प्रयागराज (ब्‍यूरो)। आखिर कहां चले जाते हैं लोग, ये सवाल उन गुमशुदा लोगों के लिए है, जिनके परिजन अपनों के लौट आने के इंतजार में दिन रात टकटकी लगाए राह देख रहे हैं। पुलिस भले ही एक्टिव हो और उसके पास पहले से अच्छे संसाधन हों मगर गुमशुदा की तलाश में अभी भी प्रयागराज पुलिस फिसड्डी है। जिसका नतीजा है कि पुलिस गुमशुदगी दर्ज करके उसे ठंडे बस्ते में डाल देती है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं। जिनमें पुलिस अभी तक कुछ कर नहीं सकी है। ये बात दीगर है कि अफसरों से शिकायत न हो, इससे बचने के लिए पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। मगर नतीजा सीफर है। जिससे लोग परेशान हैं।

नहीं भूलती 19 जनवरी की रात
चेतना तिवारी को 19 जनवरी की रात कभी नहीं भूलती। पांच महीना हो गए। 19 जनवरी की रात चेतना के पति विमल तिवारी घर नहीं लौटे। शाम को वह घर से निकले, चेतना से कहकर गए कि कुछ देर में वापस आ जाएंगे मगर विमल वापस नहीं आए। सिविल लाइंस स्थित अपने घर से निकले विमल हाईकोर्ट के पास एक होटल में अपने परिचित के पास गए थे। रात में साढ़े नौ बजे के करीब होटल से कार से विमल निकले, मगर वह घर नहीं पहुंचे। उनकी कार नए यमुना पुल पर मिली। मामले में सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज हुआ। पुलिस ने छानबीन भी शुरू किया, मगर पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। 19 जनवरी के बाद से चेतना तिवारी अपनी पति को तलाश कर लाने के लिए हर पुलिस अफसर के आफिस में गईं। पूरी बात बताई, मगर कोई नतीजा नहीं निकला। चेतना तिवारी ने बताया कि वह अपने पति के लिए परेशान हैं, मगर कोई पुलिस अफसर सुनवाई नहीं कर रहा है।


बिस्किट लेने गया मगर लौटा नहीं
अतरसुइया के रहने वाले रामआसरे केसरी का एकलौता बेटा अर्पित गायब है। घटना 23 जून की है। अर्पित घर में लेटकर मोबाइल देख रहा था। करीब दो बजे उसने अपनी मां रश्मि से बिस्किट लेने के लिए दस रुपये मांगा। इसके बाद वह अपनी मां से दस रुपये लेकर दुकान गया। अर्पित के पास मोबाइल भी था। आधा घंटा तक वह नहीं लौटा तो मां परेशान हुई। करीब एक घंटा बाद रामआसरे लौट कर घर आए तो पत्नी रश्मि ने बताया कि अर्पित बिस्किट लेने गया था, मगर आया नहीं। इस पर रामआसरे ने अपने मोबाइल से अर्पित को फोन किया, मगर फोन स्विच ऑफ था। शाम तक बेटे को खोजकर थक चुके रामआसरे ने अतरसुइया थाने में बेटे के गायब होने की सूचना दी। अर्पित को गायब हुए पांच दिन बीत चुके हैं, मगर उसका कोई सुराग पुलिस नहीं लगा सकी है।

गायब हो गई नौ साल की बच्ची
राकेश कुमार मोबाइल बनाने का काम करते हैं। वह अपने परिवार के साथ दारागंज में रहते हैं। राकेश कुमार की नौ साल की शिल्पा पटेल गायब हो गई है। घटना 23 जून की है। करीब पौने चार बजे शिल्पा घर के बाहर खेलने गई। मगर लौटी नहीं। शाम ढलने लगी तो मां मीरा बाहर अपनी बेटी शिल्पा को देखने निकली। बाहर खेल रहे बच्चों से मीरा ने शिल्पा के बारे में पूछा। मगर कोई बच्चा शिल्पा के बारे में बता नहीं पाया। कई बच्चों से पूछने के बाद भी जब मीरा को बेटी की जानकारी नहीं मिली तो उसने पति राकेश को बताया। पत्नी की बात सुनकर राकेश के होश उड़ गए। राकेश ने आसपास बेटी शिल्पा की तलाश की। इसके बाद वह दारागंज थाने पहुंचे। वहां पर बेटी के गुम होने की तहरीर दी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर केस तो दर्ज कर लिया, मगर पांच दिन बीतने के बाद भी शिल्पा को दारागंज पुलिस तलाश नहीं पाई है।

गुमशुदगी दर्ज करने तक सीमित पुलिस
गुमशुदगी के मामलों में पुलिस का ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले छह महीने में केवल शहरी एरिया में दस से ज्यादा ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। गुमशुदगी के मामलों में थाने पहुंचने वाले पीडि़त की तहरीर लेकर पुलिस केस दर्ज लेती है ताकि शिकायत पर अफसरों की फटकार न सुनने को मिले, इसके बाद पुलिस केस को ठंडे बस्ते में डाल देती है।

बच्चों को खोजने में होती है दिक्कत
पुलिसकर्मियों के मुताबिक बच्चों के गुमशुदा होने पर उन्हें खोजने में ज्यादा दिक्कत होती है। क्योंकि उनके बारे में जल्दी कोई सुराग नहीं मिल पाता है।

पोस्टर चस्पा करवा देती है पुलिस
पुलिस गुमशुदा का पोस्टर चस्पा करवा देती है। तमाम लोग पोस्टर में इनाम की भी घोषणा करते हैं। मगर इसका बहुत फायदा लोगों को नहीं मिल पाता है।

18 मामले दर्ज किए गए छह महीने में
8 मामलों में खुद घर लौट आए गुमशुदा
2 गुमशुदगी दर्ज होती है औसत में हर महीने