प्रयागराज (ब्यूरो)। रामबाग एरिया स्थित फ्लैट में संगीता देवी की मौत दम घुटने से हुई थी। शुक्रवार को परिजनों के आने पर उसकी बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ। रिपोर्ट में उसके गले पर जो निशान मिले हैं उससे गला घोंट कर हत्या किये जाने की आशंका को बल मिल रहा है। हालांकि पुलिस उसके गले पर मिले निशान की वजह को फांसी बताने से भी नहीं चूक रही है। शुक्रवार को परिजनों के पहुंचने पर पता चला कि संगीता धूमनगंज इलाके के नीवां की रहने वाली थी। पति को छोड़कर वह पिछले करीब सात वर्षों से इसी फ्लैट में रहा करती थी। पोस्टमार्टम हाउस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उसकी मौत करीब दस से पंद्रह दिन पूर्व हुई होगी। सुबह अखबारों में छपी खबर को देखने के बाद परिवार को संगीता की मौत का पता चला। परिचित के एक शख्स संग एसआरएन पुलिस चौकी व पोस्टमार्टम हाउस पहुंची बिटोला देवी बेटी की मौत के गम में सुबकती रही।
धूमनगंज नीवा की थी संगीता
नीवां की हरने वाली संगीता की मां बिटोला देवी पत्नी दयानन्द काफी गमजदा थी। बिटोला के मुताबिक उसके तीन बेटों के बीच संगीता अकेली बेटी थी। दो बेटे बाहर रहते हैं। छोटे बेटे के पांव में रॉड पड़ी है। वह कहीं आ जा नहीं सकता। दस पंद्रह साल पूर्व संगीता ने अपनी मर्जी से लव मैरिज की थी। शुरुआती दौर में परिवार उसकी इस शादी के खिलाफ था। फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ सामान्य हो गया। जिस लड़के से वह शादी की थी वह लखनऊ में कार मैकेनिक था। उसके साथ वह संगीता को खुश देकर परिवार भी सब कुछ भूल गया। कुछ वर्षों तक सब कुछ ठीक चलता रहा। अचानक सात आठ साल पूर्व संगीता पति को छोड़ दिया और प्रयागराज लौट आयी।
अकेले ही आयी थी फ्लैट में रहने
पति को छोडऩे के बाद वह आई तो रामबाग चौराहे के पास देवड़ा सदन में बने एक फ्लैट में रहने लगी। यह बात उसकी मां व परिवार को मालूम चली तो उन्होंने उससे दूरी बना ली। उसकी मां बताती है कि उसे इतना मालूम है कि बेटी संगीता मौत के पूर्व तक इसी फ्लैट में रह रही थी। यह फ्लैट प्रीतम नगर निवासी डॉ। दीपेंदु मित्रा का है। डॉक्टर दीपेंदु कमला नेहरू हॉस्पिटल में कैंसर सर्जन थे। मौजूदा समय में वह यूनाइटेड मेडिसिटी में कैंसर विभाग के हेड हैं। उन्हीं के इसी फ्लैट में गुरुवार को संगीता की नेकेड व सड़ी हुई बॉडी मिली थी। मां बिटोला के पहुंचने के बाद वीडियोग्राफी के साथ संगीता की बॉडी का शुक्रवार को पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके गले पर रस्सी या किसी चीज से कसने के निशान मिले हैं।
तो किसी ने गला घोंट दिया
सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण दम घुटने से मिला है। गले पर जो निशान मिले हैं वह (वी) आकार का नहीं हैं। पोस्टमार्टम हाउस के मुखबिर बताते हैं कि जो स्थितियां रिपोर्ट में बताई गई हैं उससे संगीता की गला घोंटकर हत्या की बात साबित होती है। कोतवाली पुलिस व सीओ शाहगंज गले पर मिले निशान की वजह फांसी भी फांसी बताते रहे। शाम के वक्त इन बातों को सुनने के बाद लोग पुलिस की भूमिका पर ही अंगुली उठाने लगे। कहना था कि पुलिस पूरे प्रकरण में कुछ तो है जिसे छिपाने की कोशिश में लगी है।
सवालों के कठघरे में घिरी पुलिस
फ्लैट में पुलिस के हाथ एक मोबाइल मिला था। उस मोबाइल का सिम गायब है और मैसेज व कॉल डिटेल भी डिलेटेड थे।
फ्लैट में उसकी बॉडी को मिले हुए 24 घंटे से भी अधिक का वक्त बीत गया और पुलिस सिम तक का पता नहीं लगा सकी।
फ्लैट में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों का फुटेज तक पुलिस शुक्रवार की देर रात तक नहीं सर्च कर सकी थी।
बताते हैं कि पुलिस के हाथ एक डायरी भी लगी है, जिसमें कई मोबाइल नंबर लिखे हुए थे।
उस डायरी मिले नंबर किसके हैं यह भी पुलिस नहीं बता पा रही। इस सनसनीखेज वारदात की तफ्तीश सुस्ती भी पब्लिक सवालों के घेरे में है।
प्रश्न यह है कि किसी घटना के तुरंत बाद फुटेज व काल डिटेल निकालने वाली पुलिस संगीता की मौत में इतनी सुस्त क्यों हैं?
उसकी मौत का राज जानने के लिए पुलिस पोस्टमार्टम के सिवाय कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे आशंकाओं से पर्दा उठ सके।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट जानने के बावजूद पुलिस खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थी। कहना था कि देर शाम तक उसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली ही नहीं।
पुलिस संगीता के गले पर निशान स्वीकार रही, मगर वह निशान फांसी लगने से भी होने का शक बताती रही।
कहना था कि निशान फांसी लगने से भी हो सकता है। जिस रिपोर्ट में खुलकर पुलिस फांसी बताते नहीं थकती।
आज संगीता की मौत में उसी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर खुलकर कुछ बोलने से कतराती रही।
डॉक्टर साहब ने साध लिया मौन
किसी के घर में दूसरे की बॉडी मिलने के बाद पूछताछ के नाम पर मकान मालिक को मानसिक व शारिक टार्चर करने वाली पुलिस डॉक्टर पर मेहरबान क्यों है? यह सवाल शुक्रवार को लोगों की जुबां पर थे। कहना था कि संगीता की नेकेड बॉडी डॉक्टर दीपेंद्र मित्रा के फ्लैट में फर्श पर मिली थी। गुरुवार को डॉक्टर कहा था कि उसे संगीता के बारे में कुछ नहीं मालूम। जिसके बारे में कुछ जानता नहीं उसे वर्षों से अपने फ्लैट में रखा क्यों था? शुक्रवार को डॉक्टर एसआरएन चौकी पर संगीता की मां के सामने सीना चौड़ा करके बैठा और टहलता रहा। वह किसी के भी सवाल का कोई जवाब देने को तैयार नहीं था। मानों उसे किसी ने कुछ बोलने से मना कर रखा हो। कुछ नहीं बताने वाले डॉक्टर से पुलिस अब तक कोई पूछताछ नहीं कर सकी है। लोगों का कहना था कि डॉक्टर पर पुलिस इतनी मेहरबान क्यों हैं? कहा जा रहा कि सोनू सिंह नामक शख्स के कहने पर डॉक्टर संगीता को फ्लैट में रखा था। पुलिस उस सोनू सिंह के बारे में डॉक्टर से डिटेल क्यों नहीं जुटा पाई। सोनू सिंह कौन और कहां का है। डॉक्टर संगीता या उसे फ्लैट में रखवाने वाले सोनू से किराया लेता था या नहीं? डॉक्टर से यह बात भी पूछने से पुलिस कतराती रही।
सवालों के घेरे में संगीता की मौत
पुलिस संगीता के गले पर मिले निशान को फांसी फांसी से लगने का अंदेशा जता रही है।
यदि पुलिस की बात सच मान लें तो प्रश्न उठता है कि फिर जिस रस्सी से या कपड़े से फांसी लगाई वह कहां गई।
फांसी ही लगानी थी तो उसने अपने शरीर के पूरे कपड़े क्यों उतार दिये थे
फांसी लगाई तो बंद कमरे में कौन गया जिसनेउसकी बॉडी को फंदेे से उतारकर नीचे फर्श पर लेटा दिया।
पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो संगीता के सिर के काफी बाल कमरे में बॉडी से कुछ दूर पड़े थे।
यह सच है तो उसके बाल सिर से उखड़कर दूर कैसे पड़े।
अगर किसी ने उसकी गला घोंट कर हत्या की है तो वह कौन है?
हत्या के पीछे कातिल का मंतव्य क्या था।
अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट थाने या हम तक नहीं पहुंची है। सुना है कि उसके गले पर निशान मिले हैं। वह निशान किसी और भी वजह से आ सकती हैं। यह सारी बातें जांच का विषय हैं। मोबाइल में सिम नहीं था। अभी तक समय नहीं मिला था। अब फुटेज आदि चेक किए जाएंगे।
सत्येंद्र तिवारी सीओ शाहगंज
पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिफाफा में बंद होकर चला जाता है। हम तक आए तो कुछ पता चले। देर शाम तक थाने पर कोई तहरीर नहीं मिली है। यदि तहरीर मिलेगी तो उसके आधार पर आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी। सीसीटीवी कैमरे भी चेक किए जाएंगे।
अमर सिंह रघुवंशी, थाना प्रभारी कोतवाली