प्रेमचन्द्र के पात्रों घीसू, बुधिया और हामिद में खुद को तलाशते दिखे दर्शक

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PRAYAGRAJ: संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के सहयोग से रंगमण्डल द्वारा आयोजित किए जा रहे पांच दिवसीय विविध रंग महोत्सव का बुधवार को समापन हो गया। आखिरी दिन दर्पण की प्रस्तुति हुई। मानवेन्द्र त्रिपाठी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक प्रेमचंद के पात्र, प्रेमचंद के साथ के मंचन से शुरुआत हुई। इसमें पात्रों और प्रेमचंद्र के बीच संवाद को सजीवता के साथ प्रस्तुत किया गया।

प्रेमचन्द्र से रूबरू होते हैं पात्र

नाटक में कथा सम्राट प्रेमचन्द की कहानियों के पात्र भी साकार रूप में प्रेमचन्द के समक्ष आते हैं। प्रेमचन्द उन पात्रों की भावनाओं से एकाकार होते हैं। प्रेमचन्द कागजों पर लिखे अपनी कहानी के पात्रों के विषय में निमग्न हैं, वो सोचते हैं कि उनकी कथाओं को गढ़ने का मकसद, उसकी सार्थकता क्या सही मायने में सिद्ध हो सकी। क्या उनके दर्द, उनकी संवेदनाओं से समाज साझेदारी कर सका? इसी चिंतन के क्रम में एक दिन उनका साक्षात्कार अपनी कथा के पात्रों से हो जाता है। वे उनकी भावनाओं से एकाकार होते हैं तो पाते हैं कि वर्षो बीत जाने के बाद भी इन पात्रों की स्थिति जस की तस बनी हैं। नाटक में कथा सम्राट की तीन कहानियों 'ठाकुर का कुआ', 'कफन' एवं 'ईदगाह' और उनके पात्रों को आधार बनाया गया है।