- सरकारी कार्यालयों में महिलाओं को टॅायलेट जाने के लिए खोजनी पड़ती है चाभी

- मजबूरी में महिलाओं को यूज करना पड़ता है जेंट्स टॉयलेट

- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने सदर तहसील और विकास भवन के अंदर बने महिला शौचालयों का लिया जायजा

PRAYAGRAJ: सरकारी कार्यालयों में अगर महिलाएं शौचालय की चाभी पूछतीं नजर आएं तो मुस्कुराइगा नहीं। जी हां विभागों में महिलाओं को टॉयलेट जाना किसी सजा से कम नहीं। यकीन न हो तो विकास भवन और सदर तहसील की पड़ताल कर लीजिए। शनिवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने यहां बने लेडीज टॉयलेट का जायजा लिया। यहां पहुंची महिलाएं टॉयलेट जाने के लिए परेशान दिखीं। कर्मचारी से उसकी चाभी पूछती नजर आई। जानकारी पर पता चला कि यहां के शौचालयों में दिन भर ताला लगा रहता है। इन दोनों कार्यालयों में शौचालयों की स्थिति काफी खराब मिली। महिलाओं का कहना था कि सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए हर कोशिश कर रही है। विभिन्न योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। लेकिन सबसे मूलभूत आवश्यकता लेडीज टॉयलेट एवं स्वच्छता का ही अभाव देखने को मिलता है।

जेंट्स टॉयलेट यूज किया

शनिवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने डीएम कार्यालय से कुछ दूरी पर बने सदर तहसील व विकास भवन के अंदर शौचालयों का हाल देखा तो सफाई व्यवस्था की पोल दिखी। इन दोनों जगहों पर जेंट्स टॉयलेट खुले मिले। लेकिन काफी गंदे थे।

दूसरी ओर दोनों जगहों पर लेडीज टॉयलेट पर ताला लटका मिला। वहां खड़ी एक महिला टॉयलेट जाने के लिए चाभी ढूंढती नजर आई। अंत में परेशान होकर उसे जेंट्स टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ा।

चाभी का पता सबको मालूम नहीं

कई घंटे वहां रूके रिपोर्टर की पड़ताल में सामने आया कि यहां के शौचालयों की चाभी की जानकारी सिर्फ कुछ ही कर्मचारियों को है। एक महिला सरकारी स्टॉफ ने बताया कि लेडीज अधिकारी व एक-दो लोगों को ही चाभी की जानकारी होती है। बाकि लेडीज जेंट्स टॉयलेट मजबूरी में यूज करती है।

टॉयलेट की बदहाली पर दाखिल की गई थी पीआईएल

बीते कुछ दिन पहले लॉ स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट में यूपी के अंदर बदहाली टॉयलेट को लेकर पीआईएल दाखिल की थी। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार से पूछा गया कि प्रदेश में कितने थानों में लेडीज टॉयलेट बने हैं। कोर्ट ने यह जानकारी 15 फरवरी 2021 से शुरू होने वाले सप्ताह में नए सिरे से सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। यह आलम सिर्फ सरकारी थानों का ही नहीं। बल्कि हर सरकारी कार्यालयों में बने महिला शौचालयों की है।

टॉयलेट के ताले की चाभी पूछने पर सरकारी स्टॉफ बताते तक नहीं हैं। बोलते हैं जेंट्स टॉयलेट खुला है चली जाओ। वहां जाने पर पता चलता है पहले से कोई गया है। जब तक वह निकलता है फिर कोई चला जाता है।

रेखा देवी, सदर तहसील में पहुंची फरियादी

चेहरा देखकर चाभी दी जाती है। यह चाभी एक सरकारी स्टॉफ के पास होती है। टॉयलेट आने से पहले पता करना पड़ता है कि चाभी आज किसके पास है। नहीं तो जेंट्स टॉयलेट खुला ही है। इस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

पार्वती

हकीकत सब जानते हैं। कहने को सरकार महिलाओं पर ध्यान दे रही है। लेकिन विभागों में स्थिति इसके उलट है। यहां के बने शौचालयों में गंदगी की भरमार है। अधिकारियों के पास निजी शौचालय हैं। इसलिए यह समस्या उन्हें नहीं दिखाई देती।

महिला लेखपाल

सरकारी स्टॉफ से मिली जानकारी

150

से अधिक महिलाएं रोज विकास भवन व सदर तहसील में पहुंचती हैं

40

के करीब है अधिकारी व चपरासी लेडीज

04

से पांच स्टॉफ को ही मालूम होता है बंद ताले की चाभी का पता