फैमिली के तीनों मेंबर्स के कोरोना संक्रमित होने के बाद भी नहीं मानी हार

भारतीय संस्कृति में संयम और नियमित दिनचर्या का सबसे अधिक महत्व दिया गया है। लेकिन बदलती लाइफ स्टाइल ने हमारी आदतों के साथ ही दिनचर्या को भी बदल दिया है। इलाहाबाद यूनिवíसटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पंकज कुमार और उनकी पत्नी अनुराधा श्रीवास्तव भी इलाहाबाद यूनिवíसटी में ही कार्यरत है। उनका बेटा प्रणव श्रीवास्तव मुम्बई में एक मल्टीनेशनल फर्म में काम करते है। जबकि प्रो। पंकज कुमार और उनकी पत्नी यूनिवíसटी के बैंक रोड स्थित बंगले में रहते है। बेटा भी कोरोना महामारी के कारण वर्कफ्राम होम होने के कारण उनके साथ ही इन दिनों रह रहे है।

प्रो। पंकज कुमार ने बताया कि होली पर वह तीनों और उनके छोटे भाई राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के डायरेक्टर डॉ। नीरज कुमार व उनकी फैमली के साथ अपने गांव बिहार के छपरा गए हुए थे। किसी कारण से 30 मार्च को उनके भाई डॉ। नीरज को वापस लौटना पड़ा। यहां आते ही उनकी और उनकी पत्नी की तबियत खराब हो गई। उधर होली के बाद ही प्रो। पंकज कुमार और उनकी पत्नी की भी तबियत ठीक नहीं होने से वह भी लौट आए। बैंक रोड वाले आवास पर आने के बाद उनके अंदर कोरेाना महामारी के लक्षण दिखने लगे। टेस्ट कराया तो दोनों पॉाजिटिव आए। बेटे भी पॉजिटिव मिला।

नियमित दिनचर्या से जीती जंग

प्रोफेसर पंकज कुमार ने बताया कि तीनों लोगों के पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद कोई डरा नहीं। पूरे उत्साह के साथ एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए पूरे समय घर में रहकर घर के कार्यो को करने में ही समय बिताना शुरू कर दिया। बंगले के अंदर ही सुबह माìनग वॉक करना, एक्सरसाइज करने के साथ ही फैमिली के साथ समय बिताना शुरू कर दिया। घर में सभी के पसंद का नास्ता, लंच और डिनर सब मिलकर बनाते थे। पूरे समय में योग और साफ सफाई का ज्यादा ध्यान रखा गया। जिससे किसी को भी दिक्कत ना हो। प्रो। पंकज कुमार ने बताया कि ऐसे समय में सकारात्मक सोच नई ऊर्जा का संचार करती है। जिससे कई बार जो चीजें निगेटिव रहती है। सकारात्मक सोच के दम पर वहां से भी पॉजिटिव एनर्जी मिलती है।