प्रयागराज (ब्यूरो)। ट्रैक्टर यूं तो कृषि कार्य और ग्रामीण इलाकों के लिए होता है। मगर इधर कुछ महीने से ट्रैक्टर की शहरी इलाके में बाढ़ सी आ गई है। दिन में तो यह शहर की सड़कों पर रेस लगाते ही हैं, रात में इनकी संख्या और रफ्तार और भी बढ़ जाती है। पुराने ब्रिज पर रात के वक्त ओवर लोड झुण्ड के झुण्ड ट्रैक्टरों का संचालन आराम से देखा जा सकता है। इस ब्रिज पर चलने वाले यह ट्रैक्टर ओवर लोड भी होते हैं। फिर इन पर वह बालू लादी गई हो या मिट्टी अथवा मिट्टी कोई फर्क नहीं पड़ता। ओवर लोड होने की वजह से पुल पर यह बहुत तेज नहीं चल पाते। क्योंकि पुल पर अधिक भार वाले वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। लिहाजा धीरे-धीरे पुलिस आवागमन करना इनकी मजबूरी भी होती है। इनके बीच या पीछे फंसे और और बाइक सवार लोगों को भी मजबूरन कच्छप गति से सफर करना पड़ता है। क्योंकि यह ट्रैक्टर बहुत तेज तो चल नहीं सकते। लिहाजा पुल क्रास होने तक ट्रैक्टर के पीछे पीछे हर किसी को रेंगना पड़ता है। इनकी वजह से पब्लिक तो परेशान होती है। लोग बताते हैं कि पुल के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि अंग्रेजों के जमाने का बना यह ब्रिज कमजोर हो चुका है। इसी लिए इससे होकर ट्रक या अन्य भार वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मगर इस प्रतिबंध का ट्रैक्टर चालकों पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। कीडगंज ही नहीं नैनी व दारागंज पुलिस भी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रही है।
इसलिए बने हैं पुराने ब्रिज के दुश्मन
शहर में बालू व मिट्टी की जबरदस्त खपत है। लोगों को मकान का लेवल ऊंचा करना है तो मिट्टी चाहिए। घर- घर बनवाना है तो बालू और ईंट। इनमें यदि सीमेंट और सरिया छोड़ दी जाय तो ज्यादा तर सामान ग्रामीण इलाकों से ही आते हैं। मिट्टी या बालू आदि लादकर यदि ट्रैक्टर चालक नए पुल से आएंगे तो दूरी करीब एक दो किमी बढ़ जाती है। यह दूरी तय करने के लिए डीजल लगेगा। बस इसी डीजल को बचाने के लिए ट्रैक्टर चालक यमुना के पुराने ऐतिहासिक ब्रिज के दुश्मन बने हुए हैं।
रात के वक्त पुलिस का बराबर मूवमेंट रहता है। गश्त पर ड्यूटी भी लगाई जाती है। यदि पुलिस लापरवाही बरत रही तो इसकी जांच करके कार्रवाई की जाएगी। पब्लिक को चाहिए कि जिस वक्त ब्रिज पर इस तरह की समस्या हो वह तुरंत बताएं। एक्शन लिया जाएगा।
संतोष कुमार मीना, एसपी सिटी