- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा चलाये जा रहे अभियान में वर्किंग वीमेन ने शेयर की प्रॉब्लम
- वर्किंग वीमेन बोली, एक दिन नहीं बल्कि पर-डे करनी पड़ती है प्राब्लम को फेस
PRAYAGRAJ: पुरुषों के इतर महिलाओं के लिए पब्लिक प्लेस या रोड्स पर टॉयलेट का न होना यह एक बड़ी समस्या है। इस समस्या का सामना अक्सर ज्यादातर वर्किंग वीमेन को आये दिन करना पड़ता है, पर इस ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी व विभाग का ध्यान नहीं जाता है। इन समस्याओं को लेकर दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की ओर से 'एक्सक्यूज मी, वेयर इज माई टॉयलेट' अभियान चलाया जा रहा है। इस कड़ी में गुरुवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने वर्किंग वीमेन से बात की तो उन्होंने अपनी प्रॉब्लम को शेयर किया। सभी महिलाओं ने लगभग एक जैसा जवाब दिया। उनका कहना है कि पुरुषों के लिए यह बहुत बड़ी समस्या नहीं हो सकती है, पर हम महिलाओं के लिए यह एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। जो घर से निकलने से पहले से ही टेंशन में आ जाती है। वहीं उन वीमेन के लिए और भी बड़ी समस्या है जो पर-डे घर से जॉब के लिए निकलती हैं। वहीं डाक्टरों की माने तो ज्यादातर महिलाओं को यूरिन इंफेक्शन से लेकर किडनी में तमाम तरह की प्रॉब्लम यूरीन को रोकने से हो सकती है। यहीं नहीं यदि पब्लिक टॉयलेट है भी तो इसके अंदर तमाम स्थानों पर अशोभनीय कमेंट भी लिखे होते हैं जो महिलाओं के लिए समस्या का कारण बनते हैं।
वर्किंग वीमेन से बातचीत
1. सुबह जॉब पर जा रही अपर्णा चौधरी ने बताया कि वह पेशे से सरकारी टीचर हैं। उनको ड्यूटी करने के लिए रोज बमरौली से कुछ दूर कौशाम्बी बार्डर तक जाना पड़ता हैं। रास्ते में कोई टॉयलेट नहीं मिलता है। सिटी के अंदर ही बहुत खराब हालत है। ऐसे में सोच सकते है गांव का क्या आलम होगा। मुश्किल घड़ी में सड़क कीजिए या फिर रोके रहिए। घर से ही फ्रेश होकर निकलना पड़ता हैं। वापस लौटते समय स्कूल का टॉयलेट यूज करके निकलती हैं।
2. शॉपिंग मॉल से बाहर निकल रही पूनम सिंह ने बताया कि उनके पति आर्मी में हैं। हर काम के लिए उनको खुद बाहर निकलना पड़ता हैं। स्कूटी चलाने के दौरान अगर टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ गई तो तो ढूंढने पर भी जल्दी टॉयलेट जल्दी नहीं मिलता हैं। कई बार तो जिन रास्तों पर होता है। उन रास्तों को याद रखना पड़ता हैं। किस रास्ते पर कौन सा टॉयलेट पड़ेगा। सार्वजनिक टॉयलेट की कंडीशन कुछ अच्छी नहीं हैं। टॉयलेट के बाहर ऐसे पोस्टर व लिखे हुये शब्द होते है कि शर्म के मारे अंदर जाने का मन नहीं करता हैं।
3. कानपुर रोड स्थित पेट्रोल पंप पर मिली इंदु ने बताया कि वह समाजसेविका के साथ पार्टी विशेष के लिए काम करती हैं। रोजाना फिल्ड पर निकलना पड़ता हैं। कहीं गलती से सार्वजनिक टॉयलेट दिखाई देता भी है तो पुरुष और महिला साथ में रहते हैं। उन टॉयलेट को यूज करने में डर लगता हैं। कई बार नोटिस भी किया हैं। टॉयलेट यूज करने के दौरान पुरुष बहुत गंदी निगाह से देखते हैं। गाना गाते रहेंगे या फिर एक ही नजर बांध कर देखते रहेंगे। दोनों के टॉयलेट कम से कम थोड़ी दूरी पर होनी चाहिये। कुछ सार्वजनिक टॉयलेट यूज करने पर पैसा देने के बाद भी साफ-सुथरा नहीं मिलता हैं। गंदे टॉयलेट को यूज करना पड़ता हैं।
4. सिविल लाइंस स्थित एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली सुनिता मौर्या से मुलाकात हुई। उनका कहना है कि जिन रास्तों से आती हैं। उन रास्तों पर सिर्फ एक टॉयलेट बना हुआ है। वह बिल्कुल गंदा पड़ा रहता हैं। ऐसे गंदे टॉयलेट को अगर दो-चार बार यूज कर लिजिए तो बीमारी जरूर साथ लेकर जाएंगे। इसलिए वह गंदे टॉयलेट यूज करनी से बचती हैं। महिला टॉयलेट के बगल में ही पुरुष का टॉयलेट बना हुआ है। पुरुष खड़े होकर खुले में टॉयलेट करते दिखाई पड़ जाते हैं।
5. वंदना शर्मा चौफटका समीप महिला ग्राम स्कूल में टीचर हैं। वह रोज सुलेम सराय का रास्ता तय करके स्कूल आती-जाती हैं। इन रास्तों पर उनका कहना है कि एक भी टॉयलेट नहीं है। इमरजेंसी कंडीशन पर वी-मार्ट मॉल का टॉयलेट यूज करना पड़ता हैं। पहले मॉल के बाहर स्कूटी खड़ा करो। फिर अंदर जाओ। टाइम वेस्ट के साथ बड़ा प्राब्लम फेस करना पड़ता हैं। मॉल के अंदर एक दिन बाथरूम यूज करने पर पता चला कि कोई अंदर गया हुआ हैं। काफी देर वेट के बाद जब बाहर नहीं आया तो मजबूरी में घर जाकर टॉयलेट यूज करना पड़ा।
6. ज्योति नाम की महिला से बस स्टैंड के पास दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर से मुलाकात हुई। टॉयलेट प्राब्लम के बारे में पूछते ही महिला गुस्से से लाल पीला हो गई। उसने रिपोर्टर से सवाल दाग दिये। आप खुद बस स्टैंड का टॉयलेट जाकर देख लें। आपको कंडीशन समझ में आ जाएगी। चारों तरफ से पानी टपक रहा है। बगल में पुरुष टॉयलेट कर रहे हैं। उसकी दीवार भी टूटी हुई हैं। भला कौन महिला ऐसे टॉयलेट को यूज करना चाहेगी। ज्योति बस स्टैंड के पास दुकान चलाती हैं। उसको रोज इस परेशानी को झेलना पड़ता हैं।
7. रूमा देवी की सरदार पटेल मार्ग पर लेडिज गारमेंट्स की दुकान हैं। टॉयलेट यूज करने के लिए बिग बाजार के पास बने सार्वजनिक टॉयलेट को यूज करने जाना पड़ता हैं। दुकान से टॉयलेट की दूरी तकरीबन डेढ किलोमीटर से अधिक की हैं। उनके लेडिज स्टॉफ को भी इन दूरी को तय करना पड़ता हैं। बताते-बताते रूमा का दर्द छलका पड़ा। उन्होंने बताया कि कोई एक अकेले महिला नहीं हैं। इस एरिया में दुकान पर ही सिर्फ काम करने वाली हजारों महिलाओं की हैं। जो रोज इस तरह के प्राब्लम को फेस करती हैं।
8. पत्रिका समीप सीमा गुप्ता कोचिंग में पढ़ती हैं। उनका घर कटरा के पास हैं। रोज वह पैदल या फिर रिक्शा पकड़कर आती हैं। जिन रास्तों से वह आती हैं। उन रास्तों पर दो सार्वजिनक टॉयलेट पड़ते हैं। लेकिन महिला-पुरुष साथ में टॉयलेट होने के कारण जाने में हिचक लगती हैं। उनका कहना है कि यह दोनों टॉयलेट कभी साफ नहीं दिखाई देता हैं। पैसा देने के बाद सफाई नहीं मिलती हैं। जब पुरुष के टॉयलेट यूज करने पर पाया गया। उनसे पैसा नहीं लिया जाता हैं। महिलाएं पैसा देती हैं। फिर भी साफ टॉयलेट नहीं मिल पाता हैं।