प्रयागराज (ब्यूरो)।मंडल के सबसे बड़े एसआरएन अस्पताल में मरीजों की साफ-सफाई और संक्रमण जैसे मामलों पर ध्यान नही दिया जा रहा है। सर्जरी वार्ड में उनको साफ चादर उपलब्ध नही कराई जा रही है। वह कई कई दिनों तक मैली चादर में रहने को मजबूर हैं। इससे संक्रमण के चांस बढ़ जाते हैं। इतना ही नही, हॉस्पिटल की सेंट्रल लांड्री में चादरों को सुधाने का तरीका बिल्कुल हाइजिनिक नही है। इससे मरीजों के अधिक बीमार होने का खतरा बढ़ गया है।

रिपोर्टर ने मौके पर जानी हकीकत

रिपोर्टर ने एसआरएन अस्पताल के सर्जरी वार्ड का जायजा लिया। हमने पाया कि यहां पर भर्ती मरीज गंदे चादर पर लेटे हुए हैं। कई बेड पर तो चादर ही नही है। मरीज सीधे रैक्सीन पर लेटने को मजबूर हैं। सर्जरी मेल वार्ड के यही हालात नजर आए। इसके बाद रिपोर्टर ने सर्जरी प्री और पोस्ट वार्ड का भी जायजा लिया। यहां भर्ती फूलपुर की चमोला देवी ने बताया कि पांच दिन के भीतर एक भी चादर नही बदली गई है। इसी वार्ड में भर्ती रहे राजेश का पित्त की थैली का आपरेशन हुआ था। उन्होंने बताया कि 25 दिन भर्ती रहने के दौरान केवल एक चादर ही बदली गई थी।

बढ़ जाता है इंफेक्शन का खतरा

खुद डॉक्टर्स भी इसे सही नही मानते हैं। जब हमने उनसे बता की तो उन्होंने बताया कि सर्जरी वाले मरीज को आपरेशन के बाद साफ सुथरी चादर की जरूरत होती है। इससे घाव में इंफेक्शन के चांस कम हो जाते हैं। चादरे नही बदली जाने से दो दिक्कतें आती हैं। सेप्टीसीमिया यानी घाव में संक्रमण के अलावा मरीज की स्किन में भी खुजली, दाने और रैशेज जैसे लक्षण देखने को मिल जाते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि चादरें तत्काल बदली जाएं।

गंदगी में सुखाई जा रही हैं चादरें

इसके बाद हमने अस्पताल की मार्डन लांड्री का भी जायजा लिया। हमने पाया कि धुली गई चादरों को जमीन पर सुखाया जा रहा था। लोग उस पर पैर रखकर गुजर रहे थे। गंदी जमीन पर चादरों को सुखाने के बाद इन्हें मरीजों के बेड पर बिछाया जाता है। जिससे संक्रमण का खतरा बढऩे लगता है। हमने यहां मौजूद एक कर्मचारी से पूछा तो उसने बताया कि रोजाना लगभग एक हजार चादर धुली जाती है। जब उससे चादरों को जमीन पर सुखाने के बारे में पूछा तो वह चुप्पी साध गया।

ब्लीचिंग से उड़ गया चादरों का रंग

बता दें कि कुछ साल पहले शासन ने दिन के हिसाब से चादर का रंग निर्धारित करते हुए अस्पतालों में इसे लागू करने का आदेश दिया था। जिसके तहत सोमवार को सफेद, मंगलवार को गुलाबी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को बैगनी या लवेंडर, शनिवार को नीला, रविवार को हल्का गुलाबी या हल्का भूरे रंग के चादर का इस्तेमाल होगा। लेकिन यहां ऐसा नजर नही आया। जब इस मामले में अस्पताल प्रशासन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ब्लीचिंग की वजह से चादरों का कलर उड़ गया है। बाकी नियमों का पालन किया जा रहा है।

वर्जन

हमारे यहां चादरों की कोई कमी नही है। रोजाना चादर बदली जा रही है। सर्जरी विभाग में भी ऐसा नही है। अगर कोई इस तरह का भ्रामक बयान दे रहा है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज