प्रयागराज ब्यूरो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एकेडमिक सेशन 2022-23 में बीएससी कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों को तगड़ा झटका लगा है। ओवरआल रिजल्ट 40 फीसदी से भी नीचे रहा है। इससे परीक्षा देने वाले छात्र तो कटघरे में हैं ही यूनिवर्सिटी भी सवालों में घेरे में है। 50 फीसदी से ज्यादा छात्रों के फेल होने के कारण क्या हो सकते हैं? दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इसका जवाब तलाशने की कोशिश की और पहुंच गया बीएससी के छात्रों के बीच। उन्हीं से बातचीत करके जानने की कोशिश की कि वे क्या कारण रहे होंगे जिसके चलते रिजल्ट इस हद तक नीचे चला गया है। इसमें तमाम कारण निकलकर आये।

मॉडरेट आया था पेपर
छात्रों का कहना है कि पेपर न तो ज्यादा कठिन आया था और न ही ज्यादा आसान था। पेपर मॉडरेट आया था। जो पढ़ाया गया था उसी में से प्रश्न पूछे गये थे। पैटर्न में भी किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया था। सत्र देर से चालू हुआ जिस वजह से तैयारी का कम समय मिला और पेपर पहले ले लिया गया। जिसके चलते छात्रों ने तैयारी तो कि और अपने आपको परीक्षा के लिए तैयार नहीं कर पाये। यह परिणाम संतोषजनक नहीं है। इससे विश्वविद्यालय की छवि काफी धूमिल हुई है।

आंसर पैटर्न में चेंज का भी असर
रिपोर्टर ने बीएससी स्ट्रीम के छात्रों से बातचीत की तो उनका कहना था कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के समय सवाल का जवाब लिखने का पैटर्न बेहद अलग था। बीएससी में आने के बाद पैटर्न पूरी तरह से चेंज हो गया। क्लासेज की शुरुआत हुई तो सिलेबस को लेकर भी डाउब्ट रहा कि कोरोना के समय की गयी कटौती लागू रहेगी या फिर कोर्स पूरा पढऩा होगा। इस बीच में क्लासेज भी चल रही थीं। पिछले साल के सत्र का पहला महीना तो आलमोस्ट छुट्टियों में ही निकल गया। जनवरी फरवरी में क्लासेज चलीं तो प्रोफेसर्स का पूरा फोकस कोर्स कम्प्लीट कराने पर था। इंटर के स्तर पर हमें एग्जाम के तमाम पड़ाव पार करने थे, इससे आंसर लिखने का आइडिया हो जाता था। यहां यह पार्ट पूरी तरह से मिसिंग हो गया। इसका इंपैक्ट आंसर लिखने पर पड़ा और नतीजा रिजल्ट में रिफलेक्ट हो गया।

3394
छात्र रजिस्टर्ड थे बीएससी फस्र्ट इयर में
3042
छात्र शामिल हुए थे एनुअल एग्जाम में
1237
छात्रों को मिली है परीक्षा में सफलता
1302
छात्र हो गए हैं परीक्षा में असफल
449
छात्रों को मिलेगा परीक्षा देकर रिजल्ट अपग्रेड कराने का मौका
352
छात्रों ने परीक्षा से ही कर लिया था किनारा
34
छात्र पकड़े गये थे नकल करते हुए

सेशन लेट से चालू हुआ जिस वजह से पढ़ाई करने का समय कम मिला। रिवीजन के लिए टाइम बहुत कम मिल पाया तो परीक्षा की तैयारी ही पूरी नहीं हो पायी। जिससे की परीक्षा मे नंबर मे कम आये।
आरूषी मिश्रा, छात्रा

कोरोना काल के चलते कोर्स में कटौती की गयी थी। लेट एडमिशन के बाद भी प्रोफेसर्स ने कोर्स को पूरा करा दिया था। नाकामी शायद इसलिए मिली क्योंकि हम बस पढ़ते ही चले गए। रिवीजन का मौका ही नहीं मिला।
अक्क्षिता गुप्ता, छात्रा

पिछले साल एडमिशन में ही काफी देर हो गयी थी। इसके बाद सिलेबस और एग्जाम पैटर्न के बारे में भी जानकारी भी पूरी नहीं हो पायी। हमने ने अपना बेस्ट देने का प्रयास किया था। इसके बाद भी तमाम छात्रों के रिजल्ट खराब हुए हैं। हम तो किस्मत को ही दोष दे रहे हैं।
अंशू, छात्रा

कारण जिससे बिगड़ा रिजल्ट
प्रवेश प्रक्रिया का निर्धारित समय से करीब तीन महीना आगे खिंच जाना।
क्लासेज में कोर्स कम्प्लीट करने पर ही फोकस रखना
पैटर्न और सेलेबस को लेकर कन्फ्यूजन
एग्जाम की तैयारी के लिए कॉलेज में प्रैक्टिस न हो पाना