- हफ्ते भर के अंदर चार छात्रों द्वारा सुसाइड किया जाना बना चिंता का विषय

PRAYAGRAJ: मां- बाप के सपनों व खुद के भविष्य की तलाश में प्रयाग पहुंचे तमाम छात्रों के दिमाग में आखिर चल क्या रहा है। ऐसी कौन सी समस्या है, जिससे वे कामयाबी के बजाय गले में फांसी का फंदा डाल रहे हैं? हफ्ते भर के भीतर चार प्रतियोगी छात्र यहां सुसाइड कर चुके हैं। चौथे छात्र ने शनिवार को जान दे दिया।

आंसुओं में बह रहे मां-बाप के सपने

कर्नलगंज के सलोरी लॉज में रहकर मनीष यादव प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता था। वह गाजीपुर जिले के मरदा गांव निवासी केदार सिंह यादव का बेटा था। तीन भाइयों में छोटा मनीष घर का काफी दुलारा था। शुक्रवार रात तक सब कुछ ठीक था। वह दोस्तों संग रहा और कमरे में पढ़ाई के बाद रात में सोने चला गया। इस बीच उसके दिमाग में न जाने कौन सी बात आई कि फांसी के फंदे पर झूल गया। लॉज के दोस्तों ने उसे आवाज दी। साथियों ने देखा तो उसकी बॉडी फांसी के फंदे से लटक रही थी। छात्रों ने लॉज मालिक को बात बताई। थोड़ी ही देर में खबर मिलते ही कर्नलगंज पुलिस भी जा पहुंची। छानबीन के बाद बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया। सूचना घर वालों तक पहुंची तो सभी भागकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। उसकी बॉडी को देखते ही सभी फूट-फूटकर रोने लगे।

सुसाइड-1

सलोरी स्थित एक लॉज में ही 22 फरवरी को पार्टनर संग रहने वाले मौसम यादव (22) ने सुसाइड कर लिया था। वह वाराणसी जिले के गद्दोबाजार का रहने वाला था। घूमफिर कर शाम को उसके दोनों पार्टनर पहुंचे तो वह लॉज के रूम में सुसाइड कर चुका था। मौसम यहां लॉज में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी किया करता था। सुसाइड की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी।

सुसाइड-2

शिवकुटी एरिया में 22 फरवरी को ही हुई थी। थाना क्षेत्र स्थित महाबीरपुरी डॉट पुल पर विजय कुमार नामक छात्र ट्रेन के सामने कूद कर जान दे दिया था। वह यहां कटरा में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी किया करता था। वह मूल रूप से नवाबगंज के सरायफत्ते गांव का रहने वाला था। विजय ने सुसाइड क्यों किया? यह राज भी आज तक न तो पुलिस को मालूम चला और न ही घर वालों को।

सुसाइड-3

सुसाइड की तीसरी घटना भी 22 फरवरी को ही हुई थी। जार्जटाउन के सोहबतिया बाग एरिया में सरल मिश्रा नामक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। पुलिस द्वारा बताया गया था कि वह भी छात्र ही था। पंद्रह वर्ष की उम्र में आखिर सरल को ऐसी कौन सी समस्या थी, जिससे सुसाइड करना पड़ा? पुलिस द्वारा इसकी बॉडी को भी पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया था। सूचना मिलने के बाद पहुंचे परिवार वालों के पास सिर्फ आंसू बहाने के सिवाय कुछ नहीं था।

मनोचिकित्सक कहते हैं कि छात्र अक्सर अकेले रहते हैं ऐसे में वे परिवार से खुद को अलग- थलग पाते हैं

दोस्तों के बीच होते जरूर हैं पर कुछ बातें वह किसी से शेयर नहीं करते और अंदर ही अंदर कुढ़ते रहते हैं

परिजनों को चाहिए कि यदि बच्चे पढ़ाई करने दूर गए हुए हैं तो फोन से ही उनसे दिन में तीन चार- बार बातें करते रहें

उनसे खुलकर बातें और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश करते हुए उसका हल भी उसे दें

आसपास रहने वाले दोस्तों से भी उसके बारे में पूछते रहें और बीच-बीच उसके पास आएं भी

कभी भी छात्रों से उसकी सफलता या असफलता को लेकर बहुत चिंता न जताएं, उसे फील करवाएं कि जो होगा वही अच्छा

उसकी पर्सनल बातें और रिलेशन एवं उसके दोस्तों के बारे में भी बातचीत करें। इससे वह खुलकर बातें करेगा

दूर होकर भी उसे पास होने का अहसास कराएं, यह फील पैदा करें कि उसे आप बहुत याद करते हैं

छात्रों का सुसाइड करना वाकई चिंता का विषय है। अभिभावक कुछ बातों पर ध्यान दें तो छात्रों के मन मस्तिष्क से ऐसी सोच दूर हो सकती हैं। अक्सर उनके दूर होने से आप उनकी मनोदशा नहीं पढ़ पाते। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा बातें करें और टच में रहें।

डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक