प्रयागराज ब्यूरो ।-स्कूल से लेकर कॉलेज तक और सरकारी दफ्तरों से लेकर किला तक, कहीं भी हमने तिरंगे को खिड़की पर लगे पर्दे की तरह लटकता हुआ नहीं देखा। कभी भी किसी ने तिरंगे को इस सिचुएशन में लगाने की सीख भी नहीं दी न तो किसी किताब में कहीं ऐसा पढऩे को ही मिला। शनिवार को जब नगर निगम के सदन हॉल में मेयर सीट के ऊपर पर्दे की तरह लट रहे तिरंगे पर नजर गई तो मन में अनसुलझे सवाल के ज्वार उठने लगे। मन और मस्तिष्क में प्रश्न आने लगे कि तिरंगे को भला ऐसे कौन लगाता है? चूंकि इस कंडीशन में तिरंगा नगर निगम के सदन हॉल में दिखाई दिया। इसलिए जेहन में ऐसे सवाल का आना और भी लाजमी है। जिस सदन कक्ष में बैठक के वक्त खुद मेयर से लेकर पार्षद व नगर निगम के अफसर और कर्मचारी तक मौजूद रहते हों, यदि ऐसे स्थान पर इस तरह से तिरंगा लगाया गया हो तो हम ही क्या? कोई भी इस तरह के सवालों के तूफान से घिर जरूर जाएगा।
किसी की क्यों नहीं पड़ी नजर
नगर निगम सदन कक्ष में इन दिनों नई कमेटी की बैठक के लिए साफ सफाई और मेंटिनेंस का काम चल रहा है। शनिवार को अवकाश था पर चार कर्मचारी सदन की कुर्सियों में पालिश करने से लेकर अन्य कार्यों में लगे हुए थे। सदन कक्ष में बैठक के दौरान जिस कुर्सी पर मेयर आसीन होते हैं ठीक उसी के ऊपर तिरंगा लगा हुआ दिखाई दिया। हाल के अंदर तिरंगे का लगाया जाना अच्छी बात है। मगर, जिस तरीके से लगाया गया था उसे देखकर कर कई तरह के सवाल मन में उठने लगे। यहां कुर्सियों की सफाई व पालिस का काम कर रहे कामगार भी तिरंगे की कंडीशन को देखकर थोड़े चकित थे। किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि तिरंगा इस कंडीशन में किसी लगाया जाता है या नहीं? क्योंकि जिस जगह पढ़े लिखे नगर निगम के सारे अधिकारी और कर्मचारी यहां तक कि सदन में खुद मेयर और तमाम पार्षद बैठते रहे हों वहां के सदन हाल में कोई गलत तरीके से तिरंगा भला कैसे लगा सकता है? चूंकि कभी इस तरीके से कहीं भी तिरंगा लगा हुआ दिखाने को आज तक नहीं मिला। लिहाजा मन में यह सवाल बना ही रहा कि भला तिरंगे को ऐसे कौन लगाता है साहब?
नगर आयुक्त को किया गया फोन
खैर सदन कक्ष में लगे इस तिरंगे के तरीके की बाबत जानकारी के लिए नगर आयुक्त के मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया। कॉल रिसीव करने वाले ने खुद को साहब का पीआरओ बताते हुए जानकारी दिया कि आज अवकाश है लिहाजा साहब से सोमवार को बात हो पाएगी। उसी दिन वह मिलेंगे भी। ऐसी स्थिति में नगर आयुक्त से बात नहीं हो सकी। प्रश्न यह है कि आखिर अब तक तिरंगे की इस स्थिति पर किसी जिम्मेदार की नजर क्यों नहीं पड़ी?
जानकारी बताते हैं तिरंगा का प्रोटोकाल
जानकार बताते हैं कि तिरंगा के अपना एक प्रोटोकॉल है जो देश के हर नागरिक पर लागू होता है। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए तिरंगे को झुकाना अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
तिरंगे को किसी भवन या दफ्तर वह सरकारी या प्राइवेट में लगने वाले पर्दे की तरह नहीं टांगा जाएगा, यह भी तिरंगा के लिए निर्धारित प्रोटोकाल के उल्लंघन की परिधि में आता है
कमर के नीचे तिरंगे के रंग का कपड़ा पहनना भी वर्जित है, कुशन, रूमाल, नैपकीन आदि पर तिरंगे की छपाई करके प्रयोग में लाना भी प्रोटोकाल का उल्लंघन है
किसी प्रतिमा, स्मारक या वक्ता मेज पर तिरंगे को बिछाना या लपेटना भी सख्त मना है, जान बूझकर तिरंगे को जमीन में छूने देना या पानी से सराबोर करना भी दंडनीय है
तिरंगे को किसी नाव, रेलगाड़ी या वाहन के टॉप, बगल या पिछले भाग पर लगाना भी दंडनीय, राष्ट्रीय आयताकार के आकार का हो साथ ही उसकी लंबाई और चौड़ाई तीन दो का होना चाहिए।
इस तरह के कम से कम बीस से भी अधिक नियम हैं जिसका पालन हर किसी के जरिए किया जाना नितांत आवश्यक है, तिरंगा के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले पर कार्रवाई के प्राविधान हैं
मैं शुक्रवार को ही शपथ लिया हूं अभी नगर निगम का निरीक्षण नहीं किया। सोमवार को नगर निगम के सभी विभागों व सदन कक्ष में चल रहे काम का भी निरीक्षण करूंगा। यदि सदन कक्ष में तिरंगा लगाने का तरीका गलत है तो ससम्मान सहित पूरे प्रोटोकाल के साथ उतार कर नियमानुसार लगाया जाएगा। सदन कक्ष में तरीके से हट कर तिरंगा लगाया है इस बात की जानकारी अभी हमें नहीं है और न ही देखा है।
उमेश चंद्र गणेश केसरवानी, महापौर