प्रयागराज (ब्यूरो)। दरअसल, हाल ही में प्रदेश सरकार से शिकायत की गई थी कि सरकारी एंबुलेंस सेवा 102-108 के संचालन में जबरदस्त फर्जीवाड़ा चल रहा है। सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जीवीके ईएमआरआई द्वारा फर्जी आधार और मोबाइल नंबर के जरिए फेक फेरे दिखाए जा रहे हैं। इनके आधार पर सरकार से भारी भरकर पैसा लिया जा रहा है। इसकी जांच कराने पर हकीकत सामने आ सकती है। शिकायत को संज्ञान में लेने के बाद शासन ने यूपी के सभ्ीा जिलों को इसकी जांच किए जाने के आदेश दिए थे। प्रयागराज में कुल 96 सरकारी एंबुलेंस का वर्तमान में संचालन किया जा रहा है।

केवल तीन ने उपलब्ध कराया रजिस्टर

जिले में कुल बीस सीएचसी यानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद हैं। प्रत्येक को सरकारी एंबुलेंस का एलॉटमेंट किया गया है। कॉल आने पर यह एंबुलेंस फ्री आफ कास्ट मरीज को अस्पताल पहुंचाती हैं। इस दौरान रोगी का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर की डिटेल पीसीआर रजिस्टर और ऑनलाइन दर्ज की जाती है। इसके आधार पर सरकार सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को भुगतान करती है। लेकिन प्रयागराज में बीस में से केवल तीन ने ही यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंपी है। जिसकी वजह से जांच प्रक्रिया अभी तक पूरी नही हो सकी है।

फरवरी से अप्रैल का देना है डाटा

मई माह की शुरुआत में जांच के आदेश दिए गए थे। सभी जिलों में इसके लिए अधिकारियों को नियुक्त किया गया था। हाल ही में शासन ने तमाम जिलों से मिली जांच रिपोर्ट में पाया गया कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने फर्जी तरीके से आधार और मोबाइल नंबर दर्ज कर लाखों रुपए की वसूली सरकार से की है। यह शिकायत शासन से उन एंबुलेंस ड्राइवर और ईएमटी ने की थी जिन पर कंपनी ने फर्जी फेरे की रिपोर्ट तैयार करने का दबाव बनाया था। जब इनको नौकरी से निकाल दिया तो उन्होंने शासन से शिकायत दर्ज करा दी। फरवरी से अप्रैल के बीच के पीसीआर रजिस्टर की जांच करने के आदेश दिए गए थे। बावजूद इसके प्रयागराज में जांच की इस रफ्तार से पारदर्शिता पर सवाल उठ रहा है।

हमें चाका और जसरा समेत केवल तीन सीएचसी से कंपनी के को आर्डिनेटर ने पीसीआर रजिस्टर सौंपा है। बाकी जगह से अभी तक डिटेल नही मिली है। इस वजह से फोन नंबर और आधार को क्रास चेक नही किया जा सका है। हमने कंपनी को इसके लिए फिर से रिमाइंडर भेज दिया है।

डॉ। जेके सोनकर, नोडल, 102-108 एंबुलेंस सेवा स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज