- हवा के दबाव में अंतर होने के कारण लगातार बढ़ रही गर्मी और उमस
- 20 जुलाई के बाद झमाझम बारिश से लोगों का राहत मिलने की संभावना
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PRAYAGRAJ: जून में हुई बारिश ने जुलाई में बारिश के सीजन में खलल डालना शुरू कर दिया है। ये हम नहीं कह रहे है, बल्कि सिटी के मौसम वैज्ञानिकों का तो फिलहाल यही मानना है। पिछले कुछ दिनों से लगातार भीषण गर्मी झेल रहे सिटी के लोगों को राहत की अच्छी बारिश के लिए अभी कई दिनों तक इंतजार करना होगा।
मानसून का हो रहा है मूवमेंट
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वातावरण एवं समुद्र विज्ञान विभाग के डॉ। शैलेन्द्र राय ने बताया कि पूरे देश में इन दिनों मानसून का मूवमेंट हो रहा है। यही कारण है कि पहाड़ी एरिया से लेकर दक्षिण भारत समेत अन्य कई पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश हो रही है। लेकिन सेंट्रल इंडिया की स्थिति काफी अलग है। पिछले सालों तक जहां जुलाई में मानसून की दस्तक हो जाती थी। वहीं इस बार हवा के दबाव में अंतर आने के बाद अभी तक सेंट्रल इंडिया में मानसून की अच्छी बारिश नहीं हो पा रही है। जिसके कारण लगातार गर्मी बढ़ रही है। हालांकि गर्मी अधिक होने से हल्की बारिश की संभावना बनी हुई है। लेकिन ये राहत देने वाली बारिश नहीं होगा। उन्होंने बताया कि जहां तक बात उमस की है, तो उसके पीछे जून में हुई बारिश सबसे बड़ा कारण है। जून में बारिश के कारण वातावरण में नमी की मात्रा लगातार बनी हुई है। जिसके कारण उमस बढ़ रही है। ऐसे में जब तक मानसून की अच्छी बारिश नहीं होगी। उमस और गर्मी से राहत मिलना संभव नहीं है।
बंगाल में बन रहा है दबाव
डॉ। शैलेन्द्र राय ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में लगातार दबाव बन रहा है। लेकिन उसका असर सेंट्रल इंडिया, यानी यूपी जैसे राज्यों तक नहीं पहुंच पा रहा है। यहीं कारण है कि इन राज्यों में फिलहाल बारिस की स्थिति नहीं बन पा रही है। वहीं सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने का वातावरण या मौसम पर असर को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने का फिलहाल मौसम या वातावरण पर कोई खास असर होने के संकेत अभी तक नहीं मिले है। ऐसे में उससे मानसून पर असर नहीं होना चाहिए। लेकिन प्रयागराज व उसके आस-पास के जिलों के लोगों को मानसून की अच्छी बारिस के लिए अभी इंतजार ही करना होगा। उसके बाद ही मानसून की बारिस का आनंद लोग उठा सकेंगे।
फिलहाल आने वाले पांच दिनों तक अच्छी बारिश के मौसम बनने का संकेत नहीं मिल रहा है। ऐसे में लोगों को अच्छी मानसूनी बारिश के लिए इंतजार करना होगा। उसके बाद ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद बन सकती है।
डॉ। शैलेन्द्र राय, वातावरण एवं समुद्र विज्ञान विभाग, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी