस तकनीक से दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में चार से पांच लाख में किया जाता है। जिसमें बिना सर्जरी एंजियोप्लास्टी के जरिए स्टेंट डालकर मरीज का इलाज कर दिया जाता है। लेकिन एसआरएन अस्पताल में यह सुविधा अभी तक उपलब्ध नही थी।

पहले मरीज बने डॉ। जालंधर

जानकारी के मुताबिक प्रतापगढ़ के रहने वाले 55 साल के डॉ। जालंधर को लेफ्ट मेन डिजीज थी। वह बाई पास सर्जरी कराने आए थे लेकिन डॉ। मो। शाहिद की टीम ने एंजियोप्लास्टी के जरिए उनके हार्ट की नसों में तीन स्टेंट डाले। जिसके बाद उनका ब्लॉकेज ठीक हो गया। इसके बाद वह चौबीस घंटे के भीतर अपने घर भी चले गए। जिन मरीजों को ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी हेाती है उनकी सर्जरी आसान नही होती है। ऐसे में यह तकनीक ऐसे मरीजों के लिए अधिक कारगर सिद्ध हो सकती है।

एसआरएन में पहली बार इलाज की यह तकनीक अपनाई गई है। अब मरीजों को लेफ्ट मेन डिजीज में बाई पास सर्जरी से निजात मिल जाएगी। कम पैसों में बिना चीर फाड़ उनका इलाज संभव हो सकेगा। वह चौबीस घंटे में अपने घर भी जा सकते हैं।

डॉ। मो। शाहिद, कार्डियोलाजिस्ट, एसआरएन अस्पताल प्रयागराज